सीमा एवं सीमांत रेखा क्या है | सीमा एवं सीमांत में अंतर

सीमा एवं सीमांत क्षेत्र का राजनीतिक भूगोल में विशेष महत्व है क्योंकि ये किसी भी राज्य या देश की भू-राजनीति को प्रमुखत: प्रभावित करते हैं तथा राज्य के अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करते हैं। सामान्यतः सीमांत एवं सीमा शब्द का समान अर्थ लगाया जाता है लेकिन यह दोनों अलग-अलग है। सर्वप्रथम रेटजेल ने सीमांत एवं सीमा में अंतर स्पष्ट किया एवं विस्तृत विचार प्रस्तुत किए। सीमाओं को इन्होंने राज्य के जीव रूप की त्वचा बताया जो राज्य को सुरक्षा प्रदान करती है तथा बाहरी आक्रमण को सहन करती है।

सीमांत दो राज्यों के बीच स्थित क्षेत्र है जिस पर किसी राज्य का अधिकार नहीं होता अर्थात यह दोनों ओर स्थित राज्यों के वास्तविक नियंत्रण से मुक्त संक्रमण क्षेत्र है। इसे अग्र प्रदेश, सीमा देश, मानवरहित क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। वस्तुतः सीमांत की संकल्पना ऐतिहासिक है। इसका प्रयोग राज्य में बसे हुए क्षेत्र के सीमावर्ती प्रदेश के लिए होता था। राज्य के प्रभाव क्षेत्र में क्रमश: कमी के कारण सीमांत प्रदेश का विकास होता था। सामान्यतः यह प्रतिकूल परिस्थितियों का क्षेत्र होता है जो मानवीय अधिवास के पूर्णतः अनुकूल नहीं होता, अतः यहां विरल जनसंख्या और जल संसाधन होते हैं। राज्य का आकर्षण भी इसी क्षेत्र के प्रति कम होता है।
इस तरह सीमांत कानूनी एवं राजनीतिक तथ्य नहीं होता है और सीमाओं के उद्भव के साथ ही कानूनी रूप से सीमांत समाप्त हो जाता है। परंतु प्रकृति में वह व्याप्त रहता है और अपना प्रभाव राज्य पर बनाए रखता है। सीमा एक ज्यामितीय विभाजक रेखा है जो किसी राजनीतिक इकाई को सीमाबद्ध करती है अर्थात किसी राज्य के सर्वभौमिकता एवं राज्य के वास्तविक अधिकार क्षेत्र को सीमांकित करती है। वर्तमान में किसी भी राज्य की सीमाएं सूक्ष्मता से अंकित की जाती है। सीमाएं आधुनिक राज्य की प्रमुख विशेषता है। क्योंकि वर्तमान राज्य एक परिभाषित राज्य होता है, साथ ही इसकी प्रकृति कल्याणकारी राज्य की है। अतः इसे संसाधनों की आवश्यकता है। इसलिए जनता को भी राज्य से अधिकार प्राप्त होते हैं। अतः राज्य भी अपनी जनसंख्या का राज्य के प्रति संपूर्ण चाहता है। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी निश्चित क्षेत्र आवश्यक है। 
         
उपरोक्त कारणों से आधुनिक राज्य की स्थापना के साथ ही राज्यों के बीच का सीमांत प्रदेश अप्रसांगिक हो गया और राज्यों के बढ़ते प्रभाव ने सीमांत प्रदेश का विभाजन कर दिया। फलस्वरुप मध्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा का निर्धारण हुआ जो दोनों राज्यों के अधिकार क्षेत्र को सीमांकित करता है।
 
सीमांत एवं सीमा में मौलिक अंतर निम्नलिखित हैं –
  1. सीमांत एक क्षेत्र में विस्तृत होता है, जबकि सीमा एक रेखा होती है।
  2. सीमांत का क्षेत्रीय विस्तार होने के कारण इसमें कुछ प्राकृतिक एवं मानवीय साधन होते हैं, जबकि सीमा रेखा होने के कारण यहां न ही प्राकृतिक साधन होंगे और न ही मानवीय जनसंख्या।
  3. सीमांत एक प्राकृतिक क्षेत्र है, जबकि सीमा कृत्रिम होता है। क्योंकि यह दो राज्यों के बीच समझौता का परिणाम होती है।
  4. सीमांत बाहरी शक्ति के रूप में तथा सीमा केंद्रीय शक्ति के रूप में होती है।
  5. सीमांत एक संयुक्त तत्व के रूप में तथा सीमा विभाजक के रूप में होती है।
  6. सीमांत कानूनी सच नहीं है, जबकि सीमा एक कानूनी सच है।
इस तरह स्पष्ट है कि सीमांत एवं सीमा में कई सूक्ष्म अंतर है, हालांकि दोनों का राजनीतिक महत्व है।

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