प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

केंद्र में, भारतीय जनता पार्टी के आने के बाद देश में बहुत-सी योजनाएं लाई गई, जिनमें से छोटे उद्यम शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने अप्रैल, 2015 में मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की। जिसके अंतर्गत लोगों को अपना रोजगार शुरू करने के लिए छोटी-सी रकम के तौर पर लोन दिया गया। ताकि ऋण लेकर लोग अपना नया व्यापार आरंभ करें या अपने व्यापार को ओर विकसित के उद्देश्य से यह लोन दिया गया था।

 इस योजना को लाने के दो उद्देश्य थे : 
  • पहला, स्वरोजगार के लिए आसानी से ऋण देना व
  • दूसरा, छोटे उद्यमों के जरिए रोजगार का सृजन करना।
जो लोग अपने छोटे व्यापार के साथ अपना जीवन यापन कर रहे हैं। वह इस योजना के आधार पर बैंक से लोन लेकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा सके। तथा इसके साथ-साथ नया व्यापार शुरू कर सके। ताकि भारत में रोजगार की समस्या से कुछ निजात मिल सके। तथा यह लोग भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना सहयोग दे सकें।

मुद्रा लोन के प्रकार

मुद्रा लोन तीन प्रकार के होते हैं।
    1. शिशु ऋण
    2. किशोर ऋण
    3. तरुण ऋण

शिशु लोन के अंतर्गत आप अपना उद्यम चलाने के लिए ₹50000 तक का लोन ले सकते हैं। इसमें आवेदन करने वालों में रेहड़ी, पटरी, मोची, दर्जी, सब्जी वाले आदि आते हैं। जिनको शिशु लोन दिया जाता है।

वही किशोर लोन के अंतर्गत 50000 से 5 लाख तक का ऋण, इस योजना के अंतर्गत दिया जाता है। ताकि उद्यमी अपने कारोबार को और बढ़ा सके तथा नया उद्यम चला सके। और अंत में तरुण लोन जिसके अंतर्गत 5 लाख से 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

  • मार्च, 2022 में मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत से अब तक 18.60 लाख करोड़ रुपये के 34 करोड़ 42 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं।
मुद्रा लोन के अंतर्गत बैंक की कोई ब्याज दर निश्चित नहीं होती है। यह बैंक तथा ग्राहक पर निर्भर करता है कि बैंक के प्रति उसका व्यवहार कैसा है। 
बैंक लोन देने से पहले वही कार्य कार्यवाही करता है, जो सामान्यतः बैंक द्वारा कराई जाती है। जिसके आधार पर बैंक आपको तरुण ऋण देगी। जैसे –  मकान के पेपर, कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर या जीएसटी नंबर, पैन कार्ड तथा आधार कार्ड आदि बैंक को गिरवी या गारंटी के तौर पर रखे जाते हैं।
कोरोना काल में शिशु लोन आवेदन करने वालों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। क्योंकि इस दौरान, मतलब कोरोना महामारी के दौरान छोटे व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसलिए अपने व्यवसाय को पुनः स्थापित करने के लिए उन्होंने शिशु मुद्रा लोन योजना का लाभ उठाया है। 

मुद्रा लोन के दोष या कमियां

  1. कोई भी युवा नौकरी न मिलने के कारण अपनी डिग्री के आधार पर बैंक में मुद्रा लोन के लिए आवेदन करता है तो उसे लोन नहीं दिया जाएगा।
  2. कोई भी सीमांत किसान या मजदूर जो स्वयं का एक छोटा व्यवसाय शुरू करने के उद्देश्य से बैंक के पास जाता है तो उसे दुनिया भर की बातें बताकर वापस कर दिया जाता है।
  3. मुद्रा लोन लेने के लिए उन सभी कागजात की जरूरत पड़ती है, जिन कागजातों के आधार पर आप कहीं भी या किसी भी बैंक से लोन ले सकते हैं तो मुद्रा लोन के क्या फायदे है।
  4. इस प्रकार की योजना का लाभ अधिकतर बड़े व्यापारियों, साहूकारों, महाजनों तथा उद्यमियों द्वारा उठाया जाता है, क्योंकि बैंकों के साथ उनके अच्छे संबंध होते हैं और मुद्रा लोन लेकर इस पैसे से व्यापार न करा कर विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं।
  5. इस प्रकार मुद्रा लोन के अंतर्गत सैकड़ों प्रकार की कमियां है जो सीमांत एवं गरीब मजदूर को झेलनी पड़ती है। जिसके कारण उन्हें मुद्रा लोन नहीं दिया जाता है।
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