नवजात शिशु संबंधित नियम
- प्रत्येक अस्पताल स्तनपान संबंधित अपनी नीति बनाएं और इस लिखित नीति से सभी स्वास्थ्य कर्मियों को अवगत कराएं।
- सभी स्वास्थ्य कर्मियों को स्तनपान के वैज्ञानिक विधि को लागू करने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कराएं।
- सभी गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के लाभ और स्तनपान की सहायता के लिए विस्तृत जानकारी दें।
- मां को प्रसव के बाद पहले घंटे में स्तनपान शुरू कराने में मदद करें।
- मां को स्तनपान की वैज्ञानिक विधि तथा शिशु से दूर रहने पर दूध के स्तर को बनाए रखने के लिए दूध निकालने की जानकारी एवं प्रशिक्षण दें।
- मां का दूध पीने वाले शिशु को केवल मां का ही दूध दे। बिना चिकित्सीय सलाह के कोई अन्य पेय पदार्थ बिल्कुल न दे।
- मां और शिशु को 24 घंटे एक ही बिस्तर पर रखें।
- शिशु जितनी बार चाहे, उतनी बार स्तनपान कराएं।
- कोई भी कृत्रिम निप्पल या चूसनी शिशु को नहीं दे।
- स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए समाज में सहयोगी समूह की स्थापना कराने में सहायता दें, जिससे मां को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर उस समूह की मदद मिल सके।
मां के स्तनपान से लाभ
शिशु एवं छोटे बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार पद्धतियां विशेष रूप प्रथम 6 माह के दौरान केवल स्तनपान- छोटे बच्चों के जीवन की सम्भावित सर्वोत्तम शुरुआत सुनिश्चित करने में सहायता करती हैं। स्तनपान बच्चे के पालन-पोषण तथा मां एवं बच्चों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध बनाने का प्राकृतिक तरीका है। स्तनपान शिशु के लिए विकास और सीखने के अवसर प्रदान करता है तथा बच्चे के पांचों तत्वों – देखना, सूंघना, सुनना, चखना एवं छूना को उत्प्रेरित करता है। स्तनपान बच्चे के मनो-सामाजिक विकास पर आजीवन प्रभाव के साथ-साथ उसमें सुरक्षा एवं अनुराग विकसित करता है। माँ के दूध में मौजूद विशिष्ट फैटी एसिड बौद्धिक स्तर में वृद्धि तथा बेहतर दृष्टि तीक्ष्णता प्रदान करते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चे का बौद्धिक स्तर (IQ) स्तनपान न करने वाले बच्चे की तुलना में 8 अंक अधिक होता है। स्तनपान छोटे बच्चे की उत्तरजीविता, स्वास्थ्य, पोषण, बच्चे में विश्वास एवं सुरक्षा की भावना के विकास को ही नहीं, अपितु मस्तिष्क विकास और सीखने की शक्ति में वृद्धि करता है।
शिशु आहार संबंधी कानून (1992/2003)
कृत्रिम दूध, शिशु आहार एवं बोतल के बिक्री व प्रयोग को बढ़ावा देना अपराधिक कार्य है। इस कानून में निम्नलिखित बातें अपराध है।
निर्माता कंपनियों द्वारा
- प्रचार या विज्ञापन
- डील व डिस्काउंट
- गिफ्ट या उपहार देना
- लेबल संबंधी नियमों का पालन नहीं करना
- मां जनता से सीधा संपर्क
- डॉक्टरों के लिए सम्मेलनों का आयोजन
चिकित्सकों या डॉक्टरों द्वारा
- कंपनी के पैसे से भ्रमण
- गिफ्ट या अन्य लाभ
इस संबंध में डॉ. चित्रा बाल रोग विशेषज्ञ (जिला संयुक्त अस्पताल) ने बताया कि एक नवजात के लिए सर्वप्रथम मां का दूध ही सर्वोपरि होता है। मां के दूध से निकलने वाले पोषक तत्व सबसे ज्यादा प्रभावी होते है जो बाहर मिलने वाले दूध और खाद्य सामग्री की तुलना में काफी हद तक बेहतर होते हैं। यदि इस नियम का कोई उल्लंघन करता है तो उसे छह माह से तीन साल तक की सजा एवं 2000 से 5000 तक का जुर्माना या दोनों के लिए कार्रवाई की जा सकती है।
One thought on “बच्चे को दूध पिलाते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए।”
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