विश्व में कितने सांस्कृतिक क्षेत्र हैं?

सांस्कृतिक परिमंडल से तात्पर्य उस भौगोलिक प्रदेश से है, जिसमें सांस्कृतिक समरूपता पाई जाती है। एक सांस्कृतिक परिमंडल दूसरे सांस्कृतिक परिमंडल से विशिष्ट गुणों एवं लक्षणों द्वारा पृथक होता है। क्योंकि किसी भी प्रदेश की संस्कृति के निर्धारण में कई कारकों की अंतर क्रिया का प्रभाव होता है। इन कारकों में प्रजातियां गुण, धर्म, भाषा, रहन-सहन, वेशभूषा एवं खानपान इत्यादि प्रमुख है।

सांस्कृतिक परिमंडल का निर्धारण सर्वप्रथम टोनेवी ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया था और विश्व को 26 सांस्कृतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया, लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों को सांस्कृतिक प्रदेशों के निर्धारण में आधार बनाने के कारण यह वर्गीकरण मान्यता नहीं प्राप्त कर सका। इसमें ऐतिहासिक संस्कृति को भी सांस्कृतिक परिमंडल के अंतर्गत रखा गया जो आलोचना का कारण बना। क्योंकि संस्कृति से तात्पर्य किसी समूह या प्रदेश विशेष की वर्तमान जीवन शैली और परंपराओं से है। अतः ऐतिहासिक कारको के प्रभावों को तो वर्तमान सांस्कृतिक प्रदेश के निर्धारण का आधार बनाया जा सकता है, लेकिन ऐतिहासिक संस्कृति को वर्तमान सांस्कृतिक प्रदेश में सम्मिलित नहीं किया जा सकता।

इस दिशा में सर्वप्रमुख कार्य ब्रोक महोदय द्वारा किया गया। इन्होंने विश्व को 4 बड़े और 2 छोटे सांस्कृतिक परिमंडल में विभाजित किया। इसमें उन्होंने 8 चरों को निर्धारण का आधार बनाया।
    1. प्रजातीय गुण
    2. धर्म
    3. भाषा
    4. आर्थिक एकीकरण
    5. लोक संस्कृति
    6. वेशभूषा
    7. कट्टरवादी रूढ़िवादी प्रवृत्ति
    8. वैज्ञानिक कारण
ब्रोक ने उपरोक्त कारको में सर्वाधिक प्रमुख कारक धर्म को माना है। क्योंकि धर्म का प्रभाव संस्कृति के प्रत्येक तत्वों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। पुनः ब्रोक ने भौगोलिक कारको को भी सांस्कृतिक प्रदेश के निर्धारण में प्रमुखता दी। इस कारण ब्रोक के वर्गीकरण को पर्याप्त मान्यता प्राप्त है।
चार प्रमुख और दो छोटे संस्कृति प्रदेश निम्नलिखित हैं।

वृहद सांस्कृतिक प्रदेश

  1. ईसाई सांस्कृतिक प्रदेश
  2. इस्लामी सांस्कृतिक प्रदेश
  3. इंडिक सांस्कृतिक प्रदेश
  4. पूर्वी एशियाई संस्कृति प्रदेश

लघु संस्कृति प्रदेश

    1. दक्षिण पूर्वी एशियाई सांस्कृतिक प्रदेश
    2. मेसो अफ्रीकन सांस्कृतिक प्रदेश

वृहद सांस्कृतिक प्रदेश

  • ईसाई सांस्कृतिक प्रदेश : यह इसाई धर्म के लोगों द्वारा विकसित सांस्कृतिक प्रदेश हैं और इनका विश्वव्यापी प्रभाव है। वर्तमान में यह सर्वाधिक विकसित सांस्कृतिक प्रदेश है और प्रत्येक क्षेत्र में इसका विकास हुआ है। हालांकि विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक विशेषताओं के कारण इसे उप संस्कृति प्रदेश में भी विभाजित किया जाता है।
  1. पश्चिमी यूरोपीय संस्कृति
  2. दक्षिण यूरोपीय संस्कृति
  3. आंग्ल यूरोपीय संस्कृति
  4. लैटिन अमेरिकी संस्कृति
  5. पूर्वी यूरोपीय संस्कृति
  6. दक्षिण अफ्रीकी और अफ्रीकी उच्च भूमि संस्कृति
  7. ओसनिया या ऑस्ट्रेलिया संस्कृति

पश्चिमी यूरोपीय संस्कृति में प्रोटेस्टेंट समुदाय के कारण आधुनिक प्रगतिशील विचारों को अपनाया गया। फलस्वरुप उच्च तकनीकी स्तर, औद्योगिकरण एवं नगरीकरण यहां पाया जाता है। उच्च सामाजिक स्तर के अंतर्गत कुल साक्षरता, स्त्रियों की उच्च साक्षरता, खुले समाज जैसे तत्व विकसित हुए हैं। लेकिन साथ ही भौतिकवादी संस्कृति के कारण निजी जीवन को प्रमुखता, विवाह और परिवार जैसी संस्थाओं का टूटना आदि समस्याएं भी उत्पन्न हुई है।
दक्षिणी यूरोपीय संस्कृति में कैथोलिक समुदाय के प्रभाव के कारण धर्म के परंपरागत रूढ़िवादी मान्यताओं का प्रभाव भी बना हुआ है। यहां विकास का स्तर पश्चिमी यूरोपीय संस्कृति की तुलना में पिछड़ा हुआ है। 

आंग्ल अमेरिकी संस्कृति में USA एवं कनाडा आते हैं। यहां पश्चिमी यूरोपीय जनसंख्या ही प्रवाशित हुई है। फलत: तीव्र औद्योगिकरण, सामाजिक और आर्थिक विकास का स्तर, पश्चिम यूरोप के समान ही है। लेकिन अमेरिकी संस्कृति मेक्सिको से दक्षिण चिली तक ही पाई जाती है। यहां दक्षिणी यूरोप मुख्यतः स्पेन और पुर्तगाल से जनसंख्या प्रवाशित हुई। अतः यहां भी कैथोलिक संप्रदाय का प्रभाव व्यापक रूप से है। यह प्रदेश विकासशील अवस्था में हैं और आर्थिक सामाजिक विकास का स्तर कम विकसित है।

पूर्वी यूरोपीय सांस्कृतिक प्रदेश में सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादी, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का विकास हुआ, जहां कृषि क्षेत्र में कोलखोज और सोवखोज जैसी कृषि संस्कृतियां विकसित हुई। यहां भी कैथोलिक संप्रदाय का प्रभाव रहा, लेकिन 1980 के दशक के अंत तक प्रगतिशील विचारों वाली प्रतिक्रियावादी आंदोलन ने इसे वर्तमान में पश्चिमी यूरोपीय संस्कृति के करीब ले आया है और नवीन आर्थिक नीतियां अपनाई जा रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका में भूमध्यसागरीय जलवायु के क्षेत्र एवं मध्य अफ्रीका के उच्च भूमि के बागानी फसलों के क्षेत्र में ईसाई धर्म के लोगों का बसाव है। ओसनिया या ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र में भी पश्चिमी यूरोपीय देशों से ही जनसंख्या अधिवासित हुई है, जहां विकास का स्तर तीव्र है। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी और ओसनियाई देशों में भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप सीमित रूप से परिवर्तन भी हुआ है।

  • इस्लामिक सांस्कृतिक प्रदेश : यह इस्लाम धर्म के मानने वालों का प्रदेश है, जिसमें मध्य पूर्व के देश मुख्यत: आते हैं। इसका विस्तार दक्षिण पश्चिम में मोरक्को से उत्तर-पूर्व में अफगानिस्तान तक तथा पूर्व में बलूचिस्तान से पश्चिम में तुर्की तक है। इसे अरब सांस्कृतिक प्रदेश भी कहते हैं। इस प्रदेश पर धर्म का सर्वाधिक प्रभाव है। जिसका संबंध भौगोलिक परिस्थितियों और इस प्रदेश के कठिन जीवन से है। पांच बार मक्का की दिशा में नमाज अदा करने की प्रथा से समय और दिशा का निर्धारण होता है।
    पुनः मांसाहार का धर्म में मान्यता मिलने का कारण कृषि क्षेत्रों की कमी है। लेकिन साथ ही इस्लाम के व्यापक प्रभाव के कारण धार्मिक कट्टरवादीता और रूढ़िवादिता की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। वर्तमान में तेल उत्पादन के कारण आर्थिक दृष्टि से यह प्रदेश विकसित हो चुका है और आधुनिक जीवन शैली को अपनाया जा रहा है। लेकिन सामाजिक पिछड़ेपन की स्थिति बनी हुई है।
  • इंडिक सांस्कृतिक प्रदेश : यह मुख्यतः भारत में विकसित है जो पश्चिम में सिंधु नदी पूर्व में नंगा पर्वत और दक्षिण में हिंद महासागर द्वारा निर्धारित होता है। यहां विभिन्न धर्म के लोग सम्मिलित रूप से निवास करते हैं। यहां विश्व के सर्वाधिक हिंदू, मुस्लिम, सिख एवं पारसी जनसंख्या पाई जाती है। अतः इस सांस्कृतिक प्रदेश पर किसी एक धर्म का प्रभाव नहीं है। लेकिन वैदिक परंपराओं तथा वैदिक संस्कृति का प्रभाव बना हुआ है। इस प्रदेश को बहुवादी सांस्कृतिक प्रदेश कहा जाता है। धर्म की तुलना में प्राकृतिक कारकों का विशेष प्रभाव है। मानसूनी, कृषि, सांस्कृतिक एकता के प्रमुख कारक है। ब्रॉक ने इसे बैलगाड़ी की संस्कृति, ग्रामीण संस्कृति एवं कृषि संस्कृति कहा है। इसे विविधता में एकता वाली संस्कृति भी कहा जाता है। क्योंकि धार्मिक, भौगोलिक, भाषाई विविधता होने के बावजूद एकता के तत्व भी यहां पाए जाते हैं।
  • पूर्वी एशियाई सांस्कृतिक प्रदेश : इसका विस्तार चीन, मंगोलिया, उत्तर एवं दक्षिण कोरिया, जापान एवं ताइवान में है। यहां मंगोलायड प्रजाति के लोग निवास करते हैं और बौद्ध धर्म की प्रमुखता है। चीन जैसे देश में वर्तमान में धार्मिक प्रभाव में कमी आई है और बौद्ध धर्म के आधुनिक रूप को स्वीकार किया गया है। अर्थात बौद्ध धर्म की मान्यताओं का वैज्ञानिक कारण हुआ है। अतः विकास की गति तीव्र हुई है। यहां जापान, दक्षिण कोरिया में औद्योगिक और महानगरीय संस्कृति का विकास हुआ है। जापान में विकसित देशों की तरह तीव्र औद्योगिक नगरीय विकास हुआ है। सामाजिक विकास भी विकसित देशों की तरह ही है।

लघु सांस्कृतिक प्रदेश

  • दक्षिण-पूर्वी एशियाई सांस्कृतिक प्रदेश : दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में मिश्रित संस्कृति प्रदेश का विकास हुआ है। जहां विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न धर्मों की बहुलता है। जैसे बाली द्वीप पर हिंदुओं की, फिलिपिंस में ईसाई, कंबोडिया एवं लाओस में बौद्ध धर्म, इंडोनेशिया एवं मलेशिया में इस्लाम धर्म की बहुलता है। क्योंकि द्वीपीय स्थिति होने के कारण यहां के विभिन्न द्वीपों के लोग आपस में ही अंतर आकर्षित हुए, अतः मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ। जहां सभी धर्मों के लोग अधिवासित हैं। यहीं सिंगापुर एवं हांगकांग में नगरीय और औद्योगिक संस्कृति विकसित हुई है।
  • मेसो अफ्रीकन सांस्कृतिक प्रदेश : यह जनजातीय लोगों की संस्कृति प्रदेश है और मुख्यत: अफ्रीकी जनजातियों को इसमें सम्मिलित किया जाता है। अन्य क्षेत्रों के भी जनजातीय प्रदेश इसी सांस्कृतिक प्रदेश के अंग हैं। लेकिन विकसित जनजातियों को, जिनका अंतर आकर्षण बाहरी लोगों से पूर्णतः हो चुका है। जैसे USA का रेड इंडियन, साइबेरिया का यूकाधीर, मध्य-एशिया का कजाक जैसी जनजातियों को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता है। वर्तमान में इस प्रदेश की जनजातियों में भी परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी हैं। इस तरह विश्व को विभिन्न सांस्कृतिक परिमंडल में कई कारको और कारकों की अंतर क्रिया के आधार पर विभाजित किया गया है।