- जीवन प्रत्याशा
- शिक्षा का स्तर
- प्रतिव्यक्ति वास्तविक आय
- उच्च मानव विकास श्रेणी – इसमें वैसे देश सम्मिलित किए जाते हैं, जिनका HDI मूल्य 0.8 से अधिक होता है। जैसे – नॉर्वे (प्रथम) उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड को जगह मिली।
- मध्यम मानव विकास श्रेणी – इसमें वैसे देश सम्मिलित किए जाते हैं जिनका HDI मूल्य 0.5 से 0.8 के बीच होता है। जैसे – वियतनाम, ईराक, नामिबिया, भारत, भूटान और बांग्लादेश।
- निम्न मानव विकास श्रेणी – इसमें वैसे देश सम्मिलित किए जाते हैं। जिनका HDI मूल्य 0.5 से कम होता है। जैसे – युगांडा, रवांडा, नाइजीरिया, चाड, माली, इरिट्रिया, सूडान, यमन, इथोपिया और लीबिया।
HDI का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक द्वारा किया गया था। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया हैं। मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने के लिए, महबूब उल हक ने पॉल स्ट्रीटन, शशांक जायसवाल, फ्रैन्सस स्टीवर्ट, गुस्ताव रानीस, कीथ ग्रिफिन, सुधीर आनंद और मेघनाद देसाई सहित विकास अर्थशास्त्रियों के एक समूह का गठन किया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मानव क्षमताओं पर अपने काम में हक के काम का इस्तेमाल किया। मानव विकास सूचकांक को मापने की निम्नलिखित विधि है।
- LRI – जीवन प्रत्याशा सूचकांक,
- EAI – शिक्षा प्राप्ति का सूचकांक
- SLI – जीवन स्तर का सूचकांक
मानव विकास रिपोर्ट 2005
- उप-सहारा अफ्रीकी प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 1980 में विकसित देशों का 13 गुना थी, जो वर्तमान में 29 गुना हो गई है। पुनः कुछ विकासशील देश जैसे चीन एवं भारत ऐसे हैं, जहां राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है। लेकिन शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं आई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में 189 देशों में मानव विकास सूचकांक की सूची में भारत का स्थान 131वां, भूटान 129वें, बांग्लादेश 133वें, नेपाल 142वें तथा पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा।
- PHDI को शामिल करने के बाद, 50 से अधिक देश ‘उच्च मानव विकास समूह’ से बाहर हो गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे जीवाश्म ईंधन और भौतिक पदचिह्न पर अत्यधिक निर्भर हैं।
- भारत का मानव विकास रिपोर्ट – UNDP के तर्ज पर भारत ने मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करना प्रारंभ किया है। सर्वप्रथम 2002 में भारत की मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इस रिपोर्ट में मानव विकास सूचकांक तथा मानव निर्धनता सूचकांक तैयार किया गया है।
- मानव विकास सूचकांक – इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सूचक सम्मिलित है। शिक्षा को साक्षरता दर, विद्यालय में बिताए गए औसत वर्ष, जैसे उपसूचकों से परिभाषित किया गया है। स्वास्थ्य को शिशु मृत्यु दर, 1 वर्ष की उम्र में जीवन संभावना दर, जैसे उपसूचकों से तथा आर्थिक सूचक को प्रतिव्यक्ति व्यय जैसे उप-सूचकों से परिभाषित किया गया है।
- मानव निर्धनता सूचकांक – इसमें निर्धनता के साथ-साथ, आवास, आस-पास का वातावरण, मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच के उप-सूचक का प्रयोग किया गया है।
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