दुग्धेश्वर मंदिर कहां है?

दुग्धेश्वर महादेव मंदिर का संबंध उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से है। गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का एक विकसित औद्योगिक क्षेत्र है जो देश की राजधानी दिल्ली से लगा हुआ है। यहां से प्राचीन कालीन नदी हिंडन बहती है। इस नदी का वर्णन सिंधु घाटी सभ्यता के काल में भी किया गया है। उस समय यह एक बड़ी नदी के रूप में गिनी जाती थी। इस प्रकार कह सकते हैं कि दूधेश्वर महादेव मंदिर हिंडन नदी के किनारे स्थित है।

ऐसा माना जाता है कि रावण के पिता पंडित विश्ववा जो गौतमबुद्ध नगर (नोयडा) के क्षेत्र में बसे एक गांव बिसरख का रहने वाला था। रावण के पिता ने भगवान शंकर की घोर तपस्या की, जिसके बाद भगवान शंकर ने आशीर्वाद के तौर पर शिवलिंग दिया। मगर देने से पहले यह कह दिया था कि इसे जमीन पर मत रखना। लेकिन कुछ आवश्यक कार्य लगने के कारण इन्होंने भगवान शिव के शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। उसके बाद लाख कोशिश करने के बाद भी शिवलिंग को उस स्थान से हटा नहीं पाए और यह दुग्धेश्वर महाराज मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया। जिसे लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था।

दूधेश्वरनाथ महाराज का मंदिर शंकर भगवान का मंदिर है। वैसे तो मथुरा वृन्दावन, दिल्ली से लगभग 160 किमी दूर श्री कृष्ण की जन्मभूमि है, जो अपने आप में विश्व प्रसिद्ध है। यहां पहुंचने में लगभग 3 घंटे का समय लग जाता है। इसके लिए यमुना एक्सप्रेस-वे ही सबसे सर्वोत्तम हाईवे है, जो नोएडा से शुरू होता है। उत्तर प्रदेश में ही श्री राम जन्मभूमि अयोध्या भी है, जो एक विश्व प्रसिद्ध स्थल है। लेकिन जब भगवान शंकर की बात आती है, तो उत्तर प्रदेश में भगवान शंकर का साक्षात प्रारूप गाजियाबाद में ही दूधेश्वर मंदिर के रूप में देखने को मिलता है।

आज भी बिसरख गांव के कुछ लोग दशहरे के अवसर पर शोक मनाते हैं। इसके अलावा थारू जनजाति के लोग दीपावली को शोक के रूप में मनाते हैं। यह जनजाति भारत के तराई क्षेत्र में पाई जाती है।

यातायात के मामले में भी यहां आना बहुत ही आसान है। अगर आप दिल्ली से बाहर रहते हैं तो इसके लिए हवाई जहाज, बस और ट्रेन आदि सुविधाएं उपलब्ध है जिसके द्वारा आप इस मंदिर तक आसानी से आ सकते हैं। यदि आप दिल्ली के आसपास रहते हैं तो इसके लिए ट्रेन, बस एवं अन्य यातायात सुविधाएं है, जो 24 घंटे उपलब्ध हो जाती हैं। इस प्रकार इस मंदिर के दर्शन करने के लिए यात्रा से संबंधित किसी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं है। यहां पर पहुंचना बहुत ही आसान है।

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