इसकी शुरुआत मुंबई में 1890 में हुई थी। इसमें 3 घंटे के अंदर खाना घर से लेकर दफ्तर तक पहुंचता है। जिससे सरकारी एवं गैर-सरकारी कर्मचारी को बाहर खाने की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें खाना दफ्तर में ही प्राप्त हो जाता है, वो भी घर के स्वाद जैसा। ये लोग प्रतिदिन 60-70 किमी तक की दूरी तय करके खाने की सप्लाई करते हैं। खाने की सप्लाई करने के लिए साइकिल, मोटरसाइकिल, रिक्सा और मुंबई लोकल ट्रेन की मदद लेते हैं।
काम से जुड़े प्रत्येक कर्मचारी को 12000 -20000 रुपये मासिक मिलता है। अब तो जो कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही हैं। वह प्रति डिलीवरी के हिसाब से पेमेंट करती हैं। जिसके कारण कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी को अच्छा-खासा वेतन प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा कुछ कंपनियां इंसेंटिव की व्यवस्था भी रखती हैं जिसके कारण कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा आर्डर सप्लाई करते हैं। ये सभी सुविधाएं सभी डब्बे वाला के कर्मचारियों को प्राप्त होती है। इसके अलावा अगर कोई इस संस्था के नियम तोड़ता है तो उसे कुछ रूपए का जुर्माना भरना पड़ता है।
भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगिकरण को बढ़ावा दिया गया, जिसके कारण डब्बे वाला समूह ने बहुत तेजी से विकास किया। वर्तमान समय में भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में इस तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। भारत में जो शहर मेट्रोपॉलिटन सिटी कहलाते हैं। उनके अंदर औद्योगिकरण का विकास बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण डब्बे वाले समूह खाना पहुंचाने में अब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान समय में बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए कर्मचारी 24 घंटे कंपनियों एवं फैक्ट्रियों में काम करते हैं। जिसके कारण उन्हें भोजन की आवश्यकता भी पड़ती है। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए डब्बे वाला एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
आधुनिक समय में भोजन की पूर्ति करने के लिए कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर जोमैटो, स्वैगी, शुद्ध भोजनालय तथा रसोई आपके द्वार आदि संस्थाएं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भोजन की डिलीवरी समय के अनुसार करती हैं।
इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी अच्छा वेतन प्राप्त करते हैं तथा ओवरटाइम करने पर इन्हें दुगना वेतन दिया जाता है। यह कंपनियां भी कुछ शर्तों के अनुसार काम करती हैं। जैसेकि अगर भोजन की डिलीवरी में देरी हो जाती है, तो कुछ कंपनियों के अनुसार भोजन की पूरी कीमत को माफ कर दिया जाता है। इसका भार कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी को वहन करना पड़ता है। इस प्रकार ये कंपनियां अपने ग्राहकों के प्रति भोजन की शुद्धता के साथ-साथ समय का पालन करती हैं तथा शुद्धता के सारे मानकों का अनुपालन करते हैं।
डब्बावाला समूह के प्रसिद्ध होने के कारण
जैसे कि हम बता चुके हैं कि डब्बे वाला एक ऐसा समूह है जो कंपनियों में काम कर रहे सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मचारियों के भोजन की व्यवस्था करता है। वर्तमान समय में डब्बे वाला समूह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में उभरकर सामने आया है। इसके निम्नलिखित कारण है –
- डब्बे वाला समूह जो खाना पहुंचाता है। वह घर जैसा शुद्ध होता है।
- खाने की डिलीवरी समय के अनुसार होती है।
- डिलीवरी की व्यवस्था 24 घंटे तैयार है। जब भी आपको भूख लगे, आप आदेश के अनुसार खाना मंगवा सकते हो।
- खाना समय पर न पहुंचने के कारण कर्मचारी को इसका दंड भुगतना पड़ता है तथा खाना ऑर्डर करने वाले को इसमें छूट दी जाती है।
- जो कंपनियां भोजन की सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं उन्होंने ऑनलाइन पेमेंट लेने की व्यवस्था कर रखी है, जिसके कारण ग्राहकों को पेमेंट करने में आसानी हो जाती है।
- डब्बे वाला या टिफिन पहुंचाने वाले समूह ने रोजगार को भी बढ़ावा दिया है।