साक्षरता किसी भी समाज और राष्ट्र के बौद्धिक स्तर का मानदंड होता है और मानव संसाधन का विकास एवं मानवीय दक्षता साक्षरता के स्तर एवं गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं। भारत में न्यून साक्षरता एक बड़ी चुनौती वर्तमान में भी बनी हुई है, जिससे प्रत्यक्ष एवं परोक्ष कई समस्याएं उत्पन्न हो रहे हैं। 2001 में भारत की साक्षरता प्रतिशत 65.38 थी, जो 2011 में बढ़कर 74.04% हो गई, अगर वर्तमान समय की बात करें तो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साक्षरता दर 77.7% है। जिसे बहुत अनुकूल नहीं कहा जा सकता, इस प्रकार भारत की साक्षरता दर, विश्व की साक्षरता दर 84% से कम है। लेकिन 1991 की तुलना में वृद्धि इस बात का संकेतक है कि साक्षरता कार्यक्रमों को सफलता मिल रही है।
1951 में साक्षरता प्रतिशत 18.33 थी जो 1991 में 54.21 हुई, जिसमें 2001 में थोड़ी वृद्धि हुई। लेकिन पुरुष एवं महिला साक्षरता में व्यापक अंतर बना हुआ है। 2001 में पुरुष साक्षरता 75.85% जबकि महिला साक्षरता 54.2% थी। इस विषमता के अतिरिक्त विभिन्न सामाजिक वर्गों में भी व्यापक विषमता मिलती है। सामान्यतः सामाजिक दृष्टि से पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं जनजातियों में साक्षरता का स्तर कम है।
2001 की जनगणना के अनुसार 37 करोड़ लोग निरक्षर थे। जो विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या है। भारत में साक्षरता वर्ग के अंतर्गत उन व्यक्तियों को शामिल किया जाता है जो किसी भी भाषा को पढ़-लिख सकते हैं। इसके अंतर्गत 7 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है।
स्पष्ट है कि साक्षर जनसंख्या में भी गुणवत्ता का स्तर भिन्न-भिन्न है। इस दृष्टिकोण से वास्तविक साक्षरता भी बौद्धिक ज्ञान के स्तर को बताता है, उसमें बहुत कमी है।
साक्षर जनसंख्या के अंतर्गत भी विभिन्न राज्यों में पर्याप्त विषमता मिलती है। केरल (96.2%), मिजोरम (91.33) तथा गोवा (88.75) जैसे राज्य तथा लक्षदीप (91.8) तथा दिल्ली (86.3) केंद्र शासित प्रदेश में 80% से अधिक साक्षरता मिलती है। जबकि बिहार (61.8), झारखंड (66.4), जम्मू कश्मीर (67.2), अरुणाचल प्रदेश (65.3) तथा उत्तर प्रदेश (67.68) जैसे राज्य में साक्षरता का स्तर एकदम कम है। स्पष्ट है कि साक्षरता दर में पर्याप्त विषमता मिलती है।
86 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत 6-14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित किया गया है और शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है। सर्वशिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत 2010 तक सर्वभौमिक प्राथमिकता शिक्षा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 85% साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है। इस तरह सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ एनजीओ, निजी क्षेत्र, निजी विद्यालय आदि का सहयोग भी प्राप्त किया जा रहा है। इन प्रयासों से साक्षरता में सुधार के लक्ष्य दृष्टिगत हो रहे हैं। लेकिन अभी इस दिशा में और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्तर के साथ ही सामाजिक संगठन को भी आगे आने की जरूरत है, ताकि साक्षरता अभियान को सफल किया जा सके।
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