इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल होता है, जिसे पेट्रोल के साथ एक निश्चित अनुपात में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का मुख्य स्रोत गन्ने की फसल है, मगर इसके अलावा भी एथेनॉल शर्करा वाली फसलों से प्राप्त किया जाता है। इथेनॉल, पर्यावरण अनुकूल ईंधन है, जो धूएं में निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन को 35 फीसदी तक कम कर देता है। इसके इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में भी कमी आती है। इसलिए इथेनॉल को इको-फ्रेंडली या पर्यावरण के अनुकूल भी कह सकते हैं।
इथेनॉल के स्रोत
सामान्य तौर पर, इथेनॉल, गन्ने से प्राप्त शीरे के द्वारा तैयार किया जाता है। किंतु शर्करा वाली फसलों से भी एथेनॉल को तैयार कर सकते हैं।
हाल ही में, सरकार द्वारा अब उच्च तकनीक के माध्यम से चावल से भी एथेनॉल तैयार करने की योजना बना रही है।
इथेनॉल का उपयोग
वर्तमान समय में अर्थात कोरोना काल के दौरान इथेनॉल के द्वारा सैनिटाइजर बड़ी मात्रा में बनाया गया। अर्थात इथेनॉल के माध्यम से सैनिटाइजर भी बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल स्पिरिट लैंप, स्टोव एवं मोटर इंजनों में पेट्रोल के साथ किया जाता है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की मदिरा (शराब) को बनाने में, घाव को धोने में एवं रोगाणु नाशक के रूप में भी इसका इस्तेमाल (प्रयोगशाला में) किया जाता है।
इथेनॉल की आवश्यकता क्यों पड़ी
पिछले कुछ सालों से इथेनॉल का इस्तेमाल पेट्रोल में 10% के अनुपात में किया जाता था। मगर हाल ही में, सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एवं बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए 2023 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथेनॉल का इस्तेमाल किया जाएगा। ताकि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से जनता को राहत मिल सके। तथा तेल आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके।
हाल ही में, केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश में फ्लेक्स फ्यूल इंजन को अनिवार्य करने की बात कही है, जिसके माध्यम से पेट्रोल में 85 प्रतिशत तक इथेनॉल को मिलाकर यह इंजन कार्य करने के सक्षम होगा। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि इथेनॉल आने वाले समय का वैकल्पिक ईंधन है।
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