Flex शब्द अंग्रेजी के Flexible शब्द से निकला है। अर्थात ऐसा इंजन जो पेट्रोलियम ईंधन के अलावा किसी दूसरे ईंधन पर भी चल सकता है। जैसे इथेनॉल और मेथेनॉल जैसे पदार्थों से बना ईंधन। यह एक ऐसा इंजन होता है जिसमें इथेनॉल और मेथेनॉल को पेट्रोल एवं डीजल के साथ निश्चित अनुपात में मिलाकर चलाया जा सकता है।
इसीलिए हाल ही में, सरकार ने यह फैसला किया है कि फ्लेक्स इंजन को आने वाले समय में अनिवार्य कर दिया जाए। अर्थात सरकार सभी वाहन निर्माता कंपनियों को भविष्य में यूरो-6 मानक के तहत फ्लेक्स इंजन बनाने को कह सकती है। यह घोषणा केंद्रीय परिवहन एवं राज्य मंत्री नितिन गडकरी द्वारा की गई। इसका कारण यह है कि जिस दर से पेट्रोलियम उत्पाद के मूल्य बढ़ रहे हैं, उनके मूल्य को कम करने के लिए यह एक वैकल्पिक साधन हो सकता है। इसके साथ-साथ यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। फ्लेक्स इंजन में 85 प्रतिशत इथेनॉल तथा 15 प्रतिशत पेट्रोल के मिश्रण का प्रयोग किया जा सकता है।
दुनिया में ब्राजील एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर सबसे ज्यादा फ्लेक्स इंजन आधारित गाड़ियां प्रयोग में लाई जाती हैं।
सरकार भारत में फ्लेक्स इंजन लाने पर इतना जोर दे रही है, इसके निम्नलिखित कारण है।
- यह पर्यावरण के अनुकूल है।
- पेट्रोलियम उत्पाद के संदर्भ में यह सस्ता है।
- इस ईंधन को पुनः उत्पादित किया जा सकता है।
- इस इंजन के आने के बाद किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
- पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।
- देश में मक्का एवं गन्ने का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में होता है इसलिए इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।
- विदेश में जाने वाली मुद्रा को रोका जा सकता है।
- पेट्रोलियम पदार्थों के जलने से कार्बन का उत्सर्जन अधिक होता है, जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करता है। जबकि इथेनॉल या फ्लेक्स इंजन इसका एक अपवाद है।
- यह पेट्रोल एवं डीजल के मुकाबले सस्ता है।