माइक्रोफोन से लेकर ऑटोमोबाइल तक सभी में सेमी-कंडक्टर (Semi-conductor) का प्रयोग किया जाता है। दरअसल इसे अर्धचालक (Semi-Conductor) के नाम से भी जानते हैं। कंडक्टर धारा प्रवाह का शुद्ध माध्यम होता है, मगर उसमें अन्य पदार्थ का मिश्रण करने के बाद यह अर्धचालक या उप-चालक बन जाता है।
यह एक प्रकार की चिप (Chip) के समान होता है। यह सिलिकॉन (Silicon) तथा जर्मेनियम (Germanium) से मिलकर तैयार किया जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स तथा ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुछ समय पहले कोरोना काल के दौरान सेमीकंडक्टर की चिप के उत्पादन में कमी आई थी, जिससे कंपनियों का उत्पादन (Production) घट गया एवं बहुत-सी कंपनियों को अपने प्लांट बंद करने पड़े। जिसके कारण दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की कमी के करण ऑटोमोबाइल्स एवं इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। और बहुत-सी ऑटोमोबाइल कंपनियां सही समय पर डिलीवरी नहीं दे पा रही है। इन्हीं समस्याओं को सुलझाते हुए भारत सरकार ने सेमी-कंडक्टर के निर्माण क्षेत्र में आने का फैसला किया है, जिसमें सरकार 76,000 करोड रुपए का निवेश करेगी।
सेमीकंडक्टर का उपयोग
सेमी-कंडक्टर का संबंध ऑटो (Auto) से लेकर सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सामान से जुड़ा है। उदाहरण के लिए कंप्यूटर, मोबाइल, कार, एसी, बल्ब एवं अन्य प्रकार के घरेलू सामान आदि सभी में सेमी-कंडक्टर का प्रयोग किया जाता है।
सेमीकंडक्टर के प्रति भारत का नया पहलू
हाल ही में, भारत सरकार के निर्णय के अनुसार सेमी-कंडक्टर का उत्पादन भारत में किया जाएगा, जिससे कोरिया, ताइवान एवं चीन से आयात किए गए सेमीकंडक्टर पर निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। क्योंकि भारत पूर्ण रूप से सेमी-कंडक्टर का आयात करता है। सरकार सेमी-कंडक्टर के उत्पादन में क्षेत्र में 76,000 करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है। जिससे भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
सेमी-कंडक्टर के उत्पादन से भारत को लाभ
- देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं ऑटोमोबाइल सेक्टर में बढ़ोतरी होगी, जिससे गाड़ियों एवं अन्य सामानों की डिलीवरी समय पर की जा सकती है।
- अर्थव्यवस्था में विकास होगा।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बढ़ेगी।
- उत्पादन शुरू होने के बाद सेमी-कंडक्टर का निर्यात किया जा सकता है।