क्या है HIV वायरस?

एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS-Acquired Immune Deficiency Syndrome) है तथा एचआईवी (HIV-Human Immunodeficiency Virus) का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस है। एड्स कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक प्रकार का वायरस है, जो व्यक्ति के रक्त में पहुंचकर उसके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना देता है, जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में रोगाणुओं तथा विषाणुओं से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। जिसके कारण वह बीमार हो जाता है।

किसी भी स्वास्थ्य व्यक्ति के शरीर में यह वायरस निम्नलिखित कारणों से पहुंच जाता है, जैसे संभोग करने से, एड्स प्रभावित व्यक्ति के इंजेक्शन को किसी स्वस्थ व्यक्ति को लगाने से, एड्स व्यक्ति के ब्लड से, चुम्बन के दौरान लार से, मां के स्तनपान से, किसी एड्स प्रभावित व्यक्ति के ब्लड चढ़ाने तथा उसकी छींक के दौरान निकले वायरस से स्वस्थ व्यक्ति प्रभावित हो सकता है।

एड्स व्यक्ति के लक्षण

जब कोई स्वास्थ्य व्यक्ति एड्स जैसी बीमारी से प्रभावित होता है, तो उसके अंदर निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे – बुखार आना, सिर में दर्द, सीने तथा जांघों पर छोटे-छोटे दाने निकलना, मांसपेशियों में दर्द, रात को पसीना आना, थकान होना तथा वजन कम होना आदि मुख्य कारण है।

एड्स से दूर रहने के उपाय

एड्स बीमारी छूने से नहीं फैलती बल्कि यह ब्लड तथा लार से संबंधित एक वायरस है, जो व्यक्ति शरीर के अंदर पहुंचकर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म कर देता है। इस प्रकार इससे बचने के लिए निम्नलिखित उपाय दिए गए हैं –

  1. बिना प्रोटेक्शन (कंडोम) के अनजान स्त्री के साथ संभोग (सैक्स) नहीं करना चाहिए।
  2. इंजेक्शन की सुई का प्रयोग 1 बार से अधिक नहीं करना चाहिए।
  3. व्यक्ति की लार से दूर रहना चाहिए।
  4. खींचते वक्त मुंह पर रुमाल का प्रयोग करना चाहिए।
  5. ऑपरेशन के दौरान प्रयोग होने वाले मेडिकल उपकरण का प्रयोग एक से अधिक बार नहीं करना चाहिए।
  6. नाई से दाढ़ी बनवाते वक्त यह ध्यान रखें कि वह इस्तेमाल किए गए ब्लेड का प्रयोग दोबारा न करें।
  7. नाखून काटने के लिए भी एक ही ब्लेड का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

वर्तमान समय में एड्स बढ़ने का महत्वपूर्ण कारण संभोग तथा इंजेक्शन है, जिसके कारण यह फैल रहा है। एड्स प्रभावित व्यक्ति को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  1. किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए।
  2. अपने आसपास सफाई रखें।
  3. पूरी नींद ले।
  4. स्वास्थ्य से संबंधित व्यायाम करें।
  5. मानसिक तनाव से दूर रहें।
  6. नियमित रूप से जांच कराएं।
  7. जो पदार्थ शरीर के अंदर एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं उनका सेवन करें।
  8. फल तथा हरी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें।
  9. नियमित रूप से डॉक्टर के संपर्क में रहें।

HIV के लक्षण

शुरुआती दौर में एचआईवी के कारण शरीर में फ्लू यानी बुखार जैसी लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा सिरदर्द, डायरिया, उल्टी आना, गले का सूखना या प्यास लगना तथा छाती में लाल रैशेज होना आदि के लक्षण हो सकते हैं।

दुनिया में एड्स का सबसे पहले पता 1980 के दशक में चला। इस वायरस के कारण सबसे पहले चिंपैंजी, गोरिल्ला, बंदर और उसके बाद मनुष्य प्रभावित हुआ। भारत के संदर्भ में एड्स का सबसे पहले मामला 1986 में तमिलनाडु के शहर चेन्नई में मिला। यह जिस स्त्री में पाया गया वह सेक्स वर्कर थी। 1987 में इसके कारण 135 मामले सामने आए तथा 2006 तक लगभग 5.5 लाख लोग एड्स से प्रभावित हुए।

भारत से पहले यह वायरस 1920 में अफ्रीका के कांगो की राजधानी में देखा गया। तथा 1959 में कांगो के एक व्यक्ति के खून की जांच के दौरान एचआईवी वायरस के संकेत प्राप्त हुए। इस प्रकार अफ्रीका में सर्वप्रथम एड्स यानी एचआईवी को देखा गया।

लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष AIDS दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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