हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस (National Dolphin Day) के रूप में नामित किया गया है और यह इस वर्ष से शुरू होकर प्रतिवर्ष मनाया जाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु
- National Board for Wildlife (NBWL) की स्थायी समिति ने 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के रूप में नामित करने का यह निर्णय लिया।
- यह दिन जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित होगा क्योंकि यह गंगा डॉल्फिन सहित डॉल्फिन संरक्षण का एक अभिन्न अंग है।
- इस दिन डॉल्फ़िन के संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- गंगा और उसकी सहायक नदियों के पानी की गुणवत्ता और प्रवाह में सुधार पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि गंगा डॉल्फ़िन जीवित रह सकें।
डॉल्फ़िन का महत्व
डॉल्फ़िन एक स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (aquatic ecosystem) के एक आदर्श संकेतक (indicator) के रूप में कार्य करती हैं, इस प्रकार डॉल्फ़िन का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से न केवल प्रजातियों के अस्तित्व को लाभ होगा बल्कि उन लोगों को भी मदद मिलेगी जो अपनी दैनिक आजीविका के लिए जलीय प्रणाली पर निर्भर हैं।
गंगा की डॉल्फिन
गंगा डॉल्फिन एक संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती है। इस प्रजाति की स्थिति पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिति के साथ-साथ उस पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद अन्य प्रजातियों से संबंधित जानकारी प्रदान करती है। International Union for the Conservation of Nature Red List के तहत गंगा डॉल्फिन को लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 2012 और 2015 में, उत्तर प्रदेश वन विभाग ने WWF-इंडिया के साथ गंगा, चंबल, यमुना, बेतवा, केन, शारदा, सोन, गहागरा, गेरुवा, राप्ती और गंडक में 1,272 डॉल्फ़िन दर्ज की।
गंगा की डॉल्फ़िन को पानी के डायवर्जन, प्रदूषण, आवास विखंडन आदि के कारण खतरा है।
राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र पटना में प्रस्तावित किया गया है। इस अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
गंगा नदी में डॉल्फिन का आवास खतरे में है। इसीलिए, NDRC अब डॉल्फ़िन के संरक्षण तथा उसके खान-पान एवं आदतों पर गहन शोध के लिए प्रयास करेगा।
गंगा नदी डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जंतु है। इसे वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची में पशु के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसे International Union for Conservation of Nature (IUCN) द्वारा “लुप्तप्राय” घोषित किया गया है। गंगा नदी डॉल्फिन दुनिया भर में ताजे पानी की 4 डॉल्फिन प्रजातियों में से एक है। अन्य 3 मीठे पानी की डॉल्फ़िन चीन में यांग्त्ज़ी नदी (विलुप्त), पाकिस्तान में सिंधु नदी और दक्षिण अमेरिका में अमेज़ॅन नदी में पाई जाती हैं। वे कम से कम 5-8 फीट गहरे पानी को पसंद करते हैं और आमतौर पर अशांत पानी में पाए जाते हैं, ताकि उन्हें भोजन आसानी से मिल सके।
(National Dolphin Research Centre – NDRC)
सिंधु नदी की डॉल्फिन
सिंधु नदी डॉल्फिन को IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है। कुछ समय पूर्व तक सिंधु डॉल्फिन को पाकिस्तान के स्थानिक प्रजाति के रूप में जाना जाता था। डॉल्फिन की यह प्रजाति विश्व में सर्वाधिक खतरे का सामना कर रही है। इसे कैटासियन या सीतासियों श्रेणी में रखा जाता है। जिनमें व्हेल, डॉल्फिन तथा पोरपोइस शामिल है।