FRP (Fair & Remunerative Price) वह न्यूनतम दाम होते है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। Commission of Agricultural costs, (CACP) हर साल FRP की सिफारिश करता है।
दूसरे शब्दों में, FRP सरकार द्वारा घोषित मूल्य है, जिस पर मिलें किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान कानूनी कानूनी रूप से करने के लिए बाध्य हैं। मिलों के पास किसानों के साथ समझौते के लिए हस्ताक्षर करने का एक विकल्प है, जो मिलों द्वारा किसानों को किस्तों में एफआरपी का भुगतान करने की अनुमति प्रदान करता है।
भुगतान में देरी होने पर 15 प्रतिशत तक प्रतिवर्ष ब्याज लग सकता है और चीनी आयुक्त मिलों की संपत्तियों को संलग्न कर राजस्व वसूली के तहत बकाया के रूप में अदत्त एफआरपी की वसूली कर सकते हैं।
CACP गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है। उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है।
देशभर में FRP का भुगतान आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत जारी गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 द्वारा नियंत्रित होता है जो गन्ने की डिलीवरी की तारीख के 14 दिनों के भीतर भुगतान को अनिवार्य करता है।
28 जून, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 2023-24 के लिए गन्ने की उचित व लाभकारी मूल्य में ₹10 की बढ़ोतरी करते हुए ₹315 प्रति कुंटल करने की मंजूरी दी गई। सरकार ने इस सीजन में गन्ना उपजाने की लागत ₹157 प्रति कुंतल निर्धारित की है।
FRP की घोषणा हेतु प्रमुख कारक
- गन्ना उत्पादन की लागत
- वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों की वापसी और कृषि वस्तुओं की कीमतों की सामान्य प्रवृत्ति
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर चीनी की उपलब्धता
- चीनी उत्पादकों द्वारा बेची गई चीनी का मूल्य
- गन्ने से उत्पादित चीनी की मात्रा
- गन्ना उत्पादकों के लिए जोखिम और मुनाफे के कारण उचित मार्जिन
- गन्ने में चीनी के अलावा प्राप्त उत्पादों की बिक्री से होने वाली प्राप्ति अर्थात गुड़, खोई और उन पर आरोपित मूल्य।
नोट : FRP गन्ना उद्योग के पुनर्गठन को लेकर रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
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