NPR का पूरा नाम नेशनल पापुलेशन रजिस्टर है, जिसे हिंदी में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कहा जाता है।
NPR एक डेटाबेस या रजिस्टर है, जिसमें देश के सभी नागरिकों की सूची तैयार की जाती है। जिसके अंतर्गत नागरिक की जन्मतथि, जन्म स्थान, नागरिकता, वैवाहिक स्थिति तथा माता-पिता का नाम आदि से संबंधित जानकारी को इकट्ठा किया जाता है। ताकि सरकार द्वारा निकाली गई योजना को सुचारू रूप से लागू किया जा सके। इस प्रकार सरकार को यह जानकारी रहती है कि किस क्षेत्र में किस वर्ग के लोग ज्यादा रहते हैं।
इसके अंतर्गत कर्मचारी घर-घर जाकर सर्वे करते हैं तथा नागरिक से संबंधित जानकारी को इकट्ठा करते हैं। जिसके अंतर्गत नागरिक का नाम, लिंग, जन्मतिथि, उम्र, धर्म, शिक्षा, भाषा तथा वैवाहिक स्थिति के बारे में पूछा जाता है। इसके साथ-साथ उसका बायोमेट्रिक वितरण भी लिया जाता है। इसकी जानकारी प्रत्येक 10 वर्ष पर की जाती है।
NPR का डाटा कैसे तैयार किया जाता है?
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अर्थात NPR एक डेटाबेस है, इसे नागरिकता अधिनियम 1955 तथा नागरिकता अधिनियम 2003 के प्रावधान के आधार पर निम्न स्तर से उच्च स्तर (गांव/ब्लॉक/तहसील/जिला/राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर) पर तैयार किया जाता है। एनपीआर की पहली जनगणना 2010 में शुरू की गई थी, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सत्ता में थे, जिसे 2015 में अपडेट किया गया। उसके बाद अगली जनगणना 2021 के लिए नियोजित की गई। 2020 में हुए सर्वे के दौरान देश में काफी उतार-चढ़ाव आए। जिसके अंतर्गत दिल्ली का साइनबाग क्षेत्र काफी प्रसिद्ध रहा।
NPR तथा NRC में अंतर
- NRC असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची है, जबकि NPR असम को छोड़कर देश के सभी क्षेत्रों के लोगों से संबंधित सूचनाओं की सूची है।
- NRC में उन भारतीयों को शामिल किया गया है, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे हैं, जबकि NPR के अंतर्गत भारतीय क्षेत्र में 6 महीने से अधिक समय बिताने के बाद NPR सूचि में उनका नाम दर्ज किया जा सकता है।
- जो बांग्लादेशी नागरिक 25 मार्च 1971 के बाद असम में आए, उन्हें असम छोड़कर अपने देश वापस जाना होगा।
आखिर NPR की आवश्यकता क्यों पड़ी?
जैसे कि पहले बताया जा चुका है कि एनपीआर एक भारतीय नागरिकों का जनसंख्या डेटाबेस है। सरकार इसके माध्यम से यह अनुमान लगाती है कि किसी योजना को शुरू करने से पहले उसे किस आधार पर नियोजित किया जाए।