RT-PCR Test क्यों किया जाता है?

RT-PCR Test का पूरा नाम Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction Test है। यह टेस्ट कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है। जिसके माध्यम से वायरस के RNA (Ribonucleic Acid) की जांच की जाती है। यह जांच मरीज के ब्लड से नहीं बल्कि उसके नाक और गले से म्यूकोमा के अंदर वाली परत से एक छोटी सी प्लास्टिक या लकड़ी की सीक के माध्यम से स्पर्श किया जाता है।

RT-PCR Test की रिपोर्ट आने में लगभग 5-6 घंटे का समय लग जाता है, मगर कई बार यह समय बढ़ भी सकता है। कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि मरीज के अंदर कोरोनावायरस के लक्ष्ण नहीं होने के बाद भी रिपोर्ट के अनुसार, उसे पॉजिटिव घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार आरटी-पीसीआर को कोरोनावायरस की जांच का एक माध्यम माना जाता है। क्योंकि अगर किसी मरीज की सर्जरी होनी है तो RT-PCR के माध्यम से ही उसकी जांच की जाती है, उसके बाद ही उसकी सर्जरी होती है।

शुरुआती दौर में, कोरोनावायरस की जांच के लिए 2400 रुपए चार्ज करना होता था, मगर बाद में इसे ₹800 कर दिया गया। किसी किसी हॉस्पिटल में ₹500 भी चार्ज किया जाता है।

RT-PCR के साथ-साथ कोरोनावायरस की जांच के लिए एक टेस्ट भी होता है, जिसे Truenat के नाम से जाना जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से रिपोर्ट जल्दी आ जाती है। कोरोनावायरस के शुरुआती दिनों में यह काफी प्रसिद्ध रहा। साधारण तौर पर TB (Tuberculosis) बीमारी की जांच के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

हाल ही में, IIT, Delhi के Kusuma School of Biological Sciences के शोधकर्ताओं ने SARS CoV-2 के Omicron (B.1.1.1.529.1) वेरिएंट का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर की तर्ज पर एक किट जारी की है।

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