6G दूरसंचार के क्षेत्र में 6वीं पीढ़ी अर्थात 6th जनरेशन का एक पैरामीटर है। जो 5G नेटवर्क का विकसित वर्जन है। यह वर्तमान में वायरलेस संचार तकनीकी के विकास के अधीन हैं जोकि सेल्यूलर डाटा नेटवर्क का समर्थन करता है। इसके अंतर्गत सर्विस सेक्टर को छोटे-छोटे भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें सेल कहते हैं।
मोबाइल कंपनियां नोकिया, एरिकसन, सैमसंग, एलजी तथा एप्पल जैसी कंपनियों के साथ-साथ चीन, जापान, सिंगापुर तथा भारत जैसे देशों ने 6G नेटवर्क विकसित करने में रुचि दिखाई है तथा इन देशों में 6G नेटवर्क पर काम करना शुरू कर दिया है।
अगर देखा जाए तो भारत में भी 5G नेटवर्क आ गया है। Reliance company द्वारा यह अभी ट्रायल पर चल रहा है। आने वाले कुछ महीनों में यह काम करने लगेगा। 2023 के अंत में या 2024 के शुरुआती दिनों में 6G नेटवर्क को भी लांच किया जाएगा।
सिंगापुर तथा जापान के वैज्ञानिकों ने 2020 में घोषणा की थी कि वह 6G टेक्नोलॉजी की चिप में टेराहर्टज तरंगों (THz waves) का इस्तेमाल करेंगे। जो अभी उपलब्ध नहीं है, जिसके उपरांत यह 5G नेटवर्क के विपरीत अधिक उच्च आवृत्ति का उपयोग करने में सक्षम होगा और काफी अधिक क्षमता और कम समय में अधिक आउटपुट देगा।
उदाहरण के लिए 5G नेटवर्क में Metaverse का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके उपरांत डिजिटल स्पेस में क्रांति लाई जा सकती है मगर 6G नेटवर्क पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) और मशीन प्रोग्रामिंग (Machine Programming) पर निर्भर करेगा, जो नेटवर्क के मामले में अंतिम मॉडल हो सकता है।
टेराहर्ट्ज तिरंगे : यह तरंगे विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम पर अवरक्त तरंगों और माइक्रोवेव के बीच होती हैं। तथा बेहद छोटी और नाजुक होती है लेकिन वहां पर सर्वाधिक मात्रा में स्पेक्ट्रम मुक्त होता है जो प्रभावशाली डाटा दरों की अनुमति देता है।