दूध (Milk) के मामले में भारत का कोई तोड़ (Competitor) नहीं है, शायद इसी वजह से हम विश्व में सबसे बड़े दूध उत्पादक हैं। जिसका कारण भारत की 3/4 जनसंख्या गांव में निवास करती है। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा उससे संबंधित पशुपालन होता है। क्योंकि जिस देश में कृषि की जाती है, उस देश में पशुपालन 100 प्रतिशत किया जाएगा, अपवाद अलग बात है। जब दूध की बात होती है, मतलब गांव की बात होती है, जब गांव की बात होती है, उसका मतलब है कि भाषा भी गांव वाली ही होगी।
प्राचीन काल में भारत में दूध की नदियां बहती थी, ऐसा हमने सुना है, और यह सच भी है। मगर ग्रामीण लोगों के खर्चों में हुई बढ़ोतरी, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, तकनीकी सुविधाएं एवं रहन-सहन को देखते हुए आय (Income) कम होती जा रही है। बस यही कारण है कि गांव में दूध की नदियां (Rivers of the Milk) बहना बंद हो गई है। क्योंकि दूध का उत्पादन तो बहुत होता है, मगर जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें उसे बेचना (Sell) पड़ता है। इसलिए प्रति व्यक्ति दूध की खपत विकसित देशों के मुकाबले कम है। भारत देश में दूध का अधिकतम उत्पादन भैंसों द्वारा किया जाता है। उसके बाद गाय एवं अन्य जानवर आते हैं।
दूध क्या है?
दूध एक अपारदर्शी (Invisible) सफेद रंग का द्रव (Liquid) होता है, जो मादाओं की स्तन ग्रंथियों द्वारा बनाया जाता है। दूध में 75 प्रतिशत जल होता है तथा शेष भाग में खनिज तत्व एवं वसा होते हैं। दूध में सबसे अधिक मात्रा में कैल्शियम तथा प्रोटीन होता है। इसके साथ-साथ विटामिन (A, B, D, K, E), फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन तथा वसा आदि तत्व होते हैं। इसके अलावा अतिसूक्ष्म रूप में एंजाइम भी पाये जाते हैं। प्रत्येक जानवर के दूध में पाए जाने वाले तत्वों की मात्रा अलग-अलग होती है। भैंस का दूध गाढ़ा होता है तथा गाय का दूध पतला होता है तथा दोनों पशुओं से प्राप्त दूध का रंग भी भिन्न-भिन्न होता है। भैंस के दूध का रंग सफेद तथा गाय के दूध का रंग हल्का पीला (कैरोटीन नामक प्रोटीन के कारण) होता है।
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ एच. एस. छाबड़ा के अनुसार, भैंस का दूध, गाय के दूध से अधिक पौष्टिक होता है। क्योंकि उसमें अधिक खनिज तत्व पाए जाते हैं। मगर बच्चों के संदर्भ में, गाय का दूध बच्चों के लिए अधिक पौष्टिक माना जाता है। मगर जमाना बदल गया है, यह आधुनिक काल है। इसमें बच्चे मां का दूध न पीकर पैकेट का दूध पीते हैं। जब बच्चा जन्म लेता है तो उसे पैकेट का दूध (अपवाद अलग है) दिया जाता है। जिनमें मदर डेयरी, अमूल, पराग, आंचल एवं पारस आदि कंपनियां दूध की सप्लाई करती हैं। इस दूध के अंदर विटामिन ए, लौह और कैल्शियम को अलग से मिलाया जाता है। इन कंपनियों को हम किराए की मां भी कह सकते हैं। श्वेत क्रांति का संबंध दूध उत्पादन से है।
विश्व में दूध उत्पादक देश
जैसे कि सभी जानते हैं कि विश्व में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन भारत में किया जाता है, लेकिन वह दूध भैंस का दूध है, गाय के दूध उत्पादन के क्षेत्र में फिनलैंड प्रथम स्थान पर है। फिनलैंड, स्वीडन एवं नीदरलैंड ये देश दुनिया में सबसे ज्यादा दूग्ध उत्पादों का उत्पादन करते हैं। भारत के उत्तर-प्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन किया जाता है, जिसका कारण यहां भैंसों की संख्या सर्वाधिक है।
[जाने – किसके दूध में अधिक जान होती है – भैंस या गाय के]
दूध के प्रकार
दोस्तों हम ग्रामीण लोग तो सिर्फ दूध का एक ही प्रकार जानते हैं, जिसे हम पीते हैं। मगर इन कंपनियों ने दूध को भी अलग-अलग भागों में बांट दिया है। जैसे :
(1) पूर्ण दूध
स्वस्थ पशु से प्राप्त किया गया दूध, संपूर्ण दूध कहलाता है। यह प्योर (Pure) दूध है। इसमें किसी प्रकार की कोई मिलावट या, कोई तत्व नहीं निकाला गया है, जैसे क्रीम। संपूर्ण भोजन की बात करें तो इस प्रकार का दूध संपूर्ण आहार (Complete food) कहलाता है। यहां भैंस के दूध में लगभग 8 प्रतिशत एवं गाय के दूध में लगभग 5 प्रतिशत तक वसा (Fat) पाई जाती है।
(2) स्टैंडर्ड दूध
शुद्ध दूध में से जब क्रीम निकाल ले जाती है, तो बचे हुए दूध को स्टैंडर्ड दूध (Standard Milk) कहते हैं। जो बाजार में फुल क्रीम के नाम से बेका जाता है।
(3) टोंड दूध
शुद्ध दूध को सुखाकर, उसके बाद उसमें पानी मिलाकर टोंड दूध (Tond Milk) बनाया जाता है। इसमें लगभग 3% तक वसा होती है। ऐसा कंपनियां कहती है।
(4) डबल टोंड दूध
इस दूध में वसा की मात्रा 1.5 प्रतिशत तथा वसा विहीन ठोस पदार्थ 9 प्रतिशत निर्धारित किया जाते हैं।
(5) फील्ड दूध :
जब प्योर दूध में से बसा निकालकर उसमें प्राकृतिक वसा मिलाई जाती है तो उसके बाद प्राप्त किया गया दूध फील्ड दूध (Filled milk) कहलाता है।
(6) रिकंबाइंड दूध
इस दूध में बटर ऑयल, दूध पाउडर तथा पाने को एक निश्चित मात्रा में मिलाया जाता है। किस में वसा की मात्रा 3 प्रतिशत तथा बसा वहीं पदार्थों की मात्रा 8.5 प्रतिशत रखी गई है।
दूध से बने उत्पाद
दूध से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते हैं जैसे –
खीर, मावा (खोया), रबड़ी, कुल्फी, आइसक्रीम, दही, पनीर, मक्खन, घी, लस्सी, मट्ठा, लड्डू तथा लस्सी आदि उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा कंपनियां दूध से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बना रहे हैं।
क्या दूध एक संपूर्ण आहार है?
इसमें कोई संदेह नहीं कि दूध एक संपूर्ण आहार है। क्योंकि आज भी दुनिया में ऐसे लोग हैं, जो अन्न ग्रहण नहीं करते और सिर्फ दूध के ऊपर ही जिंदा है। अन्न न खाने के बावजूद भी उनके अंदर साधारण मनुष्य से अधिक ऊर्जा है। वह साधारण मनुष्य के मुकाबले अधिक समय तक जिंदा रहते हैं। उनकी पाचन क्रिया, उनका शारीरिक विकास, उनकी स्मरण शक्ति एवं योन शक्ति साधारण मनुष्य से अधिक होती है। जब बच्चा जन्म लेता है तो वह पूर्ण रूप से मां के दूध पर निर्भर रहता है। 1 वर्ष तक उसे अन्य किसी खाद्य पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दूध एक संपूर्ण आहार हैं।
मगर यहां कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दूध के अंदर विटामिन (विटामिन सी), एंजाइमों एवं अन्य खनिज लवणों का अभाव होता है। इसलिए दूध एक संपूर्ण आहार नहीं हो सकता।
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