जैसे कि हम जानते हैं कि पृथ्वी के वायुमंडल को निम्न भागों में बांटा गया है, जिनमें क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल, आयन मंडल और बाह्य मंडल इत्यादि है।
हम यहां आयन मंडल की बात करेंगे। इस मंडल में ऊंचाई के साथ तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है तथा विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है, जिन्हें आयन कहा जाता है। जब विद्युत आवेशित कण, बादलों में उपस्थित जल के बहुत बारीक कणों से टकराते या घर्षण करते हैं तो उनके टकराने से अति उच्च शक्ति की ऊर्जा पैदा होती है और इस उच्च शक्ति के कारण एक विशेष प्रकार की रोशनी एवं आवाज पैदा होती है। जिसे हम बादल का गर्जना कहते हैं। इन कणों से निकलने वाली ऊष्मा का तापमान लगभग 30K डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिक इस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं।
विज्ञान के अनुसार, प्रकाश की चाल आवाज की चाल से अधिक होती है, इसलिए जब बादल गरजता है तो उससे कुछ सेकेण्ड पहले ही एक तीव्र रोशनी दिखाई देती है। जो पृथ्वी पर आवाज से पहले पहुंच जाती है।