गंडक परियोजना बिहार, नेपाल तथा उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। 1959 के भारत-नेपाल समझौते के तहत इसका निर्माण किया गया। इस परियोजना के अंतर्गत गंडक नदी पर त्रिवेणी नहर के नीचे बिहार के बाल्मीकि नगर में एक बैराज बनाया गया है। जहां से लगभग 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। यहां से दो नहरें निकाली गई हैं, पश्चिमी गंडक नहर तथा सारन नहर।
- पश्चिमी गंडक नहर से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज और कुशीनगर को प्रत्यक्ष रुप से लाभ प्राप्त होता है।
- सारन नहर से बिहार के कुछ जिलों में सिंचाई की जाती है।
गंडक परियोजना का उद्देश्य
गंडक परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन करना है।
गंडक परियोजना की कमियां
इस परियोजना से जो नहरें निकाली गई हैं, उनके द्वारा महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर तथा बिहार के कुछ जिलों में इन्हें नहरों से सिंचाई की जाती है। विशेष रुप से महाराजगंज जिले के किसान अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए इन नहरों पर आश्रित हैं। मगर कुछ सालों से इन नहरों में पानी न आने के कारण किसानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। जबकि फसल उत्पादन के मामले में महाराजगंज जिले को मिनी पंजाब के नाम से भी जाना जाता है। पानी के अभाव के कारण किसानों की खरीफ की फसल पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है।