परमाणु हमले से कैसे बचा जा सकता है?

परमाणु बम एक ऐसा हथियार है, जिसका नाम सुनते ही छोटे देश ही नहीं, बल्कि बड़े देश भी डर जाते हैं। यह वो हथियार है जो मानव विनाश ही नहीं करता बल्कि प्रकृति में एक हलचल पैदा कर देता है। प्रथम बार जब 1945 में अमेरिका ने जापान के नागासाकी एवं हिरोशिमा पर इस हथियार का प्रयोग किया, उस समय लगभग 1,30,000 लोगों ने अपनी जान गवाई थी। यह आज से करीब 75 साल पहले की बात है। सोचो उस जमाने के परमाणु बम ने यह हाल किया था तो वर्तमान समय में बढ़ती टेक्नॉलॉजी एवं इंजीनियरिंग ने इस बम को क्या रूप दिया होगा।
वर्तमान समय में, जैसे हालात यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे हैं। उन हालातों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि परमाणु युद्ध नहीं हो सकता। आज रूस ने अपने सभी परमाणु हत्यारों को सतर्क कर दिया है।

क्या है परमाणु बम ?

परमाणु बम नाभिकीय विखंडन एवं संलयन पर कार्य करता है। इसमें विखंडित होने वाला पदार्थ यूरेनियम या प्लूटोनियम होता है। इनके विखंडन से ही परमाणु शक्ति उत्पन्न होती है। इसका प्रयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जा रहा है। आने वाले समय में यह विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करके अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता को कम कर सकता है। मगर वर्तमान समय में इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

परमाणु बम का प्रभाव

जब परमाणु विस्फोट होता है तो विस्फोट के बाद 35 प्रतिशत ऊर्जा तापीय विकिरण के रूप में निकलती है। जिसकी गति प्रकाश की गति से अधिक है। इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को उच्च प्रकाश एवं ऊष्मा की चमक महसूस होती है। चमक एवं ऊष्मा इतनी अधिक होती है कि व्यक्ति को दिखना ही बंद हो जाता है, जिसे फ्लैश ब्लाइंडनेस कहा जाता है। फ़्लैश ब्लेंडर्स कोई बीमारी नहीं है, बल्कि परमाणु विस्फोट से निकलने वाली उर्जा के कारण होने वाला अंधेरा है।

उदाहरण के लिए, अगर एक मेगाटन परमाणु बम का प्रयोग कर दिया जाए तो लगभग 21 किमी के दायरे में व्यक्तियों को कुछ समय के लिए दिखना बंद हो जाएगा। जब यह विस्फोट किया जाता है तो उससे निकलने वाली ऊष्मा इतनी प्रचंड होती है कि व्यक्ति की त्वचा को जला देती है।

ऐसा देखा गया है कि जिस समय जापान पर परमाणु बम का प्रयोग किया गया था। वहां वर्तमान समय में भी जन्म लेने वाले बच्चे पूर्ण रूप से स्वस्थ पैदा नहीं होते। इसका असर इतना भयानक होता है कि यह उस क्षेत्र की भौगोलिक दशा को ही बदल देता है।

जिस समय हिरोशिमा पर बम विस्फोट किया गया था। उस समय उस स्थल का तापमान लगभग 300000 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। सोचो जब गर्मी के मौसम में वायुमंडल का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हमें कितनी गर्मी महसूस होती है तो 300000 डिग्री सेल्सियस का तापमान क्या होगा? इस चीज से आप अंदाजा लगा सकते हैं। यह बात आज से लगभग 75 साल पहले की है।

  • जब कोई भारी तत्व (यूरेनियम या प्लूटोनियम) का परमाणु नाभिक टूटकर दो या दो से अधिक भागों में बट जाता है या किन्हीं दो हल्के भागों के परमाणु मिलकर एक नया तत्व बनाते हैं तो दोनों ही स्थिति में, ऊष्मा उत्सर्जित होती है। यही ऊष्मा नाभिकीय ऊर्जा या नाभिकीय विखंडन कहलाती है।

परमाणु हमले से बचने के उपाय

परमाणु आक्रमण को झेल चुका जापान अब इस मोर्चे पर सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है। जापान सरकार का अनुमान है कि यदि उत्तर कोरिया परमाणु आक्रमण करता है तो जापान कुछ ही समय में तबाह हो जाएगा। इसी वजह से वहां के नागरिक अपने घर के पीछे वाले हिस्से में परमाणु शेल्टर बनवा रहे हैं।

यह परमाणु शेल्टर स्टील और कंक्रीट के मिश्रण से तैयार किया गया है। इसके अंदर एक छोटा कमरा है। दीवारों की मोटाई 35 सेंमी है, जिससे परमाणु धमाके का कोई असर न हो।
परमाणु रोधी शेल्टर में एक वेंटीलेशन यूनिट मौजूद है। यह शेल्टर में ऑक्सीजन की मात्रा को नियंत्रित कर सकती है। वही हवा में मौजूद विकिरण को भी फिल्टर करती है, जिससे अंदर मौजूद लोगों को कोई नुकसान न हो।

यदि परमाणु हमला होता है तो लोग इसके अंदर छुपकर अपनी जान बचा सकते हैं। यहां तक की अति घातक हथियार, विषैली गैस, भूकंप और सुनामी से भी वह खुद को सुरक्षित कर पाएंगे।  [ भारत की परमाणु नीति