स्वामी विवेकानंद के अनुसार, “गंगा का जल, जल नहीं बल्कि अमृत है।” यह बात स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में सेंनफ्रांससिको, अमेरिका में कही थी।
विज्ञान के अनुसार, गंगा नदी का जल वैसे तो जीवाणुभोजियों के कारण शुद्ध होता है, परंतु डेलोविब्रियो बैक्टीरियोवोरस नामक जीवाणु अन्य जीवाणु का भक्षण करता है, जिसके कारण गंगा के जल में जीवाणु नहीं पाए जाते हैं एवं गंगा का जल शुद्ध रहता है।
पुराणों के अनुसार, गंगा नदी का उद्गम हिमालय पर्वत से हुआ है जोकि भगवान शंकर का स्थान है। ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी भगवान शिव के केसों (बालों) से प्रवाहित होती है। इसलिए इस नदी को सबसे पवित्र नदी माना गया है।
अन्य कारणों में, पहाड़ों से निकलने के कारण इस नदी में बहुत से खनिज पदार्थ एवं जड़ी बूटियां इस पानी में घुल जाती हैं, जिसके कारण इस नदी का पानी शुद्ध हो जाता है।
गंगा नदी के बारे में
गंगा नदी विश्व की सबसे पवित्र नदी है। जिसकी लंबाई 5525 किमी है। यह गंगोत्री हिमानी से निकलकर बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है। यह नदी जिन क्षेत्रों से गुजरती है, उस नदी के किनारे बसे गांव एवं शहर वर्तमान समय में पवित्र स्थान बन गए हैं। उदाहरण के तौर पर ऋषिकेश, हरिद्वार, बृजघाट, राजघाट, वाराणसी और प्रयागराज इत्यादि। देश-विदेश से लोग यहां स्नान करने के लिए आते हैं एवं पुराणों के अनुसार अपने किए गए पापों का प्रायश्चित करते हैं।