गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत क्या है?

जब भारत स्वतंत्र हुआ, उस समय विश्व सैद्धांतिक आधार पर दो भागों में विभाजित था। एक तरफ अमेरिका के नेतृत्व में पूंजीवादी लोग अर्थात पूंजीवादी व्यवस्था तथा दूसरी तरफ भूतपूर्व USSR (वर्तमान रूस) के नेतृत्व में साम्यवादी भाग था। इस दौरान प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हम विश्व में एक-दूसरे के विरुद्ध ताकत की राजनीति से दूर रहेंगे, जिसके कारण विश्व युद्ध हुए हैं तथा पुनः इससे विस्तृत पैमाने पर किसी विनाश को बढ़ावा दे सकती है। इसलिए मुझे लगता है कि भारत युद्ध को टालने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। इसलिए भारत किसी भी शक्तिशाली समूह के साथ शामिल नहीं होगा।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन राष्ट्रों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। जिन्होंने यह निश्चय किया कि विश्व के किसी भी ताकतवर शक्ति के संग या विरोध में शामिल नहीं होंगे। इस आंदोलन में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति कमाल अब्दुल नासिर तथा यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉक्टर सुक्रणों व घाना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अन्क्रूमा द्वारा प्रारंभ किया गया। जिसकी शुरुआत अप्रैल, 1961 में हुई थी।  यह मुख्य रूप से विकासशील देशों का संगठन है।

भारत गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन करेगा, अर्थात

  •  भारत किसी भी समूह में शामिल देश अथवा किसी भी देश के साथ सैन्य सहयोग नहीं करेगा,
  •  भारतीय विदेश नीति की एक स्वतंत्र दिशा होगी,
  •  भारत सभी देशों के साथ सोहार्द अर्थात मित्रता पूर्वक संबंध बनाने का प्रयास करेगा।

गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में स्थित है। वर्तमान में इसके 120 सदस्य देश हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का मुख्यालय जकार्ता में स्थित है
  2. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में 120 सदस्य देश हैं।
  3. भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक है और भारत ने साल 1983 को नई दिल्ली में 7वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
Scroll to Top
10 TYPES OF ROSES FOR YOUR LOVELY HOME OR GARDEN Benefits of Gulmohar Tree or Plant Some important facts about IRIS plant