हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हिंदू धर्म का नया साल अर्थात भारत का नया साल चैत नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात गुड़ी पड़वा पर हर साल विक्रम संवत के अनुसार चैत शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इसी दिन से नवरात्र भी प्रारंभ होते हैं। आर्य समाज स्थापना दिवस भी इसी दिन मनाया जाता है। 2 अप्रैल को 2022 का नया वर्ष मनाया जाएगा अर्थात हिंदू धर्म के अनुसार 2 अप्रैल से नया साल प्रारंभ होगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व
भारत में प्राचीन काल से ही चैत माह में नववर्ष मनाया जाता था और आज भी भारत में इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन जब भारत में अंग्रेजों का आगमन हुआ, उन्होंने अंग्रेजी भाषा को महत्व दिया। इसलिए वर्तमान समय में नई पीढ़ी के बच्चे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नया वर्ष मनाते हैं, जबकि यह भारतीय संस्कृति के अनुसार नहीं है। भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत महीने में ही नया साल मनाया जाता है। हमारे पूर्वजों ने चैत महीने को ही नया साल घोषित किया, क्योंकि फागुन के महीने में होली दहन के बाद हिंदू धर्म के लगभग सभी त्योहार खत्म हो जाते हैं और चैत का महीना सुहावने मौसम के साथ त्यौहारों का आगमन करता है। अर्थात चैत के महीने से भारतीय संस्कृति के अनुसार सभी त्यौहार आने प्रारंभ हो जाते हैं।
चैत महीने को नव वर्ष मनाने के पीछे निम्नलिखित कारण है जैसे :
- पेड़ों पर पतझड़ के बाद नए फूल एवं पत्तों का आगमन होता है।
- ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया था।
- नवरात्रों का प्रारंभ इसी दिन से होता है।
- महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसी दिन को विक्रम संवत के रूप में प्रारंभ किया था।
- रवि फसल का आगमन भी चैत माह से प्रारंभ हो जाता है। अर्थात फसल पकने का समय होता है।
- शरद ऋतु समाप्त होती है एवं ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होती है। अर्थात इस समय सुहावना मौसम होता है।
- वसंत ऋतु होने के साथ-साथ मौसम स्वास्थ्यवर्धक होता है एवं बीमारियां बहुत कम होती है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अगर आप किसी कार्य को प्रारंभ करना चाहते हैं तो यह सही समय होता है।
इस प्रकार अगर अंग्रेजी कैलेंडर से हिंदी कैलेंडर की तुलना की जाए तो चैत में नया साल मनाने के पीछे बहुत कारण है। जबकि पश्चिमी संस्कृति में ऐसा नहीं है। भारतीय संस्कृति के अनुसार 1 वर्ष को 12 महीनों में बांटा गया है जिनमें चैत, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्ग शीर्ष, पौष, माघ एवं फाल्गुन है। फागुन का महीना अर्थात साल का आखिरी महीना, होली के दहन के साथ ही समाप्त हो जाता है एवं वर्ष का प्रारंभ चैत माह से होता है जो कि एक वसंत ऋतु का भी मौसम है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में नया साल मनाने की अलग-अलग तिथियां है। जैसे
- पंजाब में नया साल बैसाखी के दिन मनाया जाता है जो कि 13 अप्रैल को पड़ती है।
- सिख, बंगाली, तमिल एवं तेलुगु के लोग 13-14 जनवरी को नये वर्ष के रूप में मनाते हैं। तमिल एवं तेलुगु लोग इसे पोंगल कहते हैं।
- उत्तर भारत अर्थात कश्मीरी लोग 19 मार्च को नया साल मनाते हैं।
- मारवाड़ी एवं गुजराती लोग दिवाली से अपना नया साल मानते हैं, क्योंकि वे व्यापारी लोग होते हैं एवं दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इसीलिए ये लोग दिवाली से अपना नया साल मानते हैं।