भौतिक विज्ञान भाग – 2

(1) कुछ अन्य महत्वपूर्ण मात्रक –

1 खगोलीय इकाई = 1.495*10 की घात 11 मी.
1 प्रकाश वर्ष = 9.45*10 की घात 15 मी.
1 पारसेक = 3.08*10 की घात 16 मी.
1 मीटा = 1.60934 किमी
1 नाभिक मीटा = 1.855 किमी
1 मीट्रिक टन = 1000 किग्रा
1 एकड़ = 4046.95 वर्ग किमी
1 हेक्टेयर = 2.5 एकड़
1 गेवेन = 3.785 लीटर
 
(2) वैज्ञानिक यंत्र तथा उनका उपयोग –
👉 अल्टीमीटर – विमानों की ऊंचाई मापने के लिए
👉 एनीमोमीटर – वायु की शक्ति और गति मापने के लिए
👉 एस्केलेटर – चलती हुई यांत्रिका सीढ़ियां
👉 बैरोमीटर – वायुमंडलीय दाब मापने के लिए
👉 कार्डियोग्राम – मनुष्य के हृदय गति को मापने के लिए
👉 ओडोमीटर – वाहनों के पहिए द्वारा तय की गई दूरी मापने के लिए
👉 स्फिग्मोमैनोमीटर – धमनियों में रुधिर के दाब को मापने के लिए
👉 रेडिएटर – मोटर गाड़ी के इंजन को ठंडा रखने के लिए
👉 पाइरोमीटर – उच्च ताप मापने के लिए
 
👉 मैकमीटर – वायु की गति को ध्वनि की गति के पदों में मापने के लिए
👉 मैनोमीटर – गैसों का दाब मापने के लिए
👉 टैकोमीटर – वायुयान की गति मापने के लिए
👉 ऑडियो मीटर – ध्वनि की तीव्रता मापने के लिए
👉 एवोमीटर – वीडियो में उत्पन्न दोष का पता लगाने के लिए
👉 बोलोमीटर – ऊष्मीय विकिरण मापने के लिए
👉 बाइनोकुलर्स – वस्तुओं को आवर्धित कर दिखाने के लिए
👉 साइट्रान – कृत्रिम मौसम उत्पन्न करने के काम में आने वाला उपकरण
👉 कोलोमीटर – पानी के जहाज में सही समय पता करने के लिए
👉 सीस्मोमीटर – भूकंपीय तरंगों की तीव्रता नापने के लिए
 
(3) विद्युत हीटर (Electric Heater) – इसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी एक प्लेट होती है, जिसमें मिश्रधातु नाइक्रोम (निकिल एवं क्रोमियम की मिश्रधातु) का एलिमेंट लगा होता है। अत्यधिक प्रतिरोध होने के कारण जब इससे विद्युत धारा गुजारी जाती है, तो यह लाल तप्त हो जाती है और अत्यधिक उष्मा प्रदान करता है। लाल तप्त अवस्था में तार का तापमान 800 डिग्री सेल्सियस से 1000 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। एक अच्छे हीटर के एलिमेंट की प्रतिरोधकता अधिक होनी चाहिए, साथ ही उच्च ताप पर ऑक्सीकरण नहीं होना चाहिए।
 
(4) विद्युत प्रेस (Electric Iron) – घरेलू विद्युत प्रेस में अभ्रक की प्लेट पर नाइक्रोम का तार लिपटा हुआ होता है। अभ्रक एक अच्छा प्रतिरोधी है, जो ऊंचे ताप पर भी नहीं पिघलता है। इसे प्लेट को इस्पात के उचित आकार के आवरण के अंदर रखा जाता है। इस आवरण के ऊपर कुचालक पदार्थ का हत्था लगा रहता है। जब तार में धारा प्रभावित की जाती है, तो वह गर्म हो जाता है, जिससे आवरण भी गर्म हो जाता है, जो कपड़ो को प्रेस कर देती है।
 
(5) विद्युत फ्यूज (Electric Fuse) – विद्युत फ्यूज तांबा, टिन तथा सीसे की मिश्रधातु से बना होता है एवं उसका गलनांक कम होता है। फ्यूज तार एक निश्चित क्षमता की मोटाई का लिया जाता है। तार की मोटाई जितनी अधिक होती है, उसमें प्रभावित धारा का मान भी उतना ही अधिक होता है। विद्युत धारा फ्यूज परिपथ के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इसका प्रयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
 
(6) ट्यूबलाइट (Tube Light) – ट्यूबलाइट में कांच की एक लंबी टीम होती है, जिसके अंदर की दीवारों पर फस्फर का लेप चढ़ा होता है। फस्फर पर नीची आवर्ती के प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं। ट्यूब के अंदर अक्रिय गैस जैसे ऑर्गन को पारे के साथ भर देते हैं। ट्यूब के दोनों किनारों पर बेरियम ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है तथा टंगस्टन के दो तंतु लगे होते हैं।
 
(7) विद्युत बल्ब (Electric Bulb) – विद्युत बल्ब का आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था। इस बल्ब में टंगस्टन का पतला कुंडलीनुमा तंतु लगा होता है। इस बल्ब में ऑर्गन या नाइट्रोजन जैसी अक्रिय गैस भर दी जाती हैं। बल्ब में अक्रिय गैस इसलिए भरते हैं, क्योंकि निर्वात में उच्चताप पर टंगस्टन धातु का वाष्पीकरण हो जाता है तथा यह वाष्पीकरण होकर बल्ब की दीवारों पर चिपक जाता है। बल्ब में टंगस्टन का प्रयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि उसका गलनांक अत्यधिक लगभग 3500 डिग्री सेल्सियस होता है।
 
(8) तड़ित चालक (Lighting Conductor) – तड़ित चालक दो आवेशित बादलों के बीच या आवेशित बादलों व पृथ्वी के बीच होता है। तड़ित चालक एक मोटी तांबे की पट्टी होती है, जिसके ऊपरी सिरे पर कई नुकीले सिरे बने होते हैं। इस नुकीले सिरे को भवनों के सबसे ऊपर लगा दिया जाता है तथा दूसरे सिरे को तांबे की पट्टी के साथ जमीन में गाड़ दिया जाता है। जब आवेशित बादल भवन के ऊपर से गुजरते हैं, तो उनका आवेश तड़ित चालक के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। तथा यह आवेश बिना किसी नुकसान के जमीन में स्थानांतरित हो जाता है। इस प्रकार इसका प्रयोग भवनों की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
 
(9) धातुओं का शुद्धिकरण – इसके लिए अशुद्ध धातु का एनोड और शुद्ध धातु का कैथोड बनाया जाता है। तांबे का शुद्धिकरण 99.99 प्रतिशत तक किया जाता है।
 
(10) शन्ट (Shunt) – शन्ट एक अत्यंत ही कम प्रतिरोध वाला तार होता है, जो उच्च धाराओं से धारामापी की रक्षा करता है, क्योंकि यह मुख्यधारा का अधिकांश भाग अपने अंदर होकर प्रवाहित कर देता है।
 
(11) विद्युत चुंबकीय प्रेरण का प्रयोग हृदय के लिए कृत्रिम पेसमेकर, डायनेमो, माइक्रोफोन तथा ट्रांसफार्मर आदि में किया जाता है

(12) घरेलू विद्युत सप्लाई – घरों में भी जाने वाली विद्युत 220 वोल्ट की AC धारा होती है। इसकी आवृत्ति 50 हर्टज होती है। घरों में दी जाने वाली धारा 5 एंपियर एवं 15 एंपियर की होती है 5 एंपियर की धारा को घरेलू और 15 एंपियर की धारा को पावर लाइन कहते हैं। 5 एंपियर धारा का प्रयोग बल्ब, टीवी, ट्यूब, रेडियो आदि के उपयोग में आता है, जबकि 15 एंपियर की धारा का प्रयोग हीटर, आयरन तथा रेफ्रिजरेटर में होता है।

(13) क्यूरी ताप – वह ताप जिसके ऊपर लौह चुंबकीय पदार्थ अनुचुंबकीय पदार्थ की भांति व्यवहार करता है, उसे क्यूरी ताप कहते हैं। इसका मान भिन्न-भिन्न पदार्थों के लिए भिन्न-भिन्न होता है।

(14) अस्थायी चुंबक बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग विद्युत घंटी, ट्रांसफार्मर क्रोड, डायनेमो आदि में किया जाता है तथा स्थायी चुंबक इस्पात के बनाए जाते हैं। इसका उपयोग लाउडस्पीकर दिक्सूचक, गैल्वनोमीटर आदि बनाने में किया जाता है। 

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