White Revolution in Hindi | श्वेत क्रांति I swet kranti

श्वेत क्रांति का तात्पर्य दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में तीव्र उत्पादन वृद्धि से है। यह पशु प्रजनन एवं पशु संसाधन की आधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित है। भारत में 1970-71 में प्रारंभ ऑपरेशन फ्लड को पर्याप्त सफलता मिली और भारत वर्तमान में विश्व का प्रथम दुग्ध उत्पादक देश है। 1970 में 3.16 टन की तुलना में 2003-04 में 8.81 करोड़ टन का उत्पादन हुआ। 2020-21 में 19.80 करोड़ टन उत्पादन हुआ। दूध उत्पादन में तीव्र वृद्धि की यह प्रक्रिया ही श्वेत क्रांति कहलाई। दूध क्षेत्र में विकास के लिए सर्वप्रथम 1964-65 में सघन पशु विकास कार्यक्रम चलाया गया, जिसके अंतर्गत श्वेत क्रांति लाने के लिए पशुओं के नस्ल को सुधारने पर बल दिया गया। डेयरी विकास योजनाओं को प्रोत्साहित तथा विकसित करने के लिए 1965 में आनंद, गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास परिषद (NDDB) की स्थापना की गई और बाद में सफेद क्रांति की गति को और तेज करने के उद्देश्य से 1970 में NDDB ने ‘ऑपरेशन फ्लड योजना’ प्रारंभ की।

ऑपरेशन फ्लड और श्वेत क्रांति एक-दूसरे के पर्याय है। इस कार्यक्रम को त्रिस्तरीय सहकारिता क्षेत्र में लागू किया गया है।

  1. प्रथम – ग्रामीण स्तर पर दूध उत्पादकों की ‘डेरी सहकारिता समिति’ के रूप में।
  2. द्वितीय – जिला स्तर पर इन समितियों के ‘दूध संघ’ के रूप में।
  3. तृतीय – राज्य स्तर पर संघ के रूप में।

ऑपरेशन फ्लड के चरण


ऑपरेशन फ्लड योजना को अब तक 3 चरणों में लागू किया जा चुका है, जिसमें किसानों और दुग्ध उत्पादकों को काफी लाभ मिला है।

  • ऑपरेशन फ्लड का प्रथम चरण : प्रथम चरण 1970-71 में प्रारंभ हुआ। इसमें 10 राज्यों में राष्ट्रीय डेयरी विकास योजना प्रारंभ की गई। जिसमें मुंबई, दिल्ली, चेन्नई व कोलकाता चारों महानगरों में मदर डेयरी की स्थापना की गई। महानगरों को दूध की आपूर्ति तथा अतिरिक्त दुग्ध उत्पादन करने वाले ग्रामीणों को दुग्ध सहकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय वाणिज्य प्रवाह में लाना मुख्य उद्देश्य था।
  • ऑपरेशन फ्लड का द्वितीय चरण : 1980 से 1985 तक रहा, इसमें अधिक से अधिक राज्यों को तथा जिलों को दुग्ध सहकारिता के अंतर्गत लाना तथा ग्रामीण स्तर पर दुग्ध सहकारिता का विकास करना इसका उद्देश्य था। इस चरण में यूरोपीय आर्थिक समुदाय के सहयोग से संकर गाय और उन्नत भैंस तैयार करने की योजना बनाई गई और इन योजनाओं का लाभ देश के 12 राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार तथा कर्नाटक को मिला. इस चरण में दुधारू पशुओं के लिए कई कार्य किए गए, जैसे –
  1. चारे की समुचित मात्रा में आपूर्ति
  2. चारागाहों की व्यवस्था
  3. पशु रोगों पर नियंत्रण
  4. दूध की मात्रा बढ़ाने के उपाय
  5. पशु नस्लों में सुधार तथा पशुपालकों को सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  • ऑपरेशन फ्लड का तीसरा चरण : यह 1985 से 1994 तक रहा। इस चरण में दुग्ध के उत्पादन में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ विपणन सुविधाओं में वृद्धि का उद्देश्य भी सम्मिलित किया गया ताकि किसानों तथा दुग्ध उपभोक्ताओं को भी इस योजना का लाभ समान रूप से मिल सके। इसमें ग्राम, जिला तथा राज्य स्तरीय नियोजन एवं विकास प्रक्रिया अपनाई गई। इन तीनों स्तरों पर सहकारी दुग्ध समिति को विकसित किया गया। इसी चरण में धारा ब्रांड तेल का उत्पादन प्रारंभ किया गया, जिसकी खली को पशुओं के आहार पूर्ति में उपयोग किया गया।

भारत को 168 दूध क्षेत्र में विभाजित किया गया है। इस प्रकार देश में एक राष्ट्रीय मिल्क ग्रिड अस्तित्व में आया। इसके मुख्य उद्देश्य थे।

  1. दूध के वितरण में प्रादेशिक असंतुलन को समाप्त करना
  2. दूध के मौसमी असंतुलन को समाप्त करना।

दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में विकास से संबंधित तीन प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं।

  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आनंद, गुजरात
  • मानसिंह प्रशिक्षण संस्थान मेहसाना, गुजरात
  • गल्लाभाई देसाई प्रशिक्षण संस्थान पालनपुर, गुजरात

श्वेत क्रांति/दुग्ध क्रांति या ऑपरेशन फ्लड की सफलताएं


  1. उत्पादन में वृद्धि : इस क्रांति का परिणाम यह हुआ कि भारत में दूध उत्पादन 1950-51  में 17 मिलियन टन तथा 1970 में जहां 31.7 मिलियन टन था। उससे बढ़कर 1998 में 72 मिलियन तथा 2003-04 में 88.10 मिलियन टन तथा 2007-08 में 102 मिलियन टन हो गया।
    प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता लगभग 100 ग्राम से बढ़कर लगभग 2003-04 में 231 ग्राम तथा 2007-08 में 246 ग्राम हो गई। इस प्रकार इस कार्यक्रम के माध्यम से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है और आज भारत प्रथम स्थान पर है।
  2. सहायक व्यवसाय के रूप में स्थापित : इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण जनचेतना को भी प्रोत्साहित किया गया है। जिससे उन्होंने डेयरी व्यवसाय को एक सहायक व्यवसाय के रूप में अपना लिया है। ग्रामीण रोजगार का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र डेयरी उद्योग है।
  3. आय में वृद्धि : पशुपालन से संबंधित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है तथा जीवन स्तर में सुधार हुआ है। ग्रामीण लोग दूध बेचकर काफी पैसा कमा रहे हैं।
  4. निर्यात : भारत दूध उत्पादों का निर्यात भी करता है, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

महत्वपूर्ण तथ्य


  • श्वेत क्रांति, दूध के उत्पादन में वृद्धि से संबंधित है। इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 15 जनवरी, 1970 को हुई थी। ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा की गई। उस समय भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे, जो डॉ वर्गीज कुरियन के बहुत नजदीक थे, डॉ वर्गीज कुरियन को ही दूध क्रांति का जनक कहा जाता है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना 16 जुलाई 1965 को हुई थी, जिसका मुख्यालय मुंबई में है। इसके अध्यक्ष डॉ वर्गीज कुरियन थे।

अमूल/Amul/ [ जाने – कृष्ण क्रांति का संबंध ]


आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड/Anand Milk Union Ltd इसका पूरा नाम है, जिसकी स्थापना 1946 में डॉ वर्गीज कुरियन के देखरेख में हुई। श्वेत क्रांति के कारण भारत दूध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया। डॉ वर्गीज कुरियन के जन्मदिवस पर प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय दूध दिवस मनाया जाता है।


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