भारत में लिंगानुपात | सबसे अधिक लिंगानुपात किस राज्य का है?

लिंगानुपात किसी भी राष्ट्र या क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक विकास की प्रक्रिया को समझने का आधार होता है। इसे प्रति हजार पुरुष एवं स्त्रियों की संख्या से निर्धारित किया जाता है। अर्थात स्त्री-पुरुष अनुपात को लिंगानुपात कहते हैं। यदि किसी क्षेत्र का लिंगानुपात संतुलित होता है तो कहा जा सकता है कि वहां लिंग-विभेद नहीं पाया जाता और स्त्रियों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है। 



भारत में लिंगानुपात में असंतुलन बना हुआ है जोकि एक चिंता का विषय है। 1901 में प्रति हजार पुरुष पर 972 स्त्रियां थी, जिसमें क्रमिक ह्रास होता गया और 1951 में 946 रह गईं। 1971 में यह घटकर 929 के न्यूनतम स्तर पर थी जिसमें 2001 की जनगणना में थोड़ी वृद्धि हुई और यह 933 हो गईं। लेकिन यह अनुपात भी असंतुलित जनांकिकी विषय का प्रतीक है। 



विकसित देशों में पुरुषों और स्त्रियों का अनुपात संतुलित है। भारत में लिंगानुपात की असंतुलित स्थिति बड़े सामाजिक-आर्थिक कारकों के परिणाम स्वरूप बनी हुई है। वर्तमान में भी लड़कियों की तुलना में लड़कों को प्राथमिकता देना, पुरुष बच्चों को वंश वृद्धि का आधार मानना, पुरुषों को ही अनेक रूप में स्वीकार करना जैसे कारक महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियां स्त्री-भ्रूण हत्या, महिलाओं में कुपोषण, शिशु प्रसूति मृत्यु दर का अधिक होना, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और परिवार में महिलाओं की उपेक्षा जैसे कारक लिंगानुपात के संतुलन के लिए उत्तरदायी है।



2011 के अनुसार, शेष राज्यों एवं संघ राज्यों में अनुपात असंतुलित है। दमन-दीव में 618, दिल्ली में 868, हरियाणा में 879, पंजाब में 895 न्यूनतम लिंगानुपात वाले संघ राज्य एवं राज्य है। 

असंतुलित लिंगानुपात को भारत के सामाजिक विकास के लिए एक गंभीर चिंता माना जा रहा है और इसी संदर्भ में महिलाओं की स्थिति में सुधार, महिला कल्याणकारी कार्यक्रम, प्रसूति सुरक्षा, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की बच्चियों के जन्म पर आर्थिक सहायता एवं शिक्षा तथा विवाह का प्रबंध तथा महिला आरक्षण जैसे कई कार्यक्रम इस दिशा में महत्वपूर्ण है। दिल्ली में लाडली योजना का सकारात्मक प्रभाव लिंगानुपात में सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त –



  1.  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना,
  2.  निर्भया योजना,
  3.  नारी शक्ति पुरस्कार,
  4.  प्रधानमंत्री उज्जवला योजना,
  5.  सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना,
  6.  फ्री सिलाई मशीन योजना,
  7.  महिला शक्ति केंद्र योजना,
  8.  सुकन्या समृद्धि योजना



हाल ही में, नागरिक पंजीकरण प्रणाली के आधार पर भारत के जन्म-मृत्यु संबंधी आंकड़ों पर वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में अरुणाचल प्रदेश में जन्म के समय सबसे अच्छा लिंगानुपात दर्ज किया गया जबकि मणिपुर (757) सबसे खराब स्थिति में है। लिंगानुपात की दृष्टि से केरल और पांडिचेरी ही संतुलित है, जहां प्रति हजार पुरुष पर क्रमशः 1058 एवं 1001 स्त्रियां मिलती है।)

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