विकास नाभि पदानुक्रम में विकास केंद्र विकास ध्रुव के बाद द्वितीय पद पर स्थित होता है। विकास केंद्र का प्राथमिक कार्य किसी प्रदेश में सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त सेवाओं को उपलब्ध कराना है ताकि प्रदेश में सामाजिक आर्थिक विकास हो सके। सामान्यतः विकास केंद्र बड़े आकार का नगरीय केंद्र होता है तथा कई विकास बिंदुओं को प्रभावित करता है अर्थात यह तीसरे पद पर स्थित अपेक्षाकृत छोटे सेवा केंद्रों को सेवाएं प्रदान करता है। सामान्यतः विकास केंद्र से 5 से 10 विकास बिंदु संबंधित होते हैं। विकास केंद्र में औद्योगिक केंद्रों का विकास भी होता है और औद्योगिक संकुल भी विकसित होता है, हालांकि औद्योगिक संकुल का विकास अनिवार्य नहीं है।
विकास केंद्र का ग्रामीण पृष्ठ प्रदेश बड़ा होता है तथा यह ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विकास केंद्र अपने चारों ओर स्थित ग्रामीण प्रदेश को सेवाएं प्रदान करता है तथा ग्रामीण जनसंख्या को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। विकास केंद्र के विकास का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या के बड़े नगरों में प्रवास या स्थानांतरण को रोकना है।
विकास केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में अनुकूलतम संरचनात्मक, आधारभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराते हैं, ताकि कृषि एवं औद्योगिक अध: संरचनाओ पर चयनित निवेश किया जा सके। इस प्रकार विकास केंद्र प्रदेश में सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सेवाएं उपलब्ध करता है तथा प्राथमिकताओं के आधार पर कार्यों को स्थापित करने का सुझाव देता है।
अतः विकास केंद्रों को प्रादेशिक नियोजित विकास में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए जहां वृहद ग्रामीण क्षेत्र विकसित है, वहां विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों एवं जनसंख्या को विकास केंद्रों से जुड़ना आवश्यक है। इसके लिए प्रदेश में परिवहन साधनों का विकास किया जाना चाहिए। पुनः प्रदेश में संसाधनों का सर्वेक्षण तथा उसके उपयोग को निर्धारित कर प्रदेश का विकास किया जाना चाहिए।
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