सिंधु नदी जल समझौता क्या है और यह समझौता कब और किसके बीच हुआ था?

भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद से ही सिंधु एवं उसकी 5 सहायक नदियां सतलुज, व्यास, रावी, झेलम और चेनाव के जल के उपयोग को लेकर विवाद शुरू हो गया। इस विवाद के पीछे पाकिस्तान की मुख्य चिंता यहां बहने वाली अधिकतर नदियों का उद्गम स्थल भारत के क्षेत्र के अंतर्गत होना था। पाकिस्तान में सिंधु व उसकी सहायक नदियों से अनेक नहरे निकाली गई हैं, जिस पर वहां की अधिकतर कृषि क्षेत्र आश्रित है। इस प्रकार पाकिस्तान के लिए सिंधु व उसकी सहायक नदियां तथा उसमें बहने वाला जल व उसका जल स्तर अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने सिंधु व उसकी सहायक नदियों के जल उपयोग को लेकर विवाद प्रारंभ कर दिया।

अतः 1952 में विश्व बैंक के अध्यक्ष मिस्टर यूजेन ब्लैक ने अपनी मध्यस्था से इस समस्या को पेश करने का प्रस्ताव किया। जिसके परिणामस्वरूप 1960 में सिंधु जल संधि अस्तित्व में आयी। 
जिसकी शर्ते निम्नलिखित हैं –

  1. पूर्वी ढाल वाली नदियां व्यास, रावी, सतलज के जल का उपयोग भारत करेगा।
  2. पश्चिमी ढाल वाली नदियां सिंधु, झेलम और चेनाब के जल का उपयोग का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया।
  3. साथ ही यह प्रावधान किया गया कि एक स्थायी सिंधु नदी आयोग एवं सिंधु नदी घाटी विकास निधि की भी स्थापना की जाएगी।
  4. सिंधु संबंधी विवाद का विभाजन विश्व बैंक द्वारा कराया जा सकेगा। साथ ही यह प्रावधान किया गया कि इन नदियों के जल का उपयोग भारत घरेलू तथा कृषि संबंधी उपयोग के लिए एक सीमा तक कर सकता है।

सिंधु जल समझौते के बाद भी इन नदियों के जल उपयोग से संबंधित अनेक विवाद भविष्य में होते रहे जिसमें मुख्यतः तुलबुल परियोजना, बगलिहार व किशनगंगा परियोजना आदि है पाकिस्तान हमेशा भारत पर सिंधु जल समझौते का उल्लंघन का आरोप लगाता रहता है लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय फैसले से यह साबित हो चुका है कि भारत इन नदियों के जल का उपयोग सिंधु जल समझौते के दायरे में ही कर रहा है। सिंधु जल समझौते के उपयोग को लेकर आपस में और अधिक बहाली की आवश्यकता है।

Scroll to Top
10 TYPES OF ROSES FOR YOUR LOVELY HOME OR GARDEN Benefits of Gulmohar Tree or Plant Some important facts about IRIS plant