बसंत पंचमी एक हिंदू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2023 में बसंत पंचमी 25 जनवरी को मनाई जाएगी।
आज के दिन भारत में वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है। और पेड़ों पर नए पत्ते आने शुरू होते हैं। फूलों पर बाहर आती है, सरसों के फूल सोने के समान चमकते हैं तथा जौं एवं गेहूं की बाले (फलियां) खिलने लगती है। आम के पेड़ों पर बोर अर्थात फूल आने लगता है।
वसंत ऋतु के पर्व पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी की पूजा सूर्य उदय के बाद एवं दिन के मध्य भाग से पहले पूर्वाह्न के दौरान की जाती है। यदि किसी कारणवश बसंत पंचमी की पूजा का समय दोपहर के बाद होता है तो पूजा को अगले दिन प्रारंभ किया जाता है।
यह त्यौहार भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, नेपाल एवं कई अन्य राष्ट्रों में मनाया जाता है, जहां पर हिंदू जाति निवास करती है।
बसंत पंचमी का बढ़ता महत्व
बसंत पंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। शिक्षा को प्रारंभ करने या किसी कला के शुरुआत करने के लिए सरस्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन काल में लोग इस त्योहार को विशेष महत्व देते थे। लेकिन आधुनिक समय में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण प्रत्येक छात्र एवं कला ग्रहण करने वाले कलाकार सरस्वती की पूजा को बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं।
बसंत पंचमी के अवसर पर भोजन
बसंत पंचमी के अवसर पर पीले रंग का भोजन बनाया जाता है, जिसमें खिचड़ी (पीले चावल), पीले लड्डू तथा बेसन का हलवा का भोजन किया जाता है। स्त्री एवं पुरुष दोनों पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इस त्योहार पर पीले रंग को विशेष महत्व दिया गया है।
बसंत पंचमी की पारंपरिक रस्में
उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और उड़ीसा के किसान बसंत पंचमी के अवसर पर अपने कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं।
पुराणों के अनुसार यह मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना अर्थात पूजा की जाएगी और तभी से ईश्वरदान के फलस्वरुप पूरे भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।