स्टार्टअप ऑफ इंडिया योजना क्या है एवं इसमें कितनी राशि दी जा सकती है?

16 जनवरी, 2016 को भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा Startup India आरंभ किया गया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत देश में नवाचार तथा स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए उचित नीतियों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है। धारणीय विकास को बढ़ावा देना तथा व्यापक स्तर पर रोजगार अवसरों का निर्माण करना और धन सृजन करना, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। इसकी शुरुआत बेंगलुरु से की गयी थी। बिज़नेस शुरू करने के लिए लिए गए लोन को 18 महीने से 7 साल तक चुकाया जा सकता है। किसी भी उद्योग को एक स्टार्टअप के रूप में मान्यता प्रदान की जा सकती है, यदि वह निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है।

  1.  प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जैसे कि कंपनी अधिनियम 2003 में परिभाषित।
  2.  साझेदारी फर्म भागीदारी अधिनियम 1932 के तहत पंजीकृत।
  3.  सीमित देयता भागीदारी सीमित देयता भागीदारी अधिनियम 2008 के तहत पंजीकृत।
  4.  एक व्यक्ति कंपनी कंपनी अधिनियम 2003 में परिभाषित
  5.  यह आवश्यक है कि उद्योग अथवा कंपनी पहले से अस्तित्व में नहीं रही हो और उनका पतन उनके पूर्ववर्ती व्यवसाय के विभाजन या पुनर्निर्माण के द्वारा नहीं किया गया हो।
  6.  उपयुक्त शर्तों के साथ कंपनी अथवा उद्योग के निगमन पंजीकरण के बाद से 10 वर्ष पूरे नहीं हुए हो।
  7.  किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी अथवा उद्योग का कारोबार 100 करोड़ रुपए से अधिक नहीं हुआ हो।

स्टार्टअप शुरू करने के कारण

वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, भारत में अधिकारिक रूप से लगभग 38,756 स्टार्ट अप को मान्यता प्रदान की गई है, जिनमें से 30 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप है। तकनीकी क्षेत्र में भारत स्टार्टअप के लिए तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक हब बनकर उभरा है। इस प्रकार भारत की अर्थव्यवस्था जनसांख्यिकी तथा सरकार के सक्रिय समर्थन द्वारा देश में स्टार्टअप की स्थापना के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

(1) भारतीय अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि 

महामारी के समय सरकार ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक घोषणाएं की हैं, जो कहीं न कहीं स्टार्टअप क्षेत्र को स्थापित करने में मददगार होंगी।

(2) ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च क्षमता 

जैसे कि सभी जानते हैं कि भारत की अधिकांश जनसंख्या गांव में निवास करती है। इसे ध्यान में रखते हुए कई स्टार्टअप्स ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर निवास से संबंधित सुविधाओं को प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित क्या है।

(3) सक्रिय सरकारी सहायता 

भारत में तकनीकी क्षेत्र का व्यापक उपयोग करते हुए डिजिटल कनेक्टिविटी में तेजी से सुधार किया गया है। इस संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा आधार जनधन यूपीआई, इंडिया स्टेट व पेटीएम आदि के माध्यम से डिजिटल भुगतान तंत्र को सुधार करने का प्रयास किया गया है ताकि नकदी मुद्रा पर निर्भरता को कम किया जा सके।

(4) शिक्षा का बढ़ता मापक 

पिछले कुछ सालों से कोरोना महामारी के दौरान भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व में शिक्षा का स्तर कुछ कम हुआ है। मगर वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा का विस्तार विश्व में काफी प्रसिद्ध है। भारत की तकनीकी, मेडिकल एवं वैज्ञानिक खोजो ने विश्व को एक संदेश दिया है। हाल ही में कोरोना महामारी के दौरान भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई वैक्सीन से विश्व स्तर पर काफी लोगों को मदद पहुंचाई गई है।

भारत में स्टार्टअप शुरू करने संबंधी परेशानियां

(1) क्षेत्रीय असंतुलन से उत्पन्न मुद्दे

भारत एक विशाल एवं विविधता पूर्ण देश है और यहां अधिक जनसंख्या होने के कारण स्टार्टअप जैसी योजनाओं को प्रत्येक भौगोलिक स्तर पर पहुंचाना अभी भी एक समस्या बनी हुई है। इसलिए यह संपूर्ण भारत में लागू नहीं हुई है।

(2) अधिक ग्रामीण जनसंख्या

भारत में 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांव में निवास करती है। उनकी क्रय क्षमता अत्यधिक कम होती है। ऐसी दशा में स्टार्टअप क्षेत्र के उत्पादों एवं सेवाओं के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध नहीं हो पाते। गांव के अधिकांश व्यक्ति आज भी पुरानी परंपराओं के अनुसार ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं।

(3) जटिल विनियमन तंत्र

भारत सरकार ने स्टार्टअप के व्यवसायिक वातावरण को आसान बनाने के लिए अनेक नीतियां एवं योजना शुरू की है। फिर भी ऐसा पाया गया है कि वर्तमान में नियामक ढांचा स्टार्टअप संचालन के लिए उपयुक्त दशाएं उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है और इसके अंतर्गत अनेक कठिनाइयां तथा क्षमताएं विद्यमान हैं।

(4) पारिश्रमिक संबंधी चुनौतियां

कई रोजगार प्राप्त करने वाले लोगों के लिए किसी स्टार्टअप के साथ एक कर्मचारी के रूप में जुड़ना आकर्षक कैरियर विकल्प नहीं होता है। क्योंकि प्रारंभ में स्टार्टअप शुरू करने में बहुत सी कठिनाइयां सामने आती हैं, जिसके कारण स्टार्टअप संचालक इसे छोड़ कर नौकरी करने लगते हैं।

(5) डिजिटल डिवाइस

भारत के अनेक क्षेत्र तथा उनमें रहने वाली जनसंख्या विशेषकर पहाड़ी एवं सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग आज भी इंटरनेट एवं कंप्यूटर की दुनिया से काफी दूर है। उदाहरण के तौर पर अगर मैं अपने गांव की बात करता हूं तो मेरे गांव में 10 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जो कंप्यूटर से प्राप्त योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसका कारण देश दुनिया की जानकारी का न होना है।

(6) वित्त संबंधी मामले

एक स्टार्टअप या व्यवसाय की स्थापना एवं उसे संचालन हेतु कार्यशील पूंजी के रूप में बड़ी धनराशि की आवश्यकता होती है। बैंक भी स्टार्टअप शुरू करने के लिए आपको ऋण तभी दे सकती हैं, जब आपके पास बैंक को देने के लिए गारंटी के तौर पर कुछ हो। ऐसी दशा में बहुत से युवा जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, वित्त की व्यवस्था न होने के कारण वह असफल हो जाते हैं।

स्टार्टअप के लिए नीतियां

भारत में स्टार्टअप क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नीतियों के एक समूचे का विकास किया गया है इन नीतियों के आधार पर एक दशक से कम समय में स्टार्टअप क्षेत्र को देश में व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जा सका है।

  1.  स्टार्टअप इंडिया हब
  2.  स्वप्रमाणन पर आधारित अनुपालन व्यवस्था
  3.  मोबाइल एप्लीकेशन एवं पोर्टल की व्यवस्था
  4.  तीव्र गति से पेटेंट परीक्षण करना एवं कानूनी सहायता देना।
  5.  सरकारी राष्ट्रीय संस्थानों में अभिनव केंद्रों की स्थापना करना।
  6.  नए अनुसंधान पार्कों की स्थापना करना।
  7.  नए नॉलेज हब बनाना
  8.  छात्रों के लिए अनुसंधान संस्थान स्थापित करना
  9.  जैव प्रौद्योगिकी सेक्टर में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना
  10.  कृषि में उच्च गुणवत्ता युक्त बीज तैयार करना।

जनवरी 2021 के मध्य नई दिल्ली में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रारंभ स्टार्टअप इंडिया इन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सामूहिक रूप से स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने और मजबूत बनाने के लिए पूरे विश्व के देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाना है। इस सम्मेलन में 25 से अधिक देश एवं 200 से अधिक वैश्विक वक्ताओं ने भाग लिया था।