सुरक्षित होने पर भी असुरक्षित | क्या सुरक्षा जरूरी है?

प्राचीन काल से ही मनुष्य अपने बचाव के लिए सुरक्षा करता आ रहा है। चाहे वह प्रकृति से सुरक्षा हो, मानव से या किसी जानवर आदि से। वर्तमान समय में न तो मनुष्य को प्रकृति से डर है और न ही किसी भी प्रकार के जानवर से। मनुष्य को खुद से डर लगता है। उसकी इच्छाओं से डर लगता है। उसकी गलत सोच से डर लगता है। उसके साथ रहने से डर लगता है। उसके विश्वास से डर लगता है। मनुष्य ऐसा प्राणी है जो प्रकृति को यानी अपने जीवन को बहुत सुंदर भी बना सकता है और बहुत विनाशकारी भी बना सकता है। मनुष्य ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में मनुष्य को ही अपना दुश्मन बना दिया है।



हाल ही में, कोरोना महामारी जो मानव द्वारा ही उत्पादित है। वर्तमान समय में सबसे डरावनी बीमारी बन गई है। लोग अपनों से अलग हो गए हैं। कोई किसी के पास जाना नहीं चाहता। इस बीमारी ने मनुष्य को मनुष्य से अलग कर दिया है। आज के समय में जिन-जिन चीजों से मनुष्य को डर लगता है। वह सब मनुष्य द्वारा ही प्रमाणित की गई हैं।

प्राचीन काल से ही हम अपनी संपत्ति को सुरक्षित करते आ रहे हैं। उसे छुपा कर रखते हैं। लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य ने अपनी सुरक्षा के लिए मनुष्य को ही रखवाला बना दिया है। आप किसी संस्था, किसी अपार्टमेंट या किसी संगठन में जाओगे तो आपको वहां पर सुरक्षा के तौर पर गार्ड मिलेंगे, जो अंदर रहने वाले मनुष्य की सुरक्षा करते हैं। लेकिन कभी किसी ने सोचा है कि क्या इसकी जरूरत है। वहां कोई जानवर आता है। कोई भूत-प्रेत या ऐसी कोई वस्तु जो मनुष्य को हानि पहुंचाए, जिसके लिए सुरक्षा की जा रही है। 



कुछ नहीं है। यह सिर्फ हमारा डर है जो हमें दूसरे मनुष्य से अलग करता है। मनुष्य द्वारा किए गए गलत कारणों की वजह से मनुष्य को स्वयं डर लगने लगा है। इसीलिए वह अपनी सुरक्षा के लिए सुरक्षा करता है।

वर्तमान में कुछ देश आतंकवादी संगठनों का सहारा लेकर असुरक्षा फैला चला रहे हैं। यह कोई जानवर इत्यादि द्वारा नहीं है बल्कि मानव द्वारा ही गलत तरीके से हथियारों का इस्तेमाल करके मानव को ही डराकर अपनी कमजोरियों को दबा रहे हैं। क्योंकि एक सफल व्यक्ति या देश इस तरह के कार्य नहीं कर सकता। यह जरूरी नहीं है कि डर फैलाने वाला देश/व्यक्ति निर्धन हो। यह धनी भी हो सकता है क्योंकि धनी लोग अपना रुतबा जमाने के लिए लोगों को डराते हैं तथा गरीब लोग अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए।



आपने देखा होगा कि दुनिया के सभी देशों के बॉर्डर पर काफी बड़ी संख्या में फौज लगाई जाती है। जिसका कार्य सिर्फ और सिर्फ सुरक्षा करना होता है। जबकि यह सभी जानते हैं कि जो बॉर्डर होते हैं। उन पर न किसी प्रकार का खनिज, न किसी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी, न किसी प्रकार के अन्य संसाधन होते हैं और न किसी प्रकार के जानवर होते हैं। जिससे मानव को खतरा हो। तो सुरक्षा की क्या जरूरत है। दुनिया के सभी देश घातक अस्त्र शास्त्र बनाने में लगे हैं। छोटे से बम से लेकर परमाणु बम, हाइड्रोजन बम जैसे खतरनाक विस्फोटकों का निर्माण हो चुका है तथा प्रयोग भी किए जा चुके हैं। जिससे मानव को बहुत हानि हुई। मगर आखिर में सोचकर देखो के इससे क्या हासिल क्या हुआ। इससे मानव की आयु बढ़ी, इससे आपकी साक्षरता बढ़ी, इससे मानव का जीवन स्तर बढ़ा या ऐसा कोई भी कार्य हुआ है जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, शिवाय विनाश के।



सुरक्षा का मतलब मनुष्य को अन्य वस्तुओं से अपनी सुरक्षा करनी है। जैसे आग से सुरक्षा, अधिक पानी से सुरक्षा, घातक अस्त्रों से शास्त्रों से सुरक्षा, बीमारी से सुरक्षा, जानवर से सुरक्षा, कृषि में बढ़ रहे कीटनाशकों से सुरक्षा एवं ऐसी कोई भी वस्तु जो मानव के लिए घातक हो सकती है, उससे सुरक्षा करना समझ में आता है। लेकिन जब मनुष्य मनुष्य से अपनी सुरक्षा करता है तो वह सुरक्षा नहीं है।

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