World’s largest River | Longest River of the World | विश्व की 5 सबसे लम्बी नदियां

विश्व की प्रमुख नदियां (घटते क्रम में)               (नदियां)      (उद्गम)       (अंत)  नील (6690 Km) :   बुरुंडी- भूमध्य सागर  अमेज़न (6396 Km) :   पेरू – दक्षिणी अटलांटिक महासागर  मिसिसिपी मिसौरी (6020 km) :   दक्षिणी मोंटाना (USA) मेक्सिको की खाड़ी  यांग्टीसिक्यांग :   तिब्बत का पठार – पूर्वी […]

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Canals of the world in Hindi | विश्व की प्रमुख नहरें | महत्वपूर्ण नहरें

विश्व की प्रमुख नहरें : सु-नहर (USA) :  सुपीरियर झील एवं हयूरन झील को जोड़ती है। इरी नहर (USA) :  इरी एवं मिशिगन झील को जोड़ती है। मैनचेस्टर नहर (ब्रिटेन) :  मेनचेस्टर एवं लिवरपूल को जोड़ती है। कील नहर (जर्मनी) :  उत्तर सागर एवं बाल्टिक सागर को जोड़ती है। स्वेज नहर (मिश्र) :  लाल सागर

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Waterways of the World in Hindi | विश्व के प्रमुख जल परिवहन मार्ग | विश्व के जलमार्ग

विश्व के प्रमुख जल परिवहन मार्ग : (1) उत्तरी अटलांटिक जलमार्ग :  यह विश्व का सबसे व्यस्त जलमार्ग है, जो पश्चिमी यूरोप, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार का एक मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरण के लिए, पुरुषों और माल दोनों को ले जाने के लिए जल परिवहन का उपयोग किया गया है।

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विश्व के प्रमुख रेलमार्ग | विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग कौन-सा है?

विश्व के प्रमुख रेलमार्ग ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग :  यह 9560 किमी विश्व का सर्वाधिक लंबा रेलमार्ग है, जो लेनिनग्राड से ब्लाडिवोस्टक तक जाता है। मार्ग के मुख्य स्थान – यारोस्लावस्की वोक्झल, चेल्याबिंस्क, ओम्स्क, नोवोसिबिर्स्क, इर्कुत्स्क, क्रास्नोयार्स्क, उलान-उडे, चिता, खाबरोवस्क और व्लादिवोस्तोक हैं, जो इन दोनों स्थानों के बीच स्थित है। उत्तरी ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग : 

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वायु द्वारा विकसित स्थल आकृतियां | जल द्वारा विकसित स्तलाकृतियां

शुष्क और अर्ध शुष्क प्रदेश में अनाच्छादन के कारकों मुख्यतः पवन एवं सीमित मात्रा में जल के द्वारा विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों का निर्माण होता है, जिसे मरुस्थलीय या शुष्क स्थलाकृतियां कहते हैं। डेविस के अनुसार पवन ही मरुस्थलीय प्रदेश में अपरदन के मुख्य दूत हैं, यह यांत्रिक ऋतुक्षरण से उत्पन्न चट्टानी कणों का अपवाहन

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हिमानी द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां | हिमनद स्थलाकृति | Barf se banne wali nadiyan

उच्च अक्षांशो एवं उच्च प्रदेशों में तापमान की न्यूनता के कारण हिमक्षेत्र पाए जाते हैं, जो हिमनदी को जन्म देते हैं। हिमनद हिम के समूह होते हैं, जो हिम क्षेत्र से गुरुत्व के कारण एवं तापक्रम की अधिकता में बहुत धीमें सरकते हैं और अपरदनात्मक, परिवहनात्मक, एवं निक्षेपण के कार्यों से विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों

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Coral Bleaching | प्रवाल विरंजन का अर्थ | विश्व में प्रवाल विरंजन के प्रमुख क्षेत्र

विरंजन विरंजन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शैवालों पर रंग श्वेत होने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो पाती और शैवाल समाप्त होने लगते हैं और शैवालों की कमी के कारण प्रवाल जीव मरने लगते हैं। चूंकि शैवाल ही प्रवालों के भोजन होते हैं। अतः शैवालों के अभाव के क्षेत्र में प्रवाल विरंजन की क्रिया

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जेट स्ट्रीम का अर्थ | जेट स्ट्रीम के प्रकार | जेट स्ट्रीम का भौगोलिक प्रभाव

जेट स्ट्रीम से आशय पृथ्वी के निचले वायुमंडल में क्षोभसीमा से सामान्यतः 600 से 900 मीटर नीचे और पृथ्वी से लगभग 6000 से 12000 मीटर की ऊंचाई पर अत्यंत तीव्र वेग वाली वायु धारा वायुमंडल के विशिष्ट क्षेत्रों में प्रवाहित होती है, जिसे जेट स्ट्रीम कहते हैं। इसकी आकृति सर्पिल, विसर्पाकार होती है। इसके मध्य

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सूर्यातप का अर्थ | सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक

सूर्यातप क्या है ? पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत सूर्य है। जहां से लघु तरंगों के रूप में सौर्यिक विकिरण लगभग 3 लाख किमी प्रति सेकंड की दर से पृथ्वी की ओर आता है। सौर्यिक विकिरण (Solar Radiation) का जो भाग पृथ्वी को प्राप्त होता है, उसे सूर्यतप कहते हैं। सूर्यतप पृथ्वी पर तापीय

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वायुमंडल का अर्थ | वायुमंडल के प्रकार | वायुमंडल की विशेषताएं | वायुमंडल की संरचना

पृथ्वी के चारों ओर स्थित गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल पृथ्वी तंत्र का अभिन्न अंग है। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमंडल पृथ्वी से अलग नहीं हो सकता और पृथ्वी के चारों और यह बना रहता है। इसमें विभिन्न प्रकार की गैसों के अलावा धूलकण एवं जलवाष्प भी रहते हैं। स्ट्रॉलर के

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