जैवविविधता का अर्थ
जैवविविधता किसी प्राकृतिक प्रदेश में पाए जाने वाली जैव समुदाय का समग्रता का द्योतक है, इसमें किसी प्रदेश विशेष में पायी जाने वाली समस्त वनस्पति समुदाय, जीव-जंतु तथा सूक्ष्म जीवों की विभिन्न जातियां सम्मिलित है। ये पृथ्वी के जैविक संसाधन या जैव सम्पदा है, जिसकी पारिस्थितिकी संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, साथ ही विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति भी होती है। अतः जैवविविधता संपन्नता अति आवश्यक है।
जैवविविधता पृथ्वी तंत्र के वैसे जैव संसाधन हैं, जिनका पर्यावरणीय महत्व के साथ ही आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। चिकित्सा, कृषि, उद्योग में इनका व्यापक उपभोग किया जाता है। अनेक जैविक प्रजातियां जलवायु को स्थायित्व प्रदान करती हैं तथा जल विभाजकों एवं भूमि को संरक्षण प्रदान करती हैं। लेकिन प्रकृति में बढ़ता हुआ मानवीय हस्तक्षेप ने जैवविविधता के प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुंचाया है, जिसके कारण जैवविविधता का संकट उत्पन्न हो गया है।
वर्तमान में, नगरीकरण, औद्योगिकीकरण, हरित क्रांति के चरों तथा नवीन कृषि तकनीक, वनों की कटाई, विभिन्न पर्यावरणीय प्रदूषणों के कारण अनेक जैविक प्रजातियां लुप्त हो गई हैं और अनेक विलुप्त होने की स्थिति में है। इस तरह जैवविविधता में ह्रास की प्रवृत्ति उत्पन्न हो गई है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 4 करोड़ जैविक प्रजातियों में से प्रतिदिन 100 प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। यह जैव-विविधता के ह्रास को ही बतलाता है। जैव विविधता में ह्रास की समस्या वैश्विक समस्या के रूप में सामने आयी है। यदि जैवविविधता में ह्रास की यही गति बनी रही तो मानव के सामने भी अस्तित्व के संकट की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। क्योंकि जैव विविधता के नष्ट होने का अंतिम परिणाम मानव को ही चुकाना पड़ेगा। इसी कारण जय विविधता के संरक्षण की आवश्यकता महसूस हुई और भारत सहित पुरे विश्व में जैव विविधता संरक्षण के लिए कार्य किए जा रहे हैं।
जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्रसिद्ध कीट वैज्ञानिक विल्सन ने 1986 में जैविक विविधता पर अमेरिकन फोरम के लिए प्रस्तुत प्रतिवेदन में किया था जिसमें जैव विविधता की जगह जैवविविधता शब्द का सुझाव दिया गया।
जैव विविधता के स्तर या वर्ग
जैव विविधता को 3 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जो पृथ्वी पर इन पारिस्थितिकीय तंत्र की रक्षा के लिए अति आवश्यक है।
- अनुवांशिक जैव विविधता (Genetic Bio Diversity) : यह किसी प्रजाति विशेष में पाए जाने वाले समान जीव की विभिन्न पीढ़ियों में मिलने वालु विविधता है। अनुवांशिक जैव विविधता किसी भी प्रजाति के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। अतः जीवो के अनुवांशिक गुणों को बनाए रखा जाना आवश्यक है।
- जातीय जैव विविधता (Species Biodiversity) : किसी पारिस्थितिकी तंत्र या समुदाय विशेष में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीवों की संख्या का विवरण जातीय विविधता कहलाता है। जीवन में अधिक जातियों का पाया जाना अधिक जैव विविधता का होना बतलाता है। अतः विभिन्न जीवों को संरक्षित किया जाना अनावश्यक है।
- पारिस्थितिकीय जैव विविधता (Ecological or Ecosystem Biodiversity) : यह जटिल पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए अति आवश्यक है यहां विविधता एवं अजब तत्व के मध्य जटिल संबंध का विकास होता है यहां जीवो के मध्य खाद ऊर्जा तथा पदार्थ का प्रभाव होता है जीवो के कई पोषक स्तर (Trophic level) पाए जाते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए विश्वव्यापी कार्य किए जा रहे हैं, क्योंकि इसमें कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर पारिस्थितिकी असंतुलन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अतः यहां के जैव विविधता को बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके लिए प्रकृति रूप से पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीवों को पर्याप्त संख्या का बना रहना आवश्यक हैं। सभी पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता संबंधी अंतर पाया जाता है। इस प्रकार किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में मिलने वाले जीव-जंतुओं तथा पदार्थों की उर्जा प्रवाह एवं पदार्थों के आदान-प्रदान की प्रकृति भी विभिन्न होती है और यह प्रत्यक्ष रुप से वहां की पारिस्थितिकी पर निर्भर है।
विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र में पाए जाने वाले जैव विविधता में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। जैसे वन पारिस्थितिकी तंत्र में पदार्थों एवं जीवो की सामान्यतः संतुलित विविधता मिलती है, लेकिन झील, तालाब या महासागरों में वनस्पति की तुलना में जीवो की विविधता अधिक मिलती है। [ India 24 ]
जैव विविधता का महत्व/उपयोग
प्रकृति में पाए जाने वाले जीव जंतु एवं वनस्पतियों का मानव विकास में पर्याप्त महत्व है। यह आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जैव विविधता की अधिकता में हमें पर्याप्त रूप से भोजन एवं खाद्य पदार्थों की प्राप्ति होती है। साथ ही औषधीय दवाईयां, सुंदर प्रसाधन के समान के उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है। जैव विविधता के महत्वपूर्ण उपयोग निम्न है।
- खाद्य पदार्थ (Food ingredient) :
खाद्य पदार्थ या भोजन का अधिकांश भाग जीव जगत से ही प्राप्त होता है। जंगली पौधों की अनेक प्रजातियां मानव भोजन के रूप में प्रयोग हो रही हैं। पारिस्थितिकी वैज्ञानिक नार्मनमेयर्स के अनुसार मानव द्वारा लगभग 80000 खाद्य जंगली पौधों की प्रजातियों का उपयोग मानव कर रहा है। इंडोनेशिया के गांव में ही लगभग 4000 पौधों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों का उपयोग भोजन, दवा तथा अन्य उत्पादों में किया जा रहा है। इनमें से कई पौधों की विस्तृत कृषि भी प्रारंभ हो चुकी है। नासा ने 1975 में बताया था कि इंडोनेशिया में 250 खाद्य पदार्थों की जातियां हैं, जिसमें से केवल 43% की ही विस्तृत कृषि की जा रही है।
- दवाइयों के रूप में (In the form of medicines) :
जीव जगत से कई दवाईयां तथा औषधियां प्राप्त होती हैं। वर्तमान में कुल उपयोग की जाने वाली दवाइयों का 50% योगदान प्रकृति उत्पादों पर ही निर्भर करता है।
- पारिस्थितिकी लाभ (Ecological benefits)
जैव विविधता पर्यावरण संतुलन के लिए अति आवश्यक है। जैऊ तकनीक को पर्यावरण अनुकूल माना जाता है। इसी कारण रसायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों की जगह जैव उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को प्राथमिकता देने का प्रयास किया जा रहा है। इससे मृदा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। औद्योगिक कचरा एवं अन्य कचरा और अवशिष्टों के निस्तारण में भी इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। पॉलिथीन जो पर्यावरण के लिए अत्यंत नुकसानदायक है उसे खाने वाले जीवाणुओं प्लास्टिक बग (Plastic bug) का पता चला है। इस तरह पर्यावरण शुद्धिकरण में सूक्ष्म जीवाणुओं का अप्रत्यक्ष प्रयोग किया जा रहा है। वायु एवं जल का शुद्धिकरण तथा स्वच्छता बनाए रखने के लिए सौर ऊर्जा का अवशोषण, वर्षा, तापमान, आर्द्रता का नियंत्रण तथा विभिन्न जलीय भू-रसायनिक एवं जलीय चक्र का प्रबंध आदि जैव विविधता पर निर्भर करता है। Read Web stories
जेट्रोफा, सोयाबीन एवं गन्ने के द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करना लेकिन आजकल तो प्रदूषण को कम करने वाले कीड़े अर्थात ऐसे जीवाणु विकसित किए जा रहे हैं, जो कचरे को खाकर तेल उत्सर्जित करेंगे।
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