पारिस्थितिकी असंतुलन का अर्थ | समस्या | समस्या के कारण

पारिस्थितिकी असंतुलन

पारिस्थितिकी के विभिन्न घटकों जैव एवं अजैव घटकों के मध्य सामन्जस्य तथा संतुलन पाया जाता है, फलस्वरुप मानव सहित विभिन्न जीवो तथा वनस्पतियों के विकास की आदर्श एवं अनुकूल अधिवासीय स्थिति बनी रहती है। लेकिन जब बाह्य कारणों मुख्यत: मानवीय हस्तक्षेप के कारण पारिस्थितिकी के विभिन्न घटकों के मध्य का सामन्जस्य बिगड़ जाता है, तो मानव की अधिवासीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और पारिस्थितिकी असंतुलन की समस्या उत्पन्न होती है।

पारिस्थितिकी असंतुलन की समस्या एक वैश्विक समस्या का रूप ले चुकी है। अतः पर्यावरण के प्रति वैश्विक जागरूकता उत्पन्न हुई है। पारिस्थितिकी असंतुलन का मुख्य कारण मानव का प्रकृति में आवश्यकता से अधिक हस्ताक्षेप तथा पर्यावरणीय संसाधनों का अतिदोहन है। विभिन्न मानवीय क्रियाकलाप, आर्थिक गतिविधियां पारिस्थितिकी असंतुलन के लिए मुख्यत: उत्तरदायी हैं। वर्तमान में विकसित देशों के साथ ही विकासशील देशों के सामने भी पर्यावरणीय समस्याएं भयावह रूप ले चुकी हैं। वर्तमान में विकासशील देशों की आर्थिक विकास की प्रक्रिया ने पारिस्थितिकी असंतुलन में तीव्रता लायी है। औद्योगिक क्रांति के बाद प्रकृति के दोहन की गति बढ़ी, साथ ही विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई। फलस्वरूप पारिस्थितिकी समस्याएं भी तीव्र हुई, लेकिन पर्यावरण के प्रति जागरूकता 1970 के दशक के प्रारंभ में ही आ सकी। वर्तमान में पर्यावरणीय मुद्दे सामाजिक राजनीतिक मुद्दे के रूप में प्राथमिकता की सूची में है।

पारिस्थितिकी असंतुलन की समस्या को 3 वर्गों में बांटा जा सकता है।

  1.  पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
  2.  भूमंडलीय पारिस्थितिकी समस्या
  3.  जैव विविधता में ह्रास

(1) पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के अंतर्गत निम्न समस्याएं आती है।

  1.  वायु प्रदूषण
  2.  जल प्रदूषण
  3.  ध्वनि प्रदूषण
  4.  भूमि प्रदूषण

(2) भूमंडलीय परिस्थितिकी समस्या के अंतर्गत निम्न समस्याएं हैं।

  •  भूमंडलीय तापन की समस्या
  •  ओजोन क्षरण की समस्या

(3) जैव विविधता में ह्रास के अंतर्गत निम्न समस्याएं हैं।

  • जीव जंतुओं की संख्या में कमी एवं प्रजातियों का विनाश
  • वनस्पति प्रजातियों का विनाश

पारिस्थितिकी असंतुलन के सामान्य कारण

  1. जनसंख्या वृद्धि एवं संसाधनों पर अत्यधिक दबाव
  2. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण
  3. वनों का विनाश
  4. कृषि की नवीन तकनीक
  5. पर्यावरण जागरूकता का अभाव
  6. पर्यावरण संबंधी कानून को लागू नहीं करना
  7. वैश्विक सहयोग की कमी एवं पर्यावरण की वैश्विक राजनीति
  8. विकासशील एवं अल्प विकसित देशों की सामाजिक, आर्थिक समस्याएं जैसे गरीबी और अशिक्षा।
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