Davis was the first to use the term peniplane. According to him, the peniplane is a featureless, low-lying plain that develops in the final stages of the erosional cycle. The peniplain is not actually a plain of flat surface, but a surface of slight relief, in which rivers flow slowly on very gentle slopes through wide valleys, between which watersheds are found in the form of slightly elevated land. Elsewhere in the middle of the Sampray Plain, hard rock is present in the form of high mounds or waste hills, which Davis called Monadnock, named after Mount Monadnock in New Hampshire.
Before Davis, Powell and Ton sir had presented the idea of erosion surface. These scholars also believed that the work of erosion takes place till the base level. Davis’s contiguous plain is the stage of receiving the bedrock of the river.
The scholars who worked mainly on this subject after Davis. Penk, LC King and Crick were the main among them.
‘Penck’s theory’
Penck criticized Davies’s theory and proposed the idea of two distinct types of final topography instead of the peniplain.
- Indrum
- In Crick
Indrum
The final stage of the erosion cycle is when the major river regains its bedrock. Hence it is the same as Davis’s isotopic field. The erosion cycle itself has 2 fundamental differences from Davis in the final stage.
- According to Davis, there is no erosional work after the Sampraya plain, but according to Bank, even after the formation of the interm, the work provided by the tributaries continues at a slow rate and the new bedrock is obtained.
- After the erosive crest of these tributaries, the topography becomes even more flat which is called prime start.
- The primaramp is the position that is resurfaced and a new erosional cycle begins on this initial feature.
- Penck used Inselberg instead of Davis’s Monadnock. Its gradient is steeper than that of the Monadnock, a result of the concave slope of the river valley.
In Crick
He has called the topography formed at the end of the normal erosion cycle as panplane. Panplane is that topography whose upper part is formed by lateral erosion action and the lower part is made of flood plain. It is a combination of both and is the result of deposition. Paniplains differ from paniplains in that whereas peniplains are the result of subsidence, paniplains are formed by the convergence of floodplains.
‘L C King’
He called the final form of cyclic landscape development pediplane. This word is used in the context of desert area. The final topography of the desert region is called pediment, which is like an erosion surface. The distinctive mound of residual hard rock is called the Inselberg. He also stated that the development of pediplane-like topography could also be the end result of river erosion in wetlands. Hence the word pediplane is a synonym for peniplane.
It is clear from the above facts that the concept of Sampraya Maidan has been supported by many scholars. Despite differences regarding the process, it is a well-established belief that the end result of erosion is a nearly featureless plain.
Although this theory has been criticized by many topographical scientists. Its biggest criticism is about the fact that it is like a hypothesis and there are no examples of common plains in the world, but the process and trend of the development of this topography can be seen. Because for the development of Sampraya Plain, there is a need for geological peace and stability for a long period, which is hardly possible.
There are many evidences of land movement and innovation, which is the main obstacle in the construction and development of peniplane. So it can be a subject of research and study, not a solid proof of reality. Nevertheless, Mr. Davis has presented the concept and evidence of the ancient Sampraya plain which is in the form of plateau or high ground due to uplift. This can be seen in the context of the Ranchi Pat region or the Chota Nagpur Plateau, which has been uplifted four times and is currently undergoing its fourth erosion cycle.
The age of the present seabed bedrock is stated by Davis to be 5500 to 5600 years, which is a young age in geological history, and is not sufficient for the development of the Sumpra Plain.
Read in Hindi
डेविस ने पेनिप्लेन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया था। उसके अनुसार, पेनिप्लेन एक आकृतिविहीन है, निम्न समप्राय मैदान हैं, जो अपरदन चक्र की अंतिम अवस्था में विकसित होता है। पेनिप्लेन वास्तव में समतल धरातल का मैदान नहीं, बल्कि हल्के उच्चावच का धरातल है, जिसमें नदियां मंद गति से अत्यंत धीमी ढालों पर चौड़ी घाटी से होकर बहती है, जिसके बीच जल विभाजक हल्की ऊंची भूमि के रूप में पाए जाते हैं। समप्राय मैदान के मध्य में कहीं-कहीं कठोर चट्टाने ऊंचे टीले अथवा अपशिष्ट पहाड़ियों के रूप में वर्तमान में पाई जाती हैं, जिसे डेविस ने मॉनेडनॉक कहा, इसका नामकरण न्यू हेंपशायर स्थित माउंट मॉनेडनॉक के नाम पर किया गया है।
डेविस से पहले पावेल तथा टन महोदय ने अपरदन सतह का विचार प्रस्तुत किया था। इन विद्वानों की भी मान्यता थी कि अपरदन का कार्य आधार तल तक होता है। डेविस का समप्राय मैदान नदी का आधार तल प्राप्त कर लेने की अवस्था है।
डेविस के बाद जिन विद्वानों ने इस विषय पर मुख्यतः कार्य किया। उनमें पेंक, एलसी किंग तथा क्रिकमें मुख्य थे।
पेंक का सिद्धांत
पेंक ने डेविस के सिद्धांत की आलोचना की और पेनिप्लेन के बदले 2 विशिष्ट प्रकार की अंतिम स्थालाकृतियों का विचार प्रस्तुत किया।
- इन्ड्रम्प
- क्रिकमें
इन्ड्रम्प
अपरदन चक्र की अंतिम अवस्था है, जब प्रमुख नदी अपने अधारतल को प्राप्त कर लेती है। अतः यह डेविस के समप्राय मैदान के समान ही होता है। अपरदन चक्र ही अंतिम अवस्था में डेविस से 2 मौलिक अंतर होते हैं।
- डेविस के अनुसार समप्राय मैदान के बाद कोई अपरदन का कार्य नहीं होता है लेकिन बैंक के अनुसार इंटरम के निर्माण के बाद भी सहायक नदियों द्वारा प्रदत्त कार्य धीमी गति से जारी रहता है एवं नवीन आधार तल की प्राप्ति होती है।
- इन सहायक के नदियों के अपरदन गिरजा के बाद स्थलाकृति और भी अधिक समतल हो जाती है जिसे प्राइम आरंभ कहते हैं।
- प्राइमारम्प वह स्थिति है, जिसका पुर्नरुत्थान होता है और नई अपरदन चक्र इसी प्रारंभिक भ्वाकृति पर प्रारंभ होता है।
- डेविस के मोनडनोक की जगह पेंक ने इन्सेलवर्ग का प्रयोग किया। इसकी ढाल मोनडनोक की तुलना में अधिक तीव्र होती है जो नदी घाटी के अवतल ढाल का परिणाम है।
क्रिकमें
इन्होंने सामान्य अपरदन चक्र के अंतिम अवस्था में निर्मित स्थलाकृति को पैनप्लेन कहा है। पैनप्लेन वह स्थलाकृति है जिसका ऊपरी भाग पार्श्विक अपरदन क्रिया से और निचला भाग बाढ़ के मैदान से बना है। यह दोनों का सम्मिलन है और निक्षेप का परिणाम है। पैनप्लेन, पैनिप्लेन से इस बात में भिन्नता रखता हैं कि जहां पेनिप्लेन निम्नीकरण का परिणाम है, वहीं पैनिप्लेन बाढ़ के मैदान के मिलने से बनते हैं।
L C. King
इन्होंने चक्रीय भू-दृश्य विकास को अंतिम रूप पेडिप्लेन कहा। इस शब्द का प्रयोग मरुस्थलीय क्षेत्र के संदर्भ में किया है। मरुस्थलीय प्रदेश की अंतिम स्थलाकृति को पेडिमेन्ट कहा जो अपरदन सतह की तरह है। अवशिष्ट कठोर चट्टानों के विशिष्ट टीले को इन्सेलवर्ग कहा। उन्होंने यह भी कहा कि पेडिप्लेन जैसी स्थलाकृति का विकास आर्द्र प्रदेशों में नदी अपरदन का भी अंतिम परिणाम हो सकता है। अतः पेडिप्लेंन शब्द पेनिप्लेन का ही एक पर्याय है।
ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि समप्राय मैदान की संकल्पना का समर्थन अनेक विद्वानों ने किया है। प्रक्रिया के संदर्भ में मतभेद के बावजूद यह एक निश्चित धारणा है कि अपरदन का अंतिम परिणाम लगभग आकृति विहीन मैदान ही होता है।
यद्यपि इस सिद्धांत की कई स्थलाकृतिक वैज्ञानिकों द्वारा आलोचना की जाती रही है। इसकी सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर है कि यह एक परिकल्पना जैसा है और विश्व में समप्राय मैदान के उदाहरण नहीं मिलते हैं लेकिन, इस स्थलाकृति के विकास की प्रक्रिया और प्रवृत्ति देखने को मिलती है। क्योंकि समप्राय मैदान के विकास के लिए लंबी अवधि तक भूगर्भिक शांति एवं स्थिरता की आवश्यकता है, जो शायद ही संभव हो।
भू-संचलन और नवोन्मेष के अनेक प्रमाण मिलते हैं जो पेनिप्लेन के निर्माण एवं विकास में मुख्य बाधक है। अतः यह अनुसंधान एवं अध्ययन का विषय हो सकता है, वास्तविकता का ठोस प्रमाण नहीं है। फिर भी डेविस महोदय ने प्राचीन समप्राय मैदान की अवधारणा एवं प्रमाण प्रस्तुत किया है जो उत्थान के कारण पठार या उच्च भूमि के रूप में है। यह रांची का पाट प्रदेश या छोटा नागपुर पठार के संदर्भ में देखा जा सकता है, जिसका चार बार उत्थान हो गया है अभी चौथा अपरदन चक्र चल रहा है।
वर्तमान समुद्रतल आधारतल की आयु डेविस ने 5500 से 5600 वर्ष कही है, जो भूगर्भिक इतिहास में कम आयु है, एवं समप्राय मैदान के विकास के लिए पर्याप्त नहीं है।
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