जूट (Jute) के उत्पादन एवं क्षेत्र दोनों में विश्व में प्रथम स्थान पर है भारत। भारत में यह उष्णकटिबंधीय (Tropical) जलवायु का पौधा है। मगर इसके लिए उपोषण जलवायु आवश्यक होती है।इसके लिए जलवायु कारक – तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तथा वर्षा 100 से 300 सेंमी उपयुक्त है।
भोगोलिक दशाएं
आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) 90 प्रतिशत रहनी चाहिए। हल्की बलुई, डेल्टा की दुमट मिट्टी में खेती अच्छी होती है। इस दृष्टि से बंगाल की जलवायु इसके लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। जूट दो प्रकार की होती है।
- चीनी जूट : ऊंचे उठे भाग में नदियों के आधार के मध्य द्वीपों में उगाई जाती है। इसकी बुवाई मार्च से जुलाई के बीच होती हैं। साधारणतया छिटक बोआई होती है।
- देसी जूट : बील में (निम्न दलदली (Low bogey) भाग में), उसकी बुवाई फरवरी माह में की जाती है।
जूट का उत्पादन
जूट के उत्पादन राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश में कृष्णा, गोदावरी नदी डेल्टा क्षेत्र में नवीन क्षेत्र विकसित हुए हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन के मामले में पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक है।
- जूट एक द्विबीजपत्री (Dicotyledonous), रेशेदार पौधा है. इसका तना पतला और बेलनाकार (Cylindrical) होता है। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है जूट की खेती नकदी खेती कहलाती है। इससे लगभग 38 लाख गाँठ (एक गाँठ का भार 400 पाउंड) जूट पैदा होता है।
- जूट उत्पादन का लगभग 67 प्रतिशत भारत में ही खपत (Consume) है। 7 प्रतिशत किसानों के पास रह जाता है और शेष ब्रिटेन, बेल्जियम जर्मनी, फ्रांस, इटली और संयुक्त राज्य, अमरीका, को निर्यात होता है। अमरीका, मिस्र, ब्राज़िल, अफ्रीका, आदि अन्य देशों में इसके उपजाने की चेष्टाएँ की गईं, पर भारत के जूट के सम्मुख वे अभी तक टिक नहीं सके। Read Web Stories
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