सौरमण्डल – सौरमंडल के ग्रह | उपग्रह | पुच्छल तारा | धुमकेतु

सूर्य के परिवार को सौरमंडल कहते हैं। इसमें सूर्य एक तारा है जो प्रकाश तथा उष्मा प्रदान करता है। सूर्य से ही निकले हुए 8 ग्रह हैं, जिनके नाम बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण है। ये सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग द्वारा चक्कर लगाते हैं। इन ग्रहों से टूटे हुए पिंडों को उपग्रह कहते हैं। यह सभी अपने अपने ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और सूर्य से प्रकाशित होते हैं। सूर्य सौर परिवार का जन्मदाता है। इसका व्यास 13,93000 किमी है और पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है। इसके तल का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस है। यह पृथ्वी से 14.96 करोड़ किमी दूर है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगभग 8.18 (लगभग 500 सेकंड) मिनट लगते हैं। सूर्य के काले धब्बे 1500 डिग्री सेंटीग्रेड से कम गर्म क्षेत्र हैं।

सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है। ग्रहों में सर्वाधिक 92 उपग्रह बृहस्पति के थे बुध सूर्य के सबसे निकट दूरी पर स्थित है, वरुण सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है। सूर्य की परिक्रमा बुध 88 दिन में और वरुण 164.8 वर्ष में पूरी करता है। अपनी धुरी पर घूमने में बृहस्पति 9 घंटे, 50 मिनट और 30 सेकेंड का समय लेता है जबकि शुक्र 243 दिन का समय लेता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व घूमती हुई 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड लगभग 24 घंटे में एक पूरा चक्कर करती है। इस गति को पृथ्वी का घूर्णन या परिक्रमण कहते हैं। घूर्णन के साथ-साथ पृथ्वी अपने अण्डाकार मार्ग पर सूर्य का एक चक्कर 365.26 दिन में पूरी करती है। इस गति को परिभ्रमण कहते हैं। पृथ्वी की परिक्रमण गति से दिन-रात परिभ्रमण गति से ऋतु परिवर्तन होता है।


उपग्रह :

यह छोटा खगोल पिंड है जो अपने ग्रह का परिभ्रमण करता है। पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है। इसी प्रकार अन्य ग्रहों के भी उपग्रह है। मंगल के 2, बृहस्पति के 92, शनि के 82, अरुण के 27 और वरुण के 13 उपग्रह है। बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है। चंद्रमा पर भी वायुमंडल नहीं है अतः वहां जीवन भी नहीं है। चंद्रमा पृथ्वी से 3.84 लाख किमी दूर है, और सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। यहां दिन का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस व रात्रि का तापमान -180 डिग्री सेल्सियस पाया जाता है। चंद्रमा 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट और 11.47 सेकेंड में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में वह अपनी दूरी पर भी एक चक्कर पूरा करता है। फलत: दिन-रात की अवधि 28 दिन और चंद्रमास की अवधि भी इतनी ही है।

कभी-कभी पूछक केंद्रक धूल के आकार के कणों से लेकर बड़े-बड़े आकारों में पूछ जैसी आकृति के आकाशीय पिंड पाए जाते हैं। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के निकट होने पर यह स्पष्ट दिखाई देते हैं। इनको पुच्छल तारा कहते हैं। इनमें हेली पुच्छल तारा सूर्य के चारों ओर 76 वर्ष में 5.3 अरब किमी लंबे कक्ष की परिक्रमा करता है। अतः 76 वर्ष बाद ही दिखाई देता है। आकाश में 65 पुच्छल तारे अब तक देखे जा चुके हैं। अधिकांश देखा जाने वाला एन्के पुच्छल तारा है जो 1986 में देखा गया था।

आकाशगंगा असंख्य तारों का विशाल पुंज है, जिनमें अधिकांश तारे आंखो द्वारा दिखाई नहीं पड़ते हैं। रात्रि को स्वच्छ आकाश में एक चमकदार मेहराब दिखाई देता है। भारत में इसे आकाशगंगा, यूरोप में मिल्की-वे तथा यूनानी भाषा में गैलेक्सी कहते हैं। आकाशगंगा में सूर्य से बड़े 68% तारे इसी प्रकार के हैं।

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते समय अनेक नक्षत्र समूह (तारा समूह) में होकर गुजरती है। इनके आकार भिन्न है। मनुष्य ने अपनी कल्पना के अनुसार विभिन्न नाम रखे हैं। मछली व बिच्छू के समान देखने वाले नक्षत्र समूहों को क्रमश मीन व वृश्चिक कहते हैं। भारत में इन्हें राशियां कहते हैं। इनकी संख्या 12 है, जिनके नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन है। प्रत्येक राशि को पार करने में पृथ्वी को 1 महीना लगता है। तारा समूह अपना स्थान बदलते रहते हैं। पृथ्वी अपनी कक्ष पर घूमते समय अक्ष को सदैव ध्रुवतारा (उत्तर दिशा) की ओर रखती है। ध्रुवतारा सदैव एक ही स्थान पर दिखाई देता है। इस तारे के समीप के तारे भी लगभग उसी स्थान पर दिखाई देते हैं। ध्रुव तारे का सप्त ऋषि नक्षत्र समूह (Great Bear) द्वारा सुविधापूर्वक पहचाना जा सकता है। इस नक्षत्र समूह के बीटा व एल्फा तारों को मिलाते हुए खींची जाने वाली रेखा ध्रुव तारे के पास से होकर गुजरती है।


सौरमंडल के ग्रह :

    1. बुध (Mercury) :  यह सूर्य का सबसे निकटतम ग्रह है। इसका व्यास 4878 किमी और सूर्य से दूरी 5.7 करोड किमी है। यह 88 दिन में सूर्य की परिक्रमा कर लेता है। बुध अपने दीर्घवृत्तीय कक्षा में 1,76,000 किमी प्रति घंटे की गति से घूमता है। यह गति इसे सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की पकड़ से सुरक्षित रखती है। बुध पर वायुमंडल नहीं है। यहां दिन अति गर्म और राते बर्फीली होती है। बुध का 1 दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर अवधि का और इतने ही समय की एक रात होती है। परिणाम में यह पृथ्वी का 18वां भाग है। इसका गुरुत्वाकर्षण का 3/8 भाग है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी का 5.5% है।
    2. शुक्र (Venus) :  बुध के बाद यह सूर्य का निकटतम ग्रह है और लगभग पृथ्वी के बराबर आकार तथा भार का है और सूर्य से दूरी 10.82 करोड़ किमी है। यह सूर्य की परिक्रमा 225 दिन में पूरी करता है। शुक्र गर्म और तपता हुआ ग्रह है तथा इसके चारों ओर सल्फ्यूरिक एसिड के जमे हुए बादल है। खोजो और रडार मैपिंग से इसके बादलों को भेद करने से पता चलता है कि शुक्र की सतह चट्टानों और ज्वालामुखी की है। यह पृथ्वी के अति निकट है और सूर्य व चंद्रमा को छोड़कर सबसे चमकीला दिखाई पड़ता है। चंद्रमा की भांति इसकी भी कलाएं हैं। प्रातः पूर्व में और सांय पश्चिम में दिखाई पड़ने के कारण इसे भोर का तारा (Morning Star) और सांझ का तारा (Evening Star) भी कहते हैं। शुक्र के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड 90 से 95% होती है। तथा थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन, जलवाष्प और अन्य तत्व होते हैं। आकार और द्रव्यमान में पृथ्वी से थोड़ा छोटा होने के कारण कुछ खगोलशास्त्री इसे पृथ्वी की बहन भी कहते हैं। शुक्र का वायुमंडलीय दाब पृथ्वी से 100 गुना है।
    3. पृथ्वी (Earth) : पृथ्वी, शुक्र और मंगल के मध्य स्थित ग्रह है। यहां मध्य तापमान ऑक्सीजन और प्रचुर मात्रा में जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी सौरमंडल का अकेला ग्रह है जहां जीवन है। इसका व्यास 12,756 किमी और सूर्य से औसत दूरी 14.96 करोड़ किमी है। यह सूर्य की परिक्रमा 365 दिन में पूरी करता है। इसके ऊपर वायुमंडल का आवरण है। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है।
    4. मंगल (Mars) : यह सूर्य से चौथा ग्रह है। बायकिंग की खोज से ज्ञात हुआ है कि यहां जीवन की कोई संभावना नहीं है। मंगल की बंजर भूमि का रंग गुलाबी है। अतः इसे लाल ग्रह भी कहते हैं। यहां चट्टाने व शिलाखंड है। यहां का वायुमंडल अत्यंत विरल है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड पाई जाती है एवं कुछ मात्रा में जलवाष्प, अमोनिया एवं मिथेन भी है। मंगल ग्रह में पृथ्वी के समान दो ध्रुव है तथा इसका कक्षा तल पृथ्वी से 25 डिग्री के कोण पर है, जिससे यहां पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है। मंगल का सबसे ऊंचा पर्वत निक्स ओलंपिया है, जो एवरेस्ट से 3 गुना ऊंचा है। मंगल के 2 उपग्रह हैं जिनके नाम फोबोस और डिमोस है। 
    5. बृहस्पति (Jupiter) : यह सूर्य से 5वा ग्रह और सौरमंडल के ग्रहों में सबसे बड़ा है। सूर्य से औसत दूरी 77.83 करोड किमी है। यह सूर्य की परिक्रमा में 11.9 वर्ष लगाता है। बृहस्पति का द्रव्यमान सौरमंडल के सभी ग्रहों का 71% एवं आयतन डेढ़ गुना है। इस ग्रह के वायुमंडल में हाइड्रोजन, हिलियम, मीथेन, अमोनिया आदि गैसे हैं।
      बृहस्पति सूर्य से जितनी ऊर्जा अवशोषित करता है उससे अधिक विकिरण द्वारा उत्सर्जित करता है। इसका विकिरण ऊष्माहीन विद्युत चुंबकीय है। बृहस्पति का भीतरी तापमान 25000 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसके 92 उपग्रह है, जिनमें गैनिमीड सबसे बड़ा है। इसका वायुमंडल अत्यंत ठंडा रहता है। इसमें जहरीली गैस अमोनिया रवायुक्त बादल है, जिस कारण से सफेद धारियां दृष्टिगत होती हैं। 
    6. शनि (Saturn) :  यह सूर्य की परिक्रमा 30 वर्ष में पूरी करता है शनि की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि इसके चारों ओर वलय जो अन्तय छोटे-छोटे कणों से बने हैं। आकाश में यह ग्रह पीले तारे के समान है। बृहस्पति के समान शनि पर भी  मुख्यता हाइड्रोजन और हीलियम गैस पाई जाती है और कुछ मात्रा में मीथेन और अमोनिया विद्वान है।
      शनि के 82 उपग्रह अभी तक ज्ञात है। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टिटोन है जो बुध ग्रह के बराबर है। शनि अंतिम ग्रह है जिसे आंखों से देखा जा सकता है। सूर्य के प्रकाश का केवल 1/100वां भाग ही इस ग्रह पर पड़ता है। शनि के गुरुत्वाकर्षण से निकलने के लिए 32 किमी प्रति सेकंड की गति आवश्यक है।
      शोधकर्ताओं ने इस ग्रह के चारो ओर चक्कर लगा रहे 20 नए चंद्रमाओं की खोज की है और इस तरह इनकी संख्या 82 हो गई है जबकि बृहस्पति के चारो ओर 92 चांद चक्कर लगाते हैं शनि के चारो ओर चक्कर लगाने वाले इन नए उपग्रहों का व्यास 5 किमी है इनमें से 17 उपग्रह शनि की विपरीत दिशा में चक्कर लगाते हैं अब सबसे ज्यादा उपग्रहों वाला गृह वृहस्पति हो गया है
    7. अरुण (Uranus) : यह सूर्य से 7वां और आकार में तीसरा ग्रह है। इस ग्रह की खोज 1781 ईस्वी में सर विलियम हार्सल ने की थी। दूरदर्शी से देखने पर यह हरे रंग का दिखाई देता है। यह ग्रह सूर्य की परिक्रमा में 84 दिन का समय लेता है। इस ग्रह का वायुमंडल घना है जिसमें हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया जैसी गैसें पाई जाती है, अरुण के चार ओर पांच वलय है जिनके नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलोन है। इस ग्रह के 27 उपग्रह है।
      सूर्य के निकट स्थिति के कारण बुध और शुक्र काफी गर्म है, बाकी सब ठंडे ग्रह है।
      शुक्र और अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों की घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है।
      प्रॉक्सिमा सेंचुरी सूर्य के बाद सबसे निकट का तारा है। यह पृथ्वी से 4.5 प्रकाश वर्ष दूर है। (एक प्रकाश वर्ष का मान 5.88*10 की घात 5 मील होता है)
    8. वरुण (Neptune) : इसकी खोज जोहान गले ने की थी, यह 165 सालो में सूर्य का एक चक्कर लगता है तथा इसके 13 उपग्रह है।

प्लूटो/यम/कुबेर को 24 अगस्त, 2006 को ग्रहों की श्रेणी से बाहर किया गया था। इसके लिए प्राग में करीब 2500 खगोलविद इकठ्ठे हुए और इस विषय पर उनका मतदान भी हुआ। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ की इस मीटिंग में सभी के बहुमत से इस पर सहमति बनी और सौरमंडल के ग्रहों शामिल होने के लिए उन्होंने तीन मानक तय किए हैं। वैज्ञानिको के अनुसार, ऐसा ठोस पिंड जो अपना गुरुत्व करने लायक विशाल हो, गोलाकार हो और सूर्य का चक्कर लगाता हो, ग्रहों की श्रेणी में आ जायेगा साथ ही इनकी कक्षा पडोसी गृह के रास्ते में नहीं होनी चाहिए प्लूटो के साथ समस्या यह थी की उसकी कक्षा वरुण की कक्षा में ओवरलैप करती है

    • प्लूटो सूर्य से करीब 5.9 अरब किमी की दूरी पर है।
    • हमारे सौरमण्डल में पाँच ज्ञात पिण्डों को ‘बौना ग्रह’ की संज्ञा दी गयी है –
      (1) यम (प्लूटो)
      (2) सीरीस
      (3) हउमेया
      (4) माकेमाके
      (5) ऍरिस (एरिस सबसे बड़ा बौना ग्रह है।)

प्लूटो की खोज 18 फ़रवरी 1930 को हुई थी।


उपग्रह (Satellite)

ये आकाशीय पिंड है जो अपने-अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं। ये अपने ग्रह के साथ-साथ सूर्य की भी परिक्रमा करते हैं। ग्रहों की भांति इनमें भी अपनी चमक नहीं होती है बल्कि सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है। ग्रहों के समान उपग्रह का पथ भी अंडाकार होता है। उपग्रह ग्रहों की अपेक्षा छोटे होते हैं। अधिकांश उपग्रह उसी दिशा में ग्रहों की परिक्रमा करते हैं, जिस दिशा में ग्रह सूर्य की परिक्रमा करता है। 10 उपग्रह ऐसे हैं, जिनका मार्ग प्रतिकूल दिशा में है।


पुच्छल तारा या धुमकेतु (Comets)

ये सौरमंडल के सबसे नजदीक उत्केंद्रित कक्षा वाले सदस्य हैं, जो सूर्य के चारों ओर लंबी किंतु अनियमित कक्षा में घूमते हैं। ये आकाशीय धूल, बर्फ और हिमानी गैसों के पिंड है जो सूर्य से दूर ठंडे और अंधेरे क्षेत्र में रहते हैं तथा अपनी कक्षा में घूमते हुए कई वर्षों के पश्चात जब ये सूर्य के समीप से गुजरते हैं तो गर्म होकर इनसे गैसों की फुहार निकलती है जो एक लंबी चमकीली पूछ के समान प्रतीत होती है। यह पूछ कभी-कभी लाखों किमी लंबी होती है। सामान्य अवस्था में पुच्छल तारा बिना पूंछ के होता है, परंतु जोंहि वह सूर्य के निकट आता है, सूर्य की गर्मी के कारण इसकी बाहरी सतह पिघलकर गैस में परिवर्तित हो जाती है। हेली पुच्छल तारा 76 वर्षो के बाद दिखाई देता है, अंतिम बार यह 1986  में दिखाई दिया था और अगली बार यह सन 2062 में दिखाई देगा.


उल्का और उल्काश्म (Meterors or shooting Star)

जो पिंड पृथ्वी पर पहुंचने से पूर्व ही जलकर राख हो जाते हैं, उन्हें उल्कापिंड कहते हैं। कुछ पिंड वायुमंडल के घर्षण से पूर्णतः जल नहीं पाते और चट्टानों के रूप में पृथ्वी पर आ गिरते हैं। इन्हें उल्काश्म कहते हैं। उनकी संरचना पृथ्वी के समान है। इन्हे टूटा हुआ तारा भी कहते है


नक्षत्र (Star Groups)

पृथ्वी के चारों ओर लगभग 27 ऐसे तारा समूह है जो रात्रि में आकाश में दिखाई पड़ते हैं। पृथ्वी की परिक्रमा करते समय चंद्रमा किसी न किसी नक्षत्र या तारा समूह के सामने से गुजरता है, जिससे उस दिन वह नक्षत्र दिखाई नहीं देता। प्रतिदिन चंद्रमा एक नक्षत्र पार कर लेता है। पृथ्वी प्रत्येक नक्षत्र को लगभग 14 दिन में पार कर लेती है, इसलिए नक्षत्रों की अवधि 14 दिन होती है। 


पृथ्वी तथा उसकी गतियां

पृथ्वी गोलाकार है तथा पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12,756 किमी और ध्रुवीय व्यास 12,713 किमी है। भूमध्य रेखा पर यदि 40,075 किमी और ध्रुवीय परिधि 40,000 किमी पृथ्वी का पृष्ठीय क्षेत्रफल 51,01,00,500 1 किमी है। पृथ्वी पर 29% क्षेत्रफल पर स्थलमंडल व 71% भाग पर जलमंडल है।

  • पृथ्वी की गतियां :  पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार मार्ग पर 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकेंड अर्थात 365, 1/4 दिन में 1,07,160 किमी प्रति घंटे की चाल से पूरा चक्कर लगाती है। इसका 1 वर्ष 365 दिन का होता है। अतः चौथे वर्ष अथवा लीप वर्ष में एक पूरा दिन जोड़कर 366 दिनों का वर्ष माना जाता है जबकि पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी प्रति घंटे की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4.09 सेकेंड में एक पूरा चक्कर लगाती है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के इस पूरे चक्कर को परिक्रमा अथवा पृथ्वी की वार्षिक गति कहते हैं। इस गति से पृथ्वी पर दिन रात छोटे-बड़े और ऋतु परिवर्तन होते हैं। पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से दिन-रात होते हैं।
  • दिन-रात का छोटा-बड़ा होना व ऋतु परिवर्तन :  पृथ्वी अपनी धुरी से 23 डिग्री 32 अक्षांश से एक ओर झुकी है। अतः परिक्रमण के दौरान कभी इसका कोई भाग सूर्य के पास आ जाता है और कभी कोई भाग सूर्य से दूर हो जाता है। वर्ष का वह समय जब सूर्य भूमध्य रेखा पर मध्यान्ह में ऊर्ध्वाधर होता है तो इसे भी विषुभ (Equinox) कहते हैं। यह स्थिति 21 मार्च और 22 दिसंबर को होती है। इन्हें उत्तरी गोलार्ध में क्रमशः बसंत विषुभ और शरद विषुभ (Vernal and Autumn Equinox) कहते हैं। पृथ्वी पर इन दिनों 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है। 21 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्ध के समीप होता है और दक्षिणी गोलार्ध से दूर। अतः उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में दिन बड़े और रात छोटी होती है और दक्षिणी गोलार्ध में दिन छोटे रात्रि बड़ी होती है। 22 दिसंबर को सूर्य दक्षिण गोलार्ध के समीप होता है। अतः यहां ग्रीष्म ऋतु और उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु होती है। इसी दिन दक्षिणी गोलार्ध में दिन बड़े और रात्रि छोटी होती है तथा उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटे होते हैं। सूर्य 21 जून को उत्तरी अयनांत (कर्क रेखा) तथा 22 दिसंबर को दक्षिणी अयनांत (मकर रेखा) पर पहुंचता है। इन अवधियों को उत्तरी गोलार्ध में क्रमशः कर्क संक्रांति या ग्रीष्म अयनांत तथा मकर सक्रांति या शीत अयनांत कहते हैं।
  • सूर्योच्च और उपसौर :  पृथ्वी की परिक्रमण गति के दौरान 4 जुलाई को पृथ्वी अपनी कक्षा में सूर्य से अधिकतम दूरी 15.2 करोड़ किमी पर होती है तो इस स्थिति को सूर्योच्च या रविउच्च (Aphelion) कहते हैं। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के निकटतम दूरी 14.73 करोड किमी पर होती है तो इस स्थिति को उपसौर (Perihelion) कहते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • कृत्रिम उपग्रह :  समानयत: दूर-संवेदी उपग्रह ‘ध्रुवीय सूर्य समतुल्य कक्षा’ में 320 – 1100 किमी की दूरी पर स्थापित किये जाते है इन उपग्रहों का परिभ्रमण काल 24 घंटे का होता है ये भूमध्य रेखा को एक निश्चित स्थानीय समय पर ही पर करते है, जो सामान्यत  9-10 बजे होता है
    दूर-संचार उपग्रह भू-स्थैतिक कक्षा में 36,000 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किये जाते है
  • एस्ट्रोसैट :  एस्ट्रोसैट भारत की प्रथम समर्पित बहु तरंगदैर्य अंतरिक्ष वेधशाला है यह पृथ्वी की निचली निकट भूमध्य रेखीय कक्षा में 650 किमी की उचाई पर स्थापित की गई है अब भारत भी अमेरिका, रुस, जापान और यूरोप के समूह में शामिल हो गया है
  • एक नयी खोज के अनुसार, पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर एक बड़ा ग्रह है वैज्ञानिक इसे J1407B कहते है यह बृहस्पति और शनि से भी 40 गुना बड़ा है. इस ग्रह के बाहर बना छल्ला 12 करोड़ किमी तक फैला है
  • पृथ्वी का सबसे निकटतम गृह :  शुक्र, पृथ्वी से मात्र 4 करोड किमी दूर है जबकि बुध 10 करोड, मंगल 8 करोड, बृहस्पति 58 करोड, शनि 130 करोड, अरुण 280 करोड व वरुण 430 करोड किमी दूर है।
  • यहाँ हम अंतरिक्ष और ब्रह्माण्ड के बीच अंतर को स्पस्ट करेंगे :  अंतरिक्ष शून्य को संदर्भित करता है जो आकाशीय वस्तुओं के बीच मौजूद है। ब्रह्मांड का तात्पर्य सभी भौतिक पदार्थों और ऊर्जा, सौर मंडल, ग्रहों, आकाशगंगाओं और अंतरिक्ष की सभी सामग्रियों से है। अंतरिक्ष में आकाशीय वस्तुएं शामिल नहीं हैं; इसमें उनके बीच केवल शून्य शामिल है। ब्रह्मांड में सभी खगोलीय पिंड शामिल हैं।
  • ब्रह्माण्ड का अर्थ :  सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सियाँ, खगोलीय पिण्ड, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा सम्मिलित है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91.1 अरब प्रकाश वर्ष) है।
  • जानकारी के अनुसार, ब्रह्मांड में अब तक 19 अरब आकाशगंगाएं होने का अनुमान हैसभी आकाशगंगाएं एक-दूसरे से दूर हटती जा रही हैं। 19 अरब आकाशगंगाओं में से एक हमारी आकाशगंगा है – मिल्की वे आकाशगंगा, मिल्की वे आकाशगंगा में हमारी पृथ्वी और सूर्य और अन्य उपग्रह आदि हैंMountain Ratna

ग्रहो का क्रम

    • आकार के अनुसार ग्रह (घटते क्रम में) : बृहस्पति – शनि – अरुण – वरुण – पृथ्वी – शुक्र – मंगल – बुध
    • द्रव्यमान के अनुसार ग्रह ( घटते क्रम में) :  बृहस्पति – शनि – वरुण – अरुण – पृथ्वी – शुक्र – मंगल – बुध
    • घनत्व के अनुसार ग्रह ( घटते क्रम में) : पृथ्वी – बुध – शुक्र – मंगल – वरुण – बृहस्पति  – अरुण – शनि
    • दूरी के अनुसार ग्रह ( बढ़ते क्रम में) : बुध – शुक्र – पृथ्वी – मंगल – बृहस्पति – शनि – अरुण – वरुण
  1. निकोलस कोपरनिकस को आधुनिक खगोलशास्त्र के जनक के रूप में जाना जाता है
  2. बिग बैंग सिद्धांत, साम्यावस्था सिद्धांत, दोलन सिद्धांत का संबंध ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से है
  3. हमारी आकाश गंगा को मंदाकनी कहा जाता है
  4. तारा धीरे-धीरे ठंडा होकर लाल रंग का दिखाई देने लगता है, जिसे रक्त दानव कहा जाता है
  5. यदि तारों का द्रव्यमान 1.4 Ms (जहाँ Ms सूर्य द्रव्यमान है) से कम होता है तो वह अपनी नाभिकीय ऊर्जा खो देता है और स्वेत वामन में बदल जाता है, जसे जीवाश्म तारा भी कहा जाता है
  6. 1.4 Ms को चंद्रशेखर सीमा कहते है
  7. ब्लैक हॉल की संकल्पना को प्रतिपादित करने का श्रेय जॉन वहीलर को दिया जाता है
  8. आंतरिक ग्रह :  बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल
  9. बाहरी ग्रह : बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण
  10. पृथ्वी से निकटतम ग्रह – शुक्र
  11. सर्वाधिक गर्म ग्रह – शुक्र
  12. सर्वाधिक घनत्व वाला ग्रह – पृथ्वी
  13. सर्वाधिक चमकीला ग्रह – शुक्र
  14. वलय युक्त ग्रह – शनि और अरुण
  15. सर्वाधिक तापान्तर वाला ग्रह – बुध
  16. हरे रंग का दिखाई देने वाला ग्रह – अरुण
  17. धुरी पर सबसे तेज परिभ्रमण करने वाला ग्रह – बृहस्पति
  18. धुरी पर न्यूनतम परिभ्रमण करने वाला ग्रह – शुक्र

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