स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 1952 में एक जनसंख्या नीति निर्धारित की, जिसका उद्देश्य जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के विभिन्न उपायों को अपनाकर उसे निर्धारित स्तर पर रोकना था। इस नीति के अंतर्गत मुख्य कार्यक्रम निम्न थे।
- लोगों को परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना और इसके लिए सभी प्रसार माध्यमों अखबार, रेडियो, टीवी, फिल्मों आदि का सहारा लेना।
- ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों के सभी वर्गों को गर्भनिरोधक सामग्रियों की आपूर्ति करना।
- नसबंदी करवाने वाले व्यक्तियों को नगद इनाम के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन देना।
- पुरुषों एवं स्त्रियों में परिवार नियोजन के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों को अपनाना।
1952 में अपनाए गए परिवार नियोजन कार्यक्रम को सीमित अर्थ में अपनाया गया और इसका संचालन छोटे पैमाने पर किया गया। हालांकि परिवार नियोजन के तरीकों की लोकप्रियता बढ़ाने में यह नीति सफल रही लेकिन इसे कुल मिलाकर आपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी।
1976 की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति :
16 अप्रैल 1976 को भारत सरकार ने नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की। इसके अंतर्गत क्रांतिकारी लक्ष्य रखे गए और इसके लिए कई उपाय किए जैसे विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष कर दी गई। स्त्री साक्षरता को बढ़ाने का प्रयास किया गया तथा नसबंदी हेतु नकद प्रोत्साहन। जबरन नसबंदी का अभियान चलाया तो जनसाधारण में इस नीति के प्रति व्यापक असंतोष फैला। यही कारण रहा कि 1977 के आम चुनावों के पश्चात जब नई सरकार का गठन हुआ तो उसने नई जनसंख्या नीति की घोषणा की।
इस नीति में जबरन नसबंदी को पूर्ण रूप से छोड़ दिया गया और पुनः स्वैच्छिक परिवार नियोजन प्रणाली को प्रोत्साहन दिया गया। इस कार्यक्रम को परिवार कल्याण कार्यक्रम नाम दिया गयाा। लेकिन परिवार कल्याण कार्यक्रम भी कुछ उपलब्धियों के बावजूद जनसंख्या की वृद्धि दर पर अंकुश लगाने में असमर्थ रहा। इसका मूल कारण यह है कि सरकारी नीति देशवासियों को परिवार नियोजन कार्यक्रम की ओर खींचने में बहुत सफल नहीं रही। यह बात ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ विशेष रुप से लागू होती है।
नीति की दिशा तो ठीक थी लेकिन बड़े ढुलमुल तरीके से इसका संचालन किया जाता रहा। यह पूरी कार्यवाही कागज पर ही होती हैै। यही नहीं नीति को सही अर्थ में पूर्ण राजनितिक और समर्थन भी नहीं मिल पाया था।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति – 2000
भारत की जनसंख्या का जो भी अभी आकार है और जिस दर से यह बढ़ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके पूर्व जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए किए उपाय अपने उद्देश्यों के पूर्णता सफल नहीं रहे हैं। यही कारण था कि एक युक्ति संगत जनसंख्या नीति का लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी।
जनसंख्या विस्फोट की स्थिति निश्चय ही देश के आर्थिक विकास में बाधक है। इसमें संदेह नहीं कि इस पर नियंत्रण पाने के लिए एक स्पष्ट एवं प्रभावी जनसंख्या नीति की आवश्यकता है। इसलिए नौवीं पंचवर्षीय योजना में केंद्र सरकार ने 15 फरवरी 2000 को एक नई जनसंख्या नीति 2000 की घोषणा की। इस नीति के उद्देश्यों को तीन भागों में बांट कर निर्धारित किया गया। इस नीति में तत्कालिक मध्य अवधि और दीर्घकालीन उद्देश्य स्पष्ट किए गए हैं, जो निम्न है।
तात्कालिक उद्देश्य : गर्भनिरोधक ओ के प्रयोग को बढ़ावा देना स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं को सुनिश्चित करना तथा स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था करना।
मध्यकालीन उद्देश्य : 2010 तक के जनन क्षमता दर को प्रतिस्थापन स्तर तक लाना।
दीर्घकालिक उद्देश्य : इसके अंतर्गत वर्ष 2045 तक स्थिर जनसंख्या के लक्ष्य को प्राप्त करना जो आर्थिक समृद्धि सामाजिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अनुकूल हो।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 के मुख्य उद्देश्य :
- मातृत्व मृत्यु दर को प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 30 तक घटाना।
- शिशु मृत्यु दर को प्रति 1000 जीवित जन्मो पर 30 से कम करना।
- टीकाकरण के द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले लोगों से बच्चों का प्रतिरक्षण।
- प्रजनन नियंत्रण एवं गर्भनिरोध के लिए विभिन्न विकल्पों के विषय में जानकारी और सेवाओं तक सभी व्यक्तियों की पहुंच को संभव बनाना।
- लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले न करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना।
- संक्रामक रोगों को नियंत्रित करना।
- छोटे परिवार को प्रोत्साहन देना जिससे कुल जनन क्षमता दर प्रतिस्थापना दर पर आ जाए।
- (11 जुलाई, 2023 के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,42,45,76,174 हो गई है, जिसके कारण भारत, विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया। रिपोर्ट द हिन्दू)
राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग :
नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन पर निगरानी रखने व इसकी समीक्षा करने के लिए 11 मई 2000 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन किया गयाा। जिसका प्रमुख कार्य जनांकिकीय शैक्षिक पर्यावरण है तथा विकासात्मक कार्यक्रमों के बीच सक्रियता परिवर्तित करके जनसंख्या स्थिरीकरण को निर्देशित करना है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या नियंत्रण के लिए पिछड़े राज्यों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना अभी इसके उद्देश्यों में शामिल किया गया है राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग पहले योजना आयोग के अंतर्गत था। मई, 2005 में इसे पुनर्गठित कर के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंप दिया गया।
Pingback: खाद्य सुरक्षा का अर्थ I भारत में खाद्य सुरक्षा की समस्या के कारण I What is Food Security - Mountain Ratna