20 अप्रैल 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत अप्रैल 2020 से मार्च 2024 तक पूरे देश के 6.2 लाख गांव को कवर किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत ड्रोन के माध्यम से आधुनिक तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्र में आवासीय भूमि एवं ग्रामीण क्षेत्र की भूमि के स्वामित्व का नक्शा बनाया जाता है। इसी योजना से एक ओर जहां सटीक भूमि रिकॉर्ड से संपत्ति संबंधी विवादों में कमी आने की संभावना है, वहीं वित्तीय संस्थाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी
इस योजना की आवश्यकता इसलिए पड़ी, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कई ग्रामीणों/किसानों के पास अपनी भूमि के स्वामित्व को साबित करने के लिए कोई कागजात या सबूत नहीं होते हैं। अधिकांश राज्यों में स्थित गांवों में भूमि के सत्यापन के उद्देश्य से आबादी वाले क्षेत्रों का संरक्षण और मापन नहीं किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लगभग कुछ गांव ऐसे हैं, जहां लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण लोगों के पास अपने घर के कागजात भी नहीं है। स्थाई पता नंबर के हिसाब से नहीं होता। आधार कार्ड, वोटर कार्ड तथा स्थाई प्रमाण पत्र जो सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं, उसमें मकान नंबर तो दिया होता है, लेकिन यह सही है या नहीं, यह कहा नहीं जा सकता। वर्तमान समय में बहुत से ग्रामीण लोगों ने अपने खेतों में मकान बनाने शुरू कर दिए, इसलिए उनके मकानों पर कोई नंबर नहीं दिया गया है, सिर्फ डाक द्वारा आई किसी चिट्ठी को व्यक्ति के नाम से संबोधित किया जाता है।
इस परेशानी के कारण ग्रामीण व्यक्ति बैंक या अन्य संस्थाओं से अपने स्थाई आवास पर ऋण नहीं ले सकता, क्योंकि ग्रामीण स्थाई आवास को बैंक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मानता।
इसलिए सरकार ने इस समस्या से निजात पाने के लिए स्वामित्व योजना की शुरुआत की है ताकि प्रत्येक व्यक्ति को ऋण का अधिकार मिल सके।
कुछ ऐसे उदाहरण भी देखे गए हैं कि सरकार द्वारा दी गई जमीन पर किसी दूसरे व्यक्ति का कब्जा है। मगर स्वामी को यह पता ही नहीं है कि उसके पास कोई जमीन भी है। इस प्रकार इस योजना के अंतर्गत इस तरह की सभी समस्याएं दूर की जाएंगी। इस तरह के उदाहरण तब देखे गए, जब भारत सरकार द्वारा गेहूं फसल के नुकसान के कारण सरकार ने किसानों को फसल बर्बादी के मुआवजे के रूप में चैक (धनराशि) दिए थे। क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से तो किसान जमीन का मालिक है, मगर प्रत्यक्ष रूप से उसके पास कोई जमीन नहीं है। किसान उस जमीन का स्वामी है, यह पता तब चला जब सरकार द्वारा दी गई धनराशि किसान के घर पहुंची।
योजना के अंतर्गत गैर विवादास्पद रिकॉर्ड बनाने के लिए गांवों में आवासीय भूमि को ड्रोन का उपयोग करके मापा जाएगा। ड्रोन किसी गांव की भौगोलिक सीमा के भीतर स्थित प्रत्येक संपत्ति का डिजिटल नक्शा तैयार करेंगे तथा राजस्व क्षेत्र की सीमाओं का सीमांकन करेंगे।
इस योजना का कार्यान्वयन केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय, सर्वे ऑफ इंडिया तथा विभिन्न राज्यों के पंचायती राज विभागों व राजस्व विभागों के साथ निकट समन्वय में किया जाएगा।
ड्रोन मैपिंग के जरिए दी गई सटीक मांपो का उपयोग करके राज्यों द्वारा गांव में प्रत्येक संपत्ति के लिए संपत्ति कार्ड जारी किया जाएगा। यह कार्ड संपत्ति मालिकों को दिए जाएंगे और भूमि राजस्व रिकॉर्ड विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होंगे। इस प्रकार भूमि के स्वामित्व अपनी भूमि के वास्तविक हकदार बन जाएंगे।
इसके तहत देश भर में लगभग 300 नियमित परिचालन प्रणाली स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जहां से यह योजना क्रियान्वित की जाएगी।
योजना से प्रत्यक्ष लाभ
इस योजना के माध्यम से संपत्ति का अधिकार प्राप्त होने से ग्रामीण लोग अपनी संपत्ति के उपयोग द्वारा बैंक वित्त तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम होंगे अर्थात वह सरकार द्वारा दिए गए राजस्व कार्ड के माध्यम से बैंक से ऋण ले सकते हैं।