जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM Seeds) बीज क्या होते हैं?

जब किसी पौधे के प्राकृतिक जीवन में कृत्रिम उपायों द्वारा उसकी मूल संरचना को परिवर्तित कर दिया जाता है, तो ऐसे पौधे से प्राप्त बीजों को जीएम बीज (GM Seeds) कहते हैं। इसका उद्देश्य जल की आवश्यकता को कम करना, रोग तथा कीट के प्रति संवेदनशीलता को समाप्त करना तथा गुणवत्ता में वृद्धि करना आदि हो सकता है।

अर्थात जेनेटिकली मोडिफाइड फसल उस फसल को कहते हैं, जिनके जीन या अनुवांशिकी को वैज्ञानिक तरीके से रूपांतरित किया जाता है। 1982 में तंबाकू के पौधे पर सबसे पहला परीक्षण किया गया था। इस प्रकार के बीजों का निर्माण करने के लिए बायो-टेक्नोलॉजी तथा बायो-इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जाता है। इस विधि के द्वारा पौधे में नए जीन अर्थात डीएनए (DNA) को डालकर उसमें ऐसे गुणों का समावेश किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से उस पौधे में नहीं पाए जाते। इस प्रकार के पौधों का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि पौधे कीटों, सूखे की स्थिति जैसी पर्यावरण परिस्थिति और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बन सके।

जीएम बीजों की उपयोगिता क्यों पड़ी?

भारत जैसे विशाल देश की जनसंख्या को खाद्य आपूर्ति करने के लिए विशाल मात्रा में अनाज की आवश्यकता होती है। अगर हम पारंपरिक तौर पर फसल उगाते हैं तो फसल में विभिन्न प्रकार के कीटनाशक पदार्थ एवं सूखे की समस्या आदि कारणों से फसल की उत्पादकता में कमी हो जाती है। जिसके कारण बढ़ रही मांग को पूरा नहीं किया जा सकता, इसलिए जीएम बीजों की आवश्यकता पड़ी, ताकि फसल की उपयोगिता में वृद्धि हो सके।

  1. जीएम फसलें सूखा रोधी एवं बाढ़ रोधी होने के साथ-साथ कीट प्रतिरोधी भी होती हैं।
  2. ये बीज साधारण बीजों के मुकाबले अधिक अनाज उत्पादित करते हैं।
  3. भारतीय प्रति हेक्टेयर जमीन कम होने के कारण जीएम फसलों का उगाना भारतीय जनसंख्या के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  4. किसानों की आय को दोगुना करने के लिए जीएम फसलों को उगाना अति आवश्यक है।

इस प्रकार वर्तमान समय में अनाज की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए जीएम फसलों का उगाना बहुत महत्वपूर्ण है। मगर इसके निम्नलिखित दोष भी हैं :

  1. इन फसलों को उगाने के लिए हर बार नए बीज खरीदने पड़ते है, जिसके कारण फसलों की लागत अधिक हो जाती है।
  2. जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  3. जीएम फसलें पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, क्योंकि इनके कारण जैव विविधता का ह्रास होता है।
  4. जीएम फसलों के कारण कैंसर जैसी बीमारियों का जन्म हो रहा है।
  5. बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसानों से सस्ते दामों पर फसल को खरीद लेती हैं तथा बाद में किसानों को बीज के रूप में महंगे दामों पर बेचती हैं। इस प्रकार जीएम फसलों के निम्नलिखित कारण है, जो मानव के साथ-साथ पर्यावरण को भी हानि पहुंचा रहे हैं।

जीएम आलू विकसित

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी अनुवांशिकी परिवर्तित आलू का विकास किया है। यह सर्वव्यापी जेनेटिक परिवर्तन द्वारा प्राप्त अमरान्य प्रजाति के प्रोटीन से अब युक्त हो गई है। अमरान्य एक खाद्य वृक्ष होता है।

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