मरम्मत का अधिकार क्या है तथा भारत में इसका कुछ महत्त्व है या नहीं?

हाल ही में, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडेन ने संघीय व्यापार आयोग के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जो निर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं की अपनी शर्तों पर अपने गैजेट (सामान) की मरम्मत करने की क्षमता को सीमित करने वाले प्रतिबंधों को रोकता है।
अमेरिका से पहले, यूनाइटेड किंगडम ने भी टीवी और वाशिंग मशीन जैसे दैनिक उपयोग के गैजेट्स (सामान) को खरीदना और मरम्मत करना आसान बनाने के लिए Right to Repair नियम पेश कर चुका है।

मरम्मत का अधिकार आन्दोलन 1950 के दशक में कंप्यूटर युग की शुरुआत में शुरू हुआ था। यह आंदोलन कंपनियों को स्पेयर पार्ट्स, टूल्स और ग्राहकों के लिए उपलब्ध उपकरणों की मरम्मत करने के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करता है।

क्या है Right to Repair?

साधारण शब्दों में, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, मोबाइल तथा टेलिविजन जैसे उपकरणों को बेचने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह 10 वर्ष तक इन उपकरणों की मरम्मत करेगी और उपक्रमों से संबंधित सामान को बाजार में भी बेचेगी। उदाहरण के लिए अगर कोई कंपनी टीवी बनाती है, तो उसे आने वाले 10 साल तक टीवी में कोई खराबी होने पर, वह मरम्मत के लिए बाध्य होगी। इसके साथ-साथ कंपनियों पर यह भी दबाव है कि वह ज्यादा से ज्यादा मजबूत उत्पाद बनाए, ताकि वह ग्राहकों के हित में हो। ऐसा न होने की स्थिति में ग्राहक कंपनी पर दावा कर सकता है।
वर्तमान में लगभग 27 देशों में यह अधिकार लागू हो चुका है। Right to Repair का विचार अमेरिका से शुरू हुआ था ताकि मोटर व्हीकल निर्माता कंपनी किसी भी व्यक्ति को वाहनों की मरम्मत करने में सक्षम बनाएं तथा आवश्यक जानकारी प्रदान करें।

‘Right to Repair’ की आवश्यकता क्यों पड़ी?

वर्तमान समय में कुछ ऐसी वस्तुएं हैं, जिनकी मरम्मत नहीं की जा सकती। उनका विकल्प सिर्फ नई वस्तु खरीदना है। अंत में हम उन वस्तुओं को कबाड़ में फेंक देते हैं, जिसके कारण इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ की वजह से पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है, जो वर्तमान में बहुत बड़ी समस्या है। ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की वजह से निकलने वाली जहरीली गैस वातावरण को प्रदूषित करती है। जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके साथ-साथ मनुष्य के खर्चों में भी कमी आएगी। अर्थात वस्तु को ठीक कराकर वह काम चला सकता है।

Right to Repair के फायदे

इस अधिकार के निम्नलिखित फायदे भी हैं, जैसे –

  1.  स्थानीय मकैनिकों को रोजगार मिलेगा।
  2.  पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी।
  3.  मनुष्य अतिरिक्त भार (Extra Money) से बचेगा।
  4.  वस्तुओं का उत्पादन मजबूत एवं टिकाऊ होगा।
  5.  गरीब व्यक्ति भी वस्तुओं का लाभ उठा सकता है।

Right to Repair का कंपनियों द्वारा किया गया विरोध

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां यह मानती हैं कि अगर उनके उत्पाद की मरम्मत की ट्रेनिंग और सामान खुले बाजार में बेचा जाए, तो कंपनियों की वैल्यू (Value) खत्म हो जाएगी। कुछ कंपनियां जैसे एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट तथा टेस्ला, इस अधिकार के खिलाफ है। वह अपने उत्पाद की न तो गारंटी देती है न ही स्थानीय मैकेनिकों की मदद से उत्पाद की मरम्मत कराती हैं। जिसके लिए कंपनियों को स्थानीय मैकेनिक के लिए ट्रेनिंग की सुविधा देनी होगी। जो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती।

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