भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि प्रधान देश में पशुपालन जरूर किया जाता है। क्योंकि पशुओं का चारा कृषि द्वारा ही प्राप्त होता है। फसल में अनाज के बाद जो हिस्सा बन जाता है। वह पशु चारे के रूप में काम आता है। इस प्रकार पशुपालन पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करता है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालन कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है। जिसके माध्यम से मानव अपनी जीविका चलाते हैं। कुछ व्यक्तियों ने इसे वाणिज्य भी बना दिया है। जैसे डेयरी एवं दूध के बने अन्य उत्पाद बाजारों में ऊंची कीमत पर बेचे जाते हैं।
भारत सरकार द्वारा हाल ही में पशु क्रेडिट कार्ड योजना प्रारंभ की गई। जिसके अंतर्गत पशु लोन दिया जाता है। इसमें जो किसान गाय खरीदना चाहता है, तो उसे 40,000 तक का ऋण दिया जाएगा तथा जो किसान भैंस खरीदना चाहता है, तो उसे ₹60,000 का ऋण दिया जाएगा। यह राशि बढ़कर अधिकतम ₹1,50000 तक हो सकती है। यह पशु कीमत पर निर्भर करता है।
सरकार द्वारा चलाई गई इस योजना का उद्देश्य यह है कि जिस किसान के पास जमीन नहीं है या कम है तथा अपनी जीविका को चलाने के लिए भेड़, बकरी आदि पालता है। उसे यह ऋण दिया जाएगा। ताकि वह गाय या भैंस खरीदकर अपनी जीविका को सुधार सकें।
यह योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई है। जिसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से पशुपालक को ही प्राप्त होगा। अन्य किसी व्यक्ति को नहीं। पशुपालन क्रेडिट कार्ड लोन बैंक द्वारा दिया जाएगा। जिसके लिए बैंक में जाकर ऑफलाइन आवेदन किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशुपालन के स्तर को ऊपर उठाना है। यानी उसके स्तर में सुधार करना है। तथा पशुओं की स्थिति में भी सुधार करना है।
किसान द्वारा लिया गया पशु ऋण वह किस्तों के माध्यम से चुका सकता है। जिससे किसान पर ऋण लौटाने के एकमुश्त भार नहीं पड़ेगा। तथा जो ऋण किसान ने लिया है, उस पर ब्याज दर 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष होगी जो बहुत ही कम है। जिससे पशुपालक आसानी से दूध बेचकर उसे चुका सकता है। पशुपालन ऋण के लिए किसान को बैंक में कुछ कागज जमा करने होंगे। जैसे आधार कार्ड या वोटर कार्ड तथा पैन कार्ड ताकि बैंक को पशुपालक की केवाईसी करने में आसानी हो सके। कुछ बैंक अपने नियम अनुसार पशुपालक से कागज मांगती हैं। जैसे अगर किसी के पास जमीन है तो जमीन से संबंधित कागजात। किसान क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, प्लास्टिक मनी, बिटकोइन मुद्रा