बहुराष्ट्रीय कंपनी एक ऐसी बड़ी फार्म होती है, जिनका व्यवसाय तथा व्यापार कई देशों में होता है अर्थात वैश्विक रूप में इनकी व्यापारिक गतिविधियां संचालित होती हैं। इनका केंद्रीय मुख्यालय किसी एक देश में होता है, लेकिन विश्व के कई देशों में इसके उप-मुख्यालय एवं व्यापारिक फॉर्म होते हैं। भूमंडलीकरण के दौर में जब विश्व के बाजार सभी देशों के लिए खोल दिए गए तब से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार में तीव्र विस्तार हुआ है। प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील एवं अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के विकास में भी अहम भूमिका निभाई है। ऐसी कंपनियों के पास व्यापक पूंजी उपलब्धता, तकनीकी दक्षता, उच्च प्रबंधन प्रणाली, व्यापक व्यापारिक गतिविधियां तथा आधारभूत संरचना होती है।
अतः ऐसी कंपनियां जिन देशों में निवेश करती हैं, वहां संरचनात्मक एवं तकनीकी निवेश भी करती हैं, जिससे विकास की प्रक्रिया तीव्र होती है। वर्तमान में भारत सहित विभिन्न विकासशील देशों तथा अल्प-विकसित देशों के आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों में इनका व्यापक प्रभाव है। भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने ऊर्जा, परिवहन, सेवा क्षेत्र, संचार, विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जिसका लाभ राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मिला है।
उदारीकरण के बाद मार्च 2007 तक भारत में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 54.6 अरब अमेरिकी डॉलर था। जो वर्तमान यानी 2021-22 में बढ़कर 81.97 बिलियन डॉलर हो गया है।
भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा प्रारंभ से ही व्यापारिक कार्य होते रहे हैं, दक्षिण ईस्ट इंडिया कंपनी, दक्षिण रॉयल अफ्रीकन कंपनी, दक्षिण टच इंडिया कंपनी बहुराष्ट्रीय कंपनी थी। वर्तमान में कोको-कोला, पेप्सी, सैमसंग, हुंडई, एलजी, फोर्ड, अमेजॉन तथा एप्पल जैसी कंपनियां व्यापार कर रही हैं।
भारत में उदारीकरण की नीति के पूर्व हिंदुस्तान लीवर जैसी कई कंपनियां थी, लेकिन उदारीकरण के बाद भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जमघट बन गया। उद्योगों की स्थापना की उदार नीति, व्यापारिक छूट, प्रतिबंधात्मक नीति की समाप्ति ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में प्रवेश एवं व्यापार को सुगम बना दिया। इन कंपनियों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में तीव्र उछाल आया है। इन कंपनियों में अमेरिकी मूल की कंपनियों की संख्या अधिक है, हालांकि विभिन्न देशों की कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं। भारत में कार्य करने वाली 20 सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में 37% कारोबार अमेरिकी कंपनी द्वारा किया जाता है।
वर्तमान में कंपनियों की क्रियाविधि में परिवर्तन हुआ है। विगत कई वर्षों में यूरोपियन यूनियन के विभिन्न फॉर्म जो ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, फिनलैंड, नीदरलैंड तथा बेल्जियम के हैं, भारत से अपने कार्यों को आउटसोर्स कर रहे हैं। भारत में नोकिया, सैमसंग, एप्पल, ओप्पो, विवो तथा वोडाफोन बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं व्यापार कर रहे हैं। कई ऑटोमोबाइल कंपनियां जैसे फिएट, फोर्ड मोटर्स, पियागिलोन अपनी बिक्री केंद्र खोल रहे हैं तथा कई इंजीनियरिंग एवं फार्मा कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। इसके साथ ही कई मेगा बिल्डर्स तथा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां भी भारत में निवेश कर रही हैं।
भारत में जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा निवेश किया गया है, वह इस प्रकार हैं।
- सेवा क्षेत्र – 20 प्रतिशत
- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर – 16 प्रतिशत
- दूरसंचार – 8 प्रतिशत
- निर्माण – 5 प्रतिशत
- ऑटोमोबाइल – 4 प्रतिशत
- विद्युत – 3 प्रतिशत
- उर्वरक को छोड़कर रसायन – 3 प्रतिशत
- आवास – 4 प्रतिशत
- औषधि एवं फार्मास्यूटिकल्स – 3 प्रतिशत
- प्लास्टिक उपकरण – 3 प्रतिशत
अन्य कंपनियां भी भारत में बड़े स्तर पर निवेश कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कार्यरत 4 बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से 3 का कार्यकलाप अपनी आंतरिक लक्ष्य से अधिक रहा है। भारत में दक्ष श्रमिक, तकनीशियन, प्रबंधक, इंजीनियर तथा कच्चे माल की उपलब्धता, सस्ती जमीन, सस्ता श्रम, बड़े बाजार राष्ट्रीय कंपनियों के लिए आकर्षण उत्पन्न कर रहे हैं, इस कारण न केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में आ रही है, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी दे रही हैं।