ई-मैगज़ीन

वह पेपर जिसे हम छू नहीं सकते, मगर किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल या लैपटॉप आदि की मदद से उसको पढ़ सकते हैं। जिस पर लिख सकते हैं एवं किसी प्रकार की चित्रकारी की जा सकती है। उसे ई-पेपर कहते हैं।

यह पेपर विभिन्न प्रकार का हो सकता है। जैसे अखबार, किताब, नोटबुक, मैगजीन, किसी प्रकार की डायरी, किसी एग्जाम का पेपर या किसी वेबसाइट या एप्लीकेशन का पेपर इत्यादि। 

इलेक्ट्रॉनिक पेपर, ई-पेपर या इलेक्ट्रॉनिक इंक डिस्प्ले एक डिस्प्ले तकनीक है, जिसे कागज पर साधारण स्याही की उपस्थिति की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक पेपर साधारण कागज की तरह प्रकाश को दर्शाता है। यह बिना बिजली के पाठ और छवियों को अनिश्चित काल तक धारण करने में सक्षम है, जबकि छवि को बाद में बदलने की अनुमति देता है। ई-पेपर बनाने के लिए, कई अलग-अलग प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं, कुछ प्लास्टिक सब्सट्रेट और इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करती हैं ताकि डिस्प्ले लचीला हो। ई-पेपर में पारंपरिक प्रदर्शन की तुलना में पढ़ने में अधिक आरामदायक होने की क्षमता है।

ई-पेपर पढ़ने के लिए हमें प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती। यह स्वयं प्रकाश उत्पन्न करता है। एक ई-पेपर डिस्प्ले को सीधे धूप में पढ़ा जा सकता है, बिना छवि के फीका दिखाई देता है। ई-पेपर के उदाहरण आपको बाजार में देखने को मिल जाएंगे जैसे खुदरा दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक मूल्य निर्धारण लेबल, बस स्टेशनों पर समय सारणी, रेलवे स्टेशनों पर समय सारणी, इलेक्ट्रॉनिक बिलबोर्ड, मोबाइल एवं लैपटॉप में आप गूगल प्ले से ई-पेपर डाउनलोड कर सकते हैं।

इस तकनीकी का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष लाभ यह हुआ कि इसके आने से तीव्र गति से हो रहा वन विनाश में कमी आई है, जिसके कारण हमारे वन प्रतिशत की मात्रा बढ़ी है जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वनों से हमें ऑक्सीजन तथा खाद्य पदार्थों की पूर्ति होती है हम ऑक्सीजन के बिना एक पल भी जिंदा रहे नहीं सकते। जब हम ही नहीं रहेंगे तो ऐसे पेपर का फायदा क्या है। कंप्यूटर मॉनीटर की कुछ सीमाओं को दूर करने के लिए भी इलेक्ट्रॉनिक पेपर विकसित किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिक पेपर सामान्य पेपर की तरह ही प्रकाश को दर्शाता है। इसके अलावा, फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर की तुलना में ई-पेपर को कोण पर पढ़ना आसान है। इलेक्ट्रॉनिक पेपर में भी लचीला होने की क्षमता होती है। क्योंकि यह प्लास्टिक से बना होता है। यह हल्का और संभावित रूप से सस्ता भी है। इसे हम मोबाइल के माध्यम से किसी भी स्थान पर और किसी भी समय पढ़ सकते हैं। वर्तमान समय में इंटरनेट के माध्यम से हमें ई-पेपर मुफ्त में प्राप्त हो जाता है जिसके कारण हमारे पैसे की बचत होती है। और हमें तुरंत घटने वाली घटनाओं की जानकारी भी इंटरनेट के माध्यम से जल्दी प्राप्त हो जाती है जबकि पारंपरिक तरीके से आने वाला पेपर 24 घंटे बाद ही हमें वह जाने जानकारी देता है।

इलेक्ट्रॉनिक पेपर के लाभ

ई-पेपर के लाभ हमें प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलते हैं। जो निम्नलिखित है।

  1. इलेक्ट्रॉनिक पेपर से समय एवं पैसा दोनों की बचत होती है। 
  2. इलेक्ट्रॉनिक पेपर को अपने साथ ले जाना बहुत आसान है क्योंकि इसकी एप्लीकेशन को आप मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं, जिसके द्वारा आप कहीं पर भी उसे पढ़ सकते हैं।
  3. वर्तमान समय में सरकार द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं में इलेक्ट्रॉनिक पेपर का ही प्रयोग किया जा रहा है, जिससे किसी भी प्रकार की चोरी होने की कोई संभावना नहीं होती है।
  4. इलेक्ट्रॉनिक पेपर के जरिए आप तुरंत घटने वाली घटनाओं को जान सकते हैं।
  5. इलेक्ट्रॉनिक पेपर, इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड, इलेक्ट्रॉनिक मैगजीन में एक क्लिक के द्वारा ही डाटा को बदला जा सकता है।
  6. इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड, पेपर या मैगजीन को पढ़ने के लिए आपको प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती।
  7. आजकल इलेक्ट्रॉनिक साइन बोर्डों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो आपको दूर से ही नजर आ जाता है।
  8. इलेक्ट्रॉनिक पेपर से पोलूशन भी नहीं होता क्योंकि साधारण पेपर इकट्ठा होने पर जला दिए जाते हैं, जिससे प्रदूषण होता है।
  9. प्रतियोगी परीक्षाओं में लिए गया एग्जाम का परिणाम आपको तुरंत मिल जाता है।
  10. इलेक्ट्रॉनिक पेपर के माध्यम से दी गई परीक्षा में किसी भी प्रकार की गलती होने की संभावना बहुत कम होती है।
  11. इलेक्ट्रॉनिक पेपर, साधारण पेपर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जितने लाभ है। उसकी हम गणना भी नहीं कर सकते। मगर इसके साथ-साथ इसकी कुछ कमियां भी हैं, जो इस प्रकार है – 

  1. यह एक महंगी तकनीक है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति नहीं खरीद सकता।
  2. इलेक्ट्रॉनिक पेपर या मैगजीन को पढ़ने के लिए हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की आवश्यकता होती है, जिसका पेमेंट हमें एक बार में खर्च करना पड़ता है। मगर साधारण पेपर का पेमेंट बहुत कम तथा महीने के अंत में जाता है।
  3. प्रतियोगी परीक्षाओं में इलेक्ट्रॉनिक एग्जाम एक अच्छी तकनीक है, मगर इसके लिए भारत जैसे देश में कंप्यूटर की संख्या कम होने के कारण यह पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाई है।
  4. इलेक्ट्रॉनिक पेपर या मैगजीन को पढ़ने के लिए हमें इंटरनेट की आवश्यकता पड़ती है। अगर आपके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इंटरनेट नहीं है तो आप इसे पढ़ नहीं सकते।
  5. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलाने के लिए व्यक्ति को शिक्षित होना एवं तकनीकी की जानकारी होना जरूरी है तभी वह इसका फायदा उठा सकता है।
  6. भारत की आबादी अधिकतर ग्रामीण है और आज भी ग्रामीण स्तर पर इंटरनेट की सुविधा इतनी नहीं है कि वहां पर इस तरह की तकनीक का प्रयोग किया जा सके।
  7. इलेक्ट्रॉनिक पेपर या मैगजीन को एक बार में एक ही व्यक्ति पड़ सकता है। मगर साधारण अखबार के 4-5 पेज होते हैं जिसे कई लोग पढ़ सकते हैं।
  8. अखबार या मैगज़ीन को पढ़ने के बाद उसके पेपर का प्रयोग हम थैला या बैग बनाने में भी कर सकते हैं मगर इलेक्ट्रॉनिक पेपर में ऐसी व्यवस्था नहीं है।

आधुनिक समय में पेपर या मैगजीन को अपने साथ लेकर ऑफिस या काम पर जाना संभव नहीं है। इसके लिए ई-पेपर ही ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग हम ऑफिस या काम के दौरान कर सकते हैं। क्योंकि वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति फोन या लैपटॉप आवश्यकता है जिसके माध्यम से ई-पेपर को पढ़ना आसान हो गया है। किसी के पास इतना टाइम नहीं है कि वह बैठकर 1 घंटे तक अखबार या मैगजीन पढ़ें इसलिए जब तक नौकरी करने वाले व्यक्ति अपने मोबाइल या लैपटॉप की मदद से ही विश्व के बारे में जान लेते हैं।

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