What is IPO | शेयर बाजार | Initial Public Offer

 

 

IPO का पूरा नाम Initial Public Offer है। जब कोई कंपनी अपने शेयर पहली बार बाजार में उतारती है, तो इसे IPO कहते हैं। IPO के अंतर्गत कंपनी अपने शेयर पब्लिक या शेयर होल्डर को ऑफर करती है। यह प्रक्रिया प्राथमिक या प्राइमरी बाजार कहलाती हैं। अगर साधारण भाषा में जानना है, तो कंपनी अपने लिए फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को बाजार में लगाकर तरक्की करती है तथा जो निवेशक इसमें पैसा लगाते हैं, उन्हें कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब आप उस कंपनी के शेयर होल्डर बन जाते हैं।

 

शेयर बाजार :
शेयर बाजार अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। इसमें किसी को पता नहीं कि कब बाजार ऊपर चला जाए तथा कब गिर जाए। यह सब एक सेकंड या एक पल में हो सकता है। 
शेयर बाजार में निवेश करना भी एक कला है। कोई भी इसमें अपना पैसा निवेश कर सकता है। बशर्ते उसे बाजार का अनुभव होना चाहिए और उसे बाजार की वर्तमान जानकारी भी होनी चाहिए, क्योंकि बिना जानकारी के शेयर बाजार में पैसा लगाना असंभव तो नहीं है, मगर आप इसमें लाभ के मकसद से किया गया निवेश से लाभ नहीं कमा सकते हैं। हो सकता है कि आपका किया गया निवेश डूब जाए। 
आप शेयर बाजार में 2 तरीके से अपना पैसा निवेश कर सकते हैं –
(1) प्राइमरी मार्केट में या IPO में

(2) सेकेंडरी मार्केट में, जो कंपनी पहले से शेयर बाजार में सूचीबद्ध है, उसमें आप निवेश कर सकते हैं।

 
कंपनी IPO क्यों लाती है?
जब किसी कंपनी को लगता है कि वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है तथा वह अपना विस्तार बड़े स्तर पर करना चाहती है तो इसके लिए उसे मानव संसाधन के साथ-साथ पूंजी की भी जरूरत पड़ती है, तो इस स्थिति में कंपनी IPO या शेयर जारी करती है। ताकि उसे मार्केट से बिना ब्याज से पैसा मिल सके। वैसे तो कंपनी बैंक से भी पैसा उठा सकती है। मगर बैंक की कुछ पॉलिसी होती हैं। जैसे निश्चित समय पर लिए गए धन की वापसी तथा ब्याज के साथ धन वापस करना। इसी कारण कंपनी IPO जारी करती है।
       
जब आप किसी कंपनी के IPO खरीदते हैं तो आपको उस कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब आप उस कंपनी के कुछ अंश के मालिक बन जाते हैं। इसके अलावा भी कई कारण होते हैं, IPO जारी करने के – 
(1) बैंक लोन उतारने के लिए
(2) नए प्रोडक्ट या सर्विस को मार्केट में लाने के लिए
(3) नए बाजार तलाशने के लिए
(4) जोखिम को कम करने के लिए
  
IPO के प्रकार – कंपनी दो प्रकार के आईपीओ जारी करती है –
(1) स्थिर मूल्य या फिक्स प्राइस
(2) बुक बिल्डिंग या बुक बिल्डिंग इश्यू
 
स्थिर मूल्य या फिक्स प्राइस :
यहां IPO खरीदने से पहले आपको उसके मूल्य का पता चल जाता है। मतलब निवेशक (खरीदार) को पता होता है कि इस शेयर या आईपीओ का मूल्य क्या है। अर्थात कंपनी अपना आईपीओ मूल्य के साथ जारी करती है।
 
बुक बिल्डिंग इश्यू :
ऐसी स्थिति तब होती है, जब कोई कंपनी विशिष्ट कीमत पर अपने शेयरों को शुरुआती पेशकश के जरिए मार्केट में पेश करती है। हालांकि अगर कंपनी आईपीओ के लिए फाइलिंग करते वक्त कोई विशिष्ट कीमत नहीं बताती है, जिस पर उसे अपने शेयर को बाजार में पेश करना या बेचना है तो यह एक विशिष्ट मूल्य सीमा के साथ आईपीओ जारी करती है। इस विशिष्ट प्रक्रिया में शेयरों की कीमत की खोज निवेशकों द्वारा बोली लगाने के माध्यम से की जाती है। इसे बुक बिल्डिंग इश्यू कहते हैं।
           
यह एक अजमाई हुई तकनीक है जिसे दुनिया भर के प्रमुख एक्सचेंजों द्वारा जारी किया जाता है। यहां आईपीओ प्रक्रिया के दौरान कीमत को अंतिम रूप दिया जाता है।
जब कोई कंपनी अपना आईपीओ जारी करती है तो इसके लिए वह 3-10 दिन का समय रखती है, जिसके अंतर्गत निवेशक इन दिनों में निवेश करते हैं। इस दौरान आप कंपनी की वेबसाइट पर जाकर या किसी रजिस्टर्ड ब्रोकर के माध्यम से आईपीओ खरीद सकते हैं। वह आप पर निर्भर करता है कि आप स्थिर मूल्य आईपीओ में निवेश करेंगे या बुक बिल्डिंग इश्यू IPO में जाना चाहेंगे। 
जब कोई कंपनी अपना आईपीओ जारी करती है तो उसे इसकी सारी जानकारी सेबी (SEBI – Security Exchange Board of India) को बतानी होती है, क्योंकि सेबी एक ऐसा बोर्ड है, जो शेयर मार्केट से संबंधित दस्तावेजों को नियंत्रित करता है।
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