डेविस का अपरदन चक्र सिद्धांत | Geography UPSC Notes

डेविस अमेरिकी भूगर्भशास्त्री था। उन्हें आधुनिक भू-आकृति विज्ञान का पिता कहा जाता है। डेविस ने भू-दृश्यों तथा स्थलरूपों के जन्म और विकास के संबंध में चक्रीय पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग किया। उन्होंने अपनी पुस्तक ज्योग्राफिकल एसेस (1889) में अपरदन चक्र का सिद्धांत प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे भौगोलिक चक्र कहां।भौगोलिक चक्र समय कि वह अवधि है […]

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Weathering and Erosion in Hindi | बहिर्जात बल या अनाच्छादन | अपक्षय एवं अपरदन

भूपटल पर अंतर्जात बलों के द्वारा निर्मित आधारभूत स्थलाकृतियों पर बहिर्जात बलों द्वारा समतलीकरण करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह बहिर्जात बल अनाच्छादन कहलाता है। अनाच्छादन के अंतर्गत अपक्षय और अपरदन की सम्मिलित क्रियाएं होती हैं। अनाच्छादन की क्रियाओं के फलस्वरुप ऋतुक्षरित कण बालु, शिल्ट और क्ले के आकार में परिवर्तित हो जाती है

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Concept of Common Ground | Davis’s Peniplane | समप्राय मैदान की संकल्पना | डेविस का पेनिप्लेन

Davis was the first to use the term peniplane. According to him, the peniplane is a featureless, low-lying plain that develops in the final stages of the erosional cycle. The peniplain is not actually a plain of flat surface, but a surface of slight relief, in which rivers flow slowly on very gentle slopes through

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Innovation and Multi-cyclic Topography in Hindi | नवोन्मेष एवं बहु-चक्रीय स्थलाकृतियां

किसी भी अपरदन चक्र या सक्रिय चक्र में बाधा उत्पन्न होने से स्थलखण्ड पर नए चक्र का प्रारंभ हो जाता है, जिसे नवोन्मेष कहते हैं। नवोन्मेष तल में परिवर्तन के कारण होता है। ऐसे में नवीन अधार तल के संदर्भ में नवीन अपरदन चक्र की क्रिया प्रारंभ हो जाती है। अतः प्रदेश में नवीन एवं

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प्रवाही जल द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां

प्रवाही जल, अपरदन का सर्वप्रमुख दूत है डेविस ने अपनी सामान्य अपरदन चक्र की अवधारणा प्रवाही जल के संदर्भ में प्रस्तुत की थी। डेविस ने प्रवाही जल को अपरदन का सर्वप्रथम दूत माना और स्पष्ट किया कि प्रवाही जल या नदियां अपरदन, परिवहन या निक्षेपण कार्यों से विशिष्ट प्रकार की स्थलाकृतियों का विकास करती है।

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Ocean Coast Topography | सागरीय तटीय स्थलाकृतियां

सागरीय तटवर्ती क्षेत्रों में सागरीय तरंगों, धाराओं, ज्वार इत्यादि समुद्री जल की गतियों के कारण तटवर्ती क्षेत्रों में अपरदन का कार्य होता है। फलस्वरुप तटवर्ती क्षेत्र में अपरदनात्मक स्थलाकृतियों का विकास होता है। लोटती हुए तरंगों द्वारा तटवर्ती क्षेत्र में अपरदित पदार्थों का तट से समुद्र की ओर निक्षेपित करने की क्रिया होती है, जिससे

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सुनामी का अर्थ | सुनामी की उत्पत्ति के कारण | विश्व के प्रमुख सुनामी

सुनामी का अर्थ अन्त: सागरीय भूकंपों के कारण सागरीय जल में तीव्र वेग वाली ऊंची तरंगें या लहरें उत्पन्न होती हैं, जिसे सुनामी कहा जाता है। अतः सुनामी भूकंप से उत्पन्न सागरीय लहरें हैं, जिसकी ऊंचाई सामान्यतः 3 से 4 फिट होती है, परंतु तीव्र भूकंप की स्थिति में इसकी ऊंचाई सैकड़ों फीट हो जाती

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भूकंप का अर्थ | भूकंप के प्रकार | विश्व में भूकंप के क्षेत्र

भूकंप का अर्थ भूपटल में होने वाले कंपन को भूकंप कहते हैं। भूकंप मुख्यत: आकस्मिक भू-संचलन की क्रिया का परिणाम है, जिसका संबंध पृथ्वी की अंतर्जात शक्तियों से होता है। पृथ्वी पर होने वाले कंपन के वाह्य कारण भूकंप भी हो सकते हैं, लेकिन भूगर्भिक कारकों से ही तीव्र भूकंप आते हैं। भूकंप भूपटल में

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ज्वालामुखी का अर्थ | ज्वालामुखी के प्रकार | ज्वालामुखी क्रिया से संबंधित स्थलाकृतियां

ज्वालामुखी का अर्थ ज्वालामुखी क्रिया का तात्पर्य उस भूगर्भिक प्रक्रिया से है, जिसके अंतर्गत चट्टानी टुकड़े एवं लावा पदार्थ भूपटल की सतह पर ठोस रूप धारण कर विशिष्ट स्थलाकृतियों का निर्माण करते हैं। ज्वालामुखी के प्रकार लावा पदार्थ जो प्रक्रियाओं से सतह पर आते हैं :  दरारी उद्गार के द्वारा केंद्रीय उद्गार के द्वारा दरारी

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चट्टान का अर्थ | चट्टानों के प्रकार | चट्टानों का वर्गीकरण

चट्टान का अर्थ पृथ्वी के भूपटल का निर्माण विभिन्न प्रकार की शैलों से हुआ है। शैलें खनिज पदार्थों के मिश्रण से निर्मित होती हैं। शैलों के अंतर्गत भू-पटल के सभी अधात्विक पदार्थों को सम्मिलित किया जाता है। यह चीका मिट्टी की तरह कोमल और ग्रेनाइट की तरह कठोर तथा खड़िया की तरह अप्रवेश्य हो सकती

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